बॉक्सर आशीष पर पूरे देश की नजरें
नौ साल की उम्र में पहने थे ग्लव्स
दिवंगत पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में हिमाचल प्रदेश के बॉक्सर आशीष कुमार चौधरी पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। आशीष के अनुसार वह ओलम्पिक में पदक जीतकर अपने दिवंगत पिता का सपना पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने 16 वर्ष कड़ी मेहनत की है। वह हिमाचल के पहले बॉक्सर हैं, जो ओलम्पिक में दमखम दिखाएंगे। जानकारी के अनुसार बॉक्सर आशीष चौधरी 75 किलोग्राम भार वर्ग में अपना पहला मैच 26 जुलाई को खेलेंगे।
उनका पहला मैच किस देश के खिलाड़ी के साथ होगा यह अभी तय नहीं है। आशीष टीम के साथ 17 जुलाई को स्पेन से टोक्यो पहुंच गए हैं। जहां पहुंचने पर उनका टीम सहित कोविड-19 को लेकर आरटीपीसीआर टेस्ट किया गया है, जिसके रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। मंडी जिले के सुंदरनगर के आशीष चौधरी से पहले ऊना के दीपक कुमार, मैड़ी के चरणजीत सिंह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे हैं।
हमीरपुर निवासी शूटर विजय कुमार और सिरमौर समरेश जंग भी ओलंपिक में हिस्सा ले चुके हैं। वहीं, टोक्यो पहुंचने के बाद वहीं आशीष लगातार अभ्यास भी कर रहे हैं। वहीं परिजनों को पूरा विश्वास है कि आशीष ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए मेडल जीतेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता आशीष ने एशियाई चैंपियनशिप और वर्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते हैं। बता दें टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त तक ओलम्पिक गेम्स होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संवाद और उनकी शुभकामनाओं से आशीष के हौसले बुलंद हैं।
आठ जुलाई, 1994 को जिला मंडी के सुंदरनगर उपमंडल के जरल निवासी स्वर्गीय भगतराम डोगरा के घर जन्मे 27 वर्षीय आशीष चौधरी ने नौ वर्ष की उम्र में बॉक्सिंग ग्लव्स पहन लिए थे। स्कूली शिक्षा के बाद सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज में दाखिला लिया। यहां कोच नरेश वर्मा से बॉक्सिंग की बारीकियां सीखीं।
आशीष चौधरी वर्तमान में तहसील कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात हैं। माता दुर्गा देवी और बड़े भाई जानी चौधरी के अनुसार आशीष का ओलंपिक में चयन होने से परिवार का सपना साकार हुआ है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि आशीष पदक जीतकर लाएंगे। आशीष की अभी शादी नहीं हुई है।
आशीष के पूर्व बॉक्सिंग कोच और वर्तमान में मंडी में जिला खेल अधिकारी पद पर तैनात नरेश ठाकुर के अनुसार आशीष का बचपन से बॉक्सिंग के प्रति जुनून रहा है। इसके बलबूते वह आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह ओलम्पिक में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पदक जीतकर आएंगे।