पद्मश्री दीपा मलिक का संन्यास

सम्हाल चुकी हैं पैरालम्पिक अध्यक्ष की आसंदी
खेल मंत्रालय का पीसीआई को मान्यता देने से इंकार
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी दीपा मलिक ने सक्रिय खेलों से संन्यास ले लिया है। उन्होंने यह फैसला इस साल (2020) की शुरुआत में भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) का अध्यक्ष बनने से पहले कर लिया था। दीपा ने इसका खुलासा सोमवार को किया। रियो पैरालम्पिक खेल 2016 की गोला फेंक की एफ-53 स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली 49 साल की दीपा को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश पर फरवरी में हुए चुनाव मे पीसीआई का अध्यक्ष चुना गया था। खेल मंत्रालय ने पीसीआई को मान्यता देने से इंकार कर दिया है।
दीपा ने कहा, ‘किसने कहा कि मैंने आज संन्यास लेने की घोषणा की? नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले पिछले साल सितम्बर में ही मैंने संन्यास ले लिया था। मैंने सार्वजनिक घोषणा नहीं की थी।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने संन्यास से संबंधित पत्र पिछले साल (2019) सितम्बर में पीसीआई को सौंपा था जब चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद ही मैं पीसीआई अध्यक्ष पद के लिए चुनौती पेश कर पाई थी और मैंने चुनाव जीता और अध्यक्ष बनी।’ दीपा को पिछले साल देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था। दीपा ने सोमवार को ट्वीट किया था, जिसे उन्होंने बाद में हटा दिया। इस ट्वीट में कहा गया था, ‘चुनाव के लिए पीसीआई को बहुत पहले ही पत्र सौंप दिया था, नई समिति को स्वीकृति देने के लिए हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है और अब खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय से मान्यता के लिए सक्रिय खेलों से संन्यास की सार्वजनिक घोषणा करती हूं। पैरा खेलों की सेवा करने और अन्य खिलाड़ियों की मदद का समय है।’ 
रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के कारण कमर के नीचे लकवे की शिकार दीपा ने कहा कि उन्होंने सोमवार को पेंशन के लिए आवेदन दिया है, जिसकी पैरालम्पिक पदक विजेता होने के कारण वह हकदार हैं। उन्होंने कहा, ‘बात सिर्फ इतनी सी है कि मैंने पेंशन के लिए आवेदन दिया है। पीसीआई अध्यक्ष होने के कारण मैं अब प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले सकती, मैं नए सफर पर निकल चुकी हूं। लेकिन इसे गलत समझा गया और काफी लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि क्या आपने संन्यास ले लिया है।’
ये हैं उपलब्धियां-
दीपा ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि आज यह बड़ा मुद्दा क्यों बन गया क्योंकि मैं अब खेलों में सक्रिय नहीं हूं। मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा।’ देश की प्रतिष्ठित खिलाड़ियों में से एक दीपा को 1999 में रीढ़ के ट्यूमर का पता चला था, जिसके बाद वह कमर के नीचे लकवे की शिकार हो गईं। उन्होंने 2011 आईपीसी विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की गोला फेंक की एफ52-53 स्पर्धा में रजत पदक सहित कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते। दीपा ने एशिया पैरा खेलों में चार पदक जीते जिसमें 2010 में भाला फेंक की एफ52-53 स्पर्धा का कांस्य, 2014 में भाला फेंक की एफ52-53 स्पर्धा में रजत और 2018 में दो कांस्य पदक (चक्का फेंक एफ52-53 और भाला फेंक एफ53-54) शामिल हैं।
'...तो वह चुनाव कैसे लड़ती?'
दीपा को 2012 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पीसीआई के महासचिव गुरशरण सिंह ने पुष्टि की है कि दीपा ने चुनाव लड़ने से पहले अपने संन्यास लेने का पत्र जमा कराया था। उन्होंने कहा, ‘उसने पत्र जमा कराया था और चुनाव अधिकारी ने पत्र के कारण उसके नामांकन पत्र को स्वीकृति दी थी। अगर ऐसा नहीं होता को वह चुनाव कैसे लड़ती। गुरशरण ने कहा कि पीसीआई लॉकडाउन के कारण खेल मंत्रालय को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जमा नहीं करा पाया और यही कारण है कि खेल मंत्रालय ने सोमवार को उसे मान्यता नहीं दी।

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