53 साल पहले हुआ था ब्लैक सैल्यूट नई दिल्ली। रेफरी की सीटी बजते ही ब्रिटेन की महिला फुटबॉलरों ने एक-दूसरे को देखा और एक घुटने के बल बैठ गईं। विपक्षी की टीम चिली ने भी ऐसा किया। एक घंटे के बाद अमेरिकी और स्वीडिश खिलाड़ियों ने नस्लवाद के विरोध में यह कदम उठाया। टोक्यो ओलंपिक के पहले दिन ये नजारा देखने को मिला। फीफा भी पहले मैदान में किसी भी तरह के विरोध के पक्ष में नहीं था लेकिन पिछले साल इस दिशा में नियमों में राहत दी क्योंकि अमे.......
25 भाई-बहनों की जोड़ी में छह जुड़वा जोड़ियां शामिल खेलपथ संवाद नई दिल्ली। पांच साल पहले रियो ओलम्पिक में 36 भाई-बहनों की जोड़ियों ने चुनौती पेश की थी तो इस बाद टोक्यो में 25 भाई-बहनों की जोड़ियां धमाल मचाएंगी। इनमें से छह जोड़ियां जुड़वां भाई-बहनों की हैं। रूस की 22 साल की जुड़वां बहनों अरीना और दीना की जोड़ी जिम्नास्टिक में पदक के लिए ताल ठोकेंगी। एवरिना बहनों की यह जोड़ी पहली बार ओलम्पिक में खेलेंगी। ब्रिटेन के 26 वर्ष.......
शूटिंग में चार भारतीय मिश्रित जोड़ियां उतर रही हैं खेलपथ संवाद नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक परिषद की ओर से ओलम्पिक में लिंग समानता और महिलाओं को तवज्जो देने के लिए रखी गई मिश्रित स्पर्धाओं ने भारत की पदक दावेदारी को मजबूत किया है। शूटिंग में चार भारतीय मिश्रित जोड़ियां उतर रही हैं। 10 मीटर एयर राइफल में दुनिया के नंबर दो दिव्यांश पंवार, नंबर एक इलावेनिल वालरिवान के अलावा दीपक कुमार अंजुम मोदगिल की जोड़ी है तो 10 मीटर.......
टोक्यो जाने से पहले दिखाया है दम बेलग्रेड। दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच खेलों के महाकुंभ में भाग लेने के लिए मंगलवार को टोक्यो के लिए रवाना हो चुके हैं। इससे पहले उन्होंने प्रेस वार्ता की। इस दौरान सर्बिया के इस स्टार ने कहा कि खेलों के लिए वे खुद को तैयार और प्रेरित महसूस कर रहे हैं। 20 बार के ग्रैंडस्लैम चैम्पियन जोकोविच हालांकि टोक्यो में मिलने वाली चुनौती से अच्छी तरह अवगत हैं। जोकोविच ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा.......
नौ साल की उम्र में पहने थे ग्लव्स दिवंगत पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं खेलपथ संवाद नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में हिमाचल प्रदेश के बॉक्सर आशीष कुमार चौधरी पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। आशीष के अनुसार वह ओलम्पिक में पदक जीतकर अपने दिवंगत पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने 16 वर्ष कड़ी मेहनत की है। वह हिमाचल के पहले बॉक्सर हैं, जो ओलम्पिक में दमखम दिखाएंगे। जानकारी के अनुसार ब.......
सिडनी ओलम्पिक के बाद कोई महिला वेटलिफ्टर बनी है पदक की दावेदार चीन और अमेरिकी लिफ्टर से होगी कड़ी टक्कर खेलपथ संवाद नई दिल्ली। वेटलिफ्टिंग और विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। सिडनी ओलम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी के पहले पदक के बाद से ही यह खेल हमेशा विवादों में रहा है, लेकिन पिछले 21 साल में यह पहली बार है जब ओलम्पिक से पहले ये खेल न विवादों में है बल्कि 49 किलो में मीराबाई चानू पदक की बड़ी दावेदार हैं। 24 जुलाई .......
2017 से इस पद पर हैं काबिज टोक्यो। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून को मंगलवार को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के आचरण आयोग का अध्यक्ष चुना गया।आईओसी के सत्र के दौरान उन्हें इस पद पर दोबारा चुना गया। दक्षिण कोरिया के 77 साल के राजनीतिज्ञ और राजनयिक बान की मून 2017 से इस पद पर हैं। वह चार साल के एक और कार्यकाल के लिए इस पद पर रहेंगे। आईओसी से 2019 में सदस्य के रूप में जुड़ने वाली कोस्टा रिका की लॉरा चिनचिला.......
विश्वास के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ का शुक्रिया अदा किया खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारतीय महिला राष्ट्रीय टीम की चार साल तक कोच रही मयमोल रॉकी ने व्यक्तिगत कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय टीम के साथ सहायक कोच के रूप में भूमिका निभाने के बाद उन्हें 2017 में टीम का मुख्य कोच नियुक्त किया गया था। उनकी निगरानी में टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया और कई अंतरराष्ट्रीय सफलताएं हासिल की। उन्होंने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफए.......
दिहाड़ी मजदूर न बने इसके लिए उठा लिया धनुष-बाण प्रशिक्षक विकास भुजबल ने बदल दी उसकी जिन्दगी खेलपथ संवाद नई दिल्ली। सातारा के प्रवीण जाधव के पास बचपन में दो ही रास्ते थे या तो अपने पिता के साथ दिहाड़ी मजदूरी करते या बेहतर जिंदगी के लिए ट्रैक पर सरपट दौड़ते। लेकिन उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ओलम्पिक में तीरंदाजी जैसे खेल में वह कभी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। सातारा के सराडे गांव के इस लड़के का सफर संघर्षों से भर.......
बनना चाहती थी एथलीट, डिंको को देख बन गई बॉक्सर खेलपथ संवाद नई दिल्ली। कभी चाह थी एथलीट बनने की, लेकिन ये तो मैरीकॉम को भी नहीं पता था कि उनका साथ बॉक्सिंग के साथ ऐसा जुड़ेगा कि वो भारत की शान बन जाएंगी। मणिपुर के एक छोटे से गांव में 24 नवंबर, 1982 को मैरीकॉम का जन्म हुआ। असुविधा, गरीबी, समाज की बंदिशों से मैरीकॉम दो-चार हुईं, लेकिन लगन इतनी थी, कि ये सारी बातें पीछे रह गईं और सफलता कदम चूमने लगी। मैरीकॉम का झुकाव एथलेटिक.......