ब्रिटेन की महिला फुटबॉलरों ने घुटनों के बल बैठ किया नस्लवाद का विरोध

53 साल पहले हुआ था ब्लैक सैल्यूट 
नई दिल्ली।
रेफरी की सीटी बजते ही ब्रिटेन की महिला फुटबॉलरों ने एक-दूसरे को देखा और एक घुटने के बल बैठ गईं। विपक्षी की टीम चिली ने भी ऐसा किया। एक घंटे के बाद अमेरिकी और स्वीडिश खिलाड़ियों ने नस्लवाद के विरोध में यह कदम उठाया। टोक्यो ओलंपिक के पहले दिन ये नजारा देखने को मिला।
फीफा भी पहले मैदान में किसी भी तरह के विरोध के पक्ष में नहीं था लेकिन पिछले साल इस दिशा में नियमों में राहत दी क्योंकि अमेरिकी में एक अंग्रेज अधिकारी के हाथों अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद यूरोप में इसको लेकर खिलाड़ी विरोध कर रहे थे। पहले जर्सी पर भी कोई ऐसा स्लोगन लगाने पर रोक थी लेकिन बाद में फीफा ने रेफरियों से कहा कि वो खिलाड़ियों को विवेकपूर्ण निर्णय के साथ अनुमति दे दें। 
1968 के मेक्सिको सिटी खेलों में दो अश्वेत अमेरिकी एथलीटों टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने 200 मीटर की दौड़ जीतने के बाद पदक मंच पर ब्लैक पॉवर सैल्यूट किया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उन पर प्रतिबंध लगाया और उन्हें वापस अमेरिका भेज दिया गया। उन्होंने अमेरिका में अश्वेतों की बराबरी के लिए हो रहे संघर्ष के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए ऐसा किया।
ब्रिटेन की टीम ने चिली को पहले मैच में 2-0 से पराजित कर जीत के साथ अपने ओलंपिक अभियान की शुरुआत की। सैपोरो में बिना दर्शकों के खेले गए मैच में ब्रिटेन की ओर से इलेन व्हाइड ने दोनों हाफ में गोल किए। पहला गोल 18वें मिनट में जबकि दूसरा गोल 73वें मिनट में किया। 

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