सांक दत्ता ने हासिल की मुसीबतों पर फतह

अब योग को बनाया अपना पैशन श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। भीड़ हमेशा आसान रास्ते पर चलती है लेकिन जिन्हें अपनी मंजिल स्वयं हासिल करनी होती है वे मुसीबतों की परवाह किए बिना अकेले ही चल निकलते हैं। जिन सांक दत्ता को डाक्टरों ने कभी लाचार मान लिया था वही आज अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से संयुक्त अरब अमीरात में लोगों को योग के माध्यम से स्वस्थ जीवन का.......

आखिर नहीं मिल सकीं बलबीर सीनियर की अनमोल धरोहरें

1985 में दी थीं भारतीय खेल प्राधिकरण को खेलपथ विशेष नई दिल्ली। आखिरी समय तक उन्हें इंतजार था कि 1985 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को दी गई अनमोल धरोहरें वह एक बार फिर देख सकेंगे, लेकिन पिछले आठ साल में तमाम प्रयासों के बावजूद महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह की यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकी। तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सीनि.......

वॉलीबाल में जिम्मी जॉर्ज सा कोई नहीं

खेलपथ प्रतिनिधि ग्वालियर। जिम्मी जॉर्ज भारत में ऐसा नाम है, जिसे भारत में वॉलीबाल का ‘बादशाह’ कहा जाता है। वॉलीबाल के विश्व मैप पर भारत को सफलता के नये आयाम तक पहुंचाने वाले इस खिलाड़ी जैसा आज तक कोई नहीं हुआ। जिम्मी भारत के ऐसे पहले वॉलीबाल प्लेयर हैं जिन्होंने पेशेवर तरीके से वॉलीबाल खेलना शुरू किया था। आठ मार्च, 1955 को केरल में मालाबार क्ष.......

ब्लेड रनर शालिनी सरस्वती के हौसले को सलाम

श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। हमारे आसपास की दुनिया में कई बार ऐसे उदाहरण आते हैं, जो हमें अहसास दिलाते हैं कि हमारा जीवन रुकने का नाम नहीं है बल्कि आगे बढ़ने का नाम है। जीवन में कभी भी कोई भी मुसीबत आपको परेशान तो कर सकती है लेकिन आप का रास्ता नहीं रोक सकती है। आज हम आपको ऐसी ही कहानी बता रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप उस लड़की के जज्बे को सलाम करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। ये कहानी है शालिनी स.......

बछेंद्री पाल का खुलासा, ‘साथी नहीं चाहते थे कि एवरेस्ट चढ़ूं

खेलपथ प्रतिनिधि जमशेदपुर। पद्म भूषण से सम्मानित भारत की मशहूर पर्वतारोही बछेंद्री पाल आज अपना 66वां जन्मदिन मना रही हैं। बछेंद्री पाल ने 36 साल पहले 23 मई 1984 को सगरमाथा पर कदम रखकर नया इतिहास रचा था. बछेंद्री ने अपने पर्वतारोहण संबंधी.......

ऑटो चालक की बेटी दीपिका कुमारी बनी गोल्डन गर्ल,

रांची। 13 जून 1994 को झारखंड की राजधानी रांची में जन्मी दीपिका कुमारी ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपने राज्य का नाम रोशन किया। गरीबी में अपना बचपन बिताने वाली दीपिका के .......

पद्मश्री दीपा मलिक का संन्यास

सम्हाल चुकी हैं पैरालम्पिक अध्यक्ष की आसंदी खेल मंत्रालय का पीसीआई को मान्यता देने से इंकार खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी दीपा मलिक ने सक्रिय खेलों से संन्यास ले लिया है। उन्होंने यह फैसला इस साल (2020) की शुरुआत में भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) का अध्यक्ष बनने से पहले कर लिया था। दीपा ने इसका खुलासा सोमवार को किया। रियो पैरालम्पिक खेल 2016 की गोला फेंक की एफ-53 स्.......

नागपुर में ध्यान-योग की अलख जगातीं ऊषा त्रिपाठी

हंसमुख स्वभाव और सकारात्मक सोच के चलते सबकी प्रिय श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। एक शिक्षक का कर्तव्य सिर्फ छात्र-छात्राओं को शिक्षित करना ही नहीं बल्कि जीवन पर्यन्त समाज को नई दिशा दिखाना भी होता है। यह दुरूह कार्य वही कर सकता है जिसमें आत्मसंयम के साथ सकारात्मक सोच हो। चार दशक तक नई पीढ़ी में शिक्षा की अलख जगाने के बाद आज नागपुर (महाराष्ट्र) मे.......

झारखण्ड की लड़कियों के लिए स्कूल बनाएंगी मिस्सी फ्रैंकलिन

इस तैराक ने लंदन ओलम्पिक में चार स्वर्ण पदक जीते थे रांची। एक तरफ जहां हमारी हुकूमतें बेटियों की शिक्षा को लेकर ढुलमुल रवैया अपनाती हैं वहीं संन्यास के बाद सामाजिक कार्य को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने वाली लंदन ओलम्पिक (2012) की स्वर्ण पदक विजेता तैराक मिस्सी फ्रैंकलिन ने कहा कि वह झारखंड स्थित गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'युवा' के साथ काम कर रही हैं जिनका मकसद लड़कियों के लिए स्थायी स्कूल बनाना है। वह झारखण्ड की लड़कियों की शिक्षा के लि.......

मिल्खा सिंह ने अर्जुन पुरस्कार लेने से किया था मना

80 दौडों में जीती थीं 75 दौड़ खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। एथलेटिक्स में भारत का परचम लहराने वाले धावक मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को हुआ था, जिन्हें दुनिया फ्लाइंग सिख के नाम से जानती है. उन्होंने भारत के लिए कई रेस में भाग लिया और अधिकतर रेस में जीत दर्ज की. रिपोर्ट्स के अनुसार वह 75 रेस अपनी जीत दर्ज करवा चुके हैं. वहीं इतनी रेस जीतने के बावजूद देश ये जानना चाहता था कि साल 1960 के रोम ओलंपिक के फाइनल में 400 मीटर की दौड़ में स.......