बनना चाहती थी एथलीट, डिंको को देख बन गई बॉक्सर खेलपथ संवाद नई दिल्ली। कभी चाह थी एथलीट बनने की, लेकिन ये तो मैरीकॉम को भी नहीं पता था कि उनका साथ बॉक्सिंग के साथ ऐसा जुड़ेगा कि वो भारत की शान बन जाएंगी। मणिपुर के एक छोटे से गांव में 24 नवंबर, 1982 को मैरीकॉम का जन्म हुआ। असुविधा, गरीबी, समाज की बंदिशों से मैरीकॉम दो-चार हुईं, लेकिन लगन इतनी थी, कि ये सारी बातें पीछे रह गईं और सफलता कदम चूमने लगी। मैरीकॉम का झुकाव एथलेटिक.......
दिग्गज शूटर की कलम से नई दिल्ली। आखिरकार टोक्यो ओलम्पिक की शुरुआत होने जा रही है। ये अपने साथ मेरी अपनी यात्रा की ढेर सारी यादें ले आया है। 2004 में जब मैं एथेंस गया तो मेरे लिए सब कुछ नया और किसी परीकथा जैसा था। चार साल बाद बीजिंग में मेरा दिल उस समय टूट गया, जब एयर राइफल फाइनल में जगह बनाने से मैं सिर्फ एक प्वाइंट से चूक गया। लंदन 2012 में इसकी कुछ भरपाई हुई और मैंने कांस्य पदक जीता। 2016 की कहानी तो बिल्कुल ही अलग रही। एक प्रशंसक .......
दिग्गज मुक्केबाज ने साक्षात्कार में किया खुलासा नई दिल्ली। सच कहूं तो मैं टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतकर मुक्केबाजी को अलविदा कहना चाहती हूं। मैं सोचती हूं कि इसके बिना सारी उपलब्धि कम हैं। छह बार की विश्व चैंपियन और लंदन ओलम्पिक 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की स्टार मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम इस बार हर हाल में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं। मैरीकॉम का मानना है कि उन्होंने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया, लेकिन बस एक सपना ओलम्पिक का स्वर्ण पदक.......
साल दर साल बेहतर होता जा रहा है सिस्टम दिग्गज शटलर के विचार उसी की कलम से हैदराबाद। बहुत से लोगों में यह विश्वास काफी ज्यादा है कि हम टोक्यो 2020 में अपनी छाप छोड़ सकते हैं, खासतौर से जब हमारे खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में वैश्विक स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। अब सिर्फ क्रिकेट अकेला ही लाइमलाइट में नहीं रहता है। मुझे लगता है कि पिछले एक दशक में भारत में काफी शानदार बदलाव हुए हैं। अच्छे परिणाम के लिए यह सबसे अहम है। मैं यह स्.......
ओलम्पिक गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का थे हिस्सा कोलकाता। 1948 में लंदन व 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य केशव दत्त (95) का मंगलवार देर रात कोलकाता के संतोषपुर इलाके में स्थित उनके निवास स्थल में निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केशव दत्त उम्रजनित बीमारियों से ग्रस्त थे। मंगलवार रात करीब 12.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके पार्थिव शरीर को कोलकाता के ईस्टर्न मेट्रोपॉ.......
महिला क्रिकेट के सभी प्रारूपों में सर्वाधिक रन बनाने वाली बल्लेबाज ने कहा वार्सेस्टर। भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज ने कहा कि उनकी रन बनाने की भूख अब भी वैसी ही है जैसे 22 साल पहले हुआ करती थी और वह अगले साल न्यूजीलैंड में होने वाले वनडे विश्व कप के लिये अपनी बल्लेबाजी को नये मुकाम पर ले जाने की कोशिश कर रही हैं। मिताली की 89 गेंदों पर नाबाद 75 रन की पारी से भारत ने शनिवार को तीसरे और अंतिम वनडे में इंग्लैंड को 4 विकेट .......
2007 में छत्रसाल स्टेडियम में नहीं मिला था दाखिला नई दिल्ली। बजरंग पूनिया आज 65 किलोग्राम भारवर्ग में देश के ही नहीं, दुनिया के दिग्गज पहलवान हैं। टोक्यो ओलम्पिक में पदक के दावेदार बजरंग ने कभी खेल-खेल में पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए कुश्ती को चुन लिया था। पहलवान बजरंग पूनिया रियो में पदक की कमी टोक्यो ओलम्पिक में पूरा करना चाहते हैं। अखाड़े में उनके दांव-पेच ऐसे हैं कि प्रतिद्वंदी को जब तक कुछ समझ में आता है तब तक वह चित हो चु.......
वेटलिफ्टिंग में देश को ओलम्पिक पदक दिलाने वाली पहली महिला खेलपथ संवाद नई दिल्ली। ओलम्पिक मेडल विजेता कर्णम मल्लेश्वरी को दिल्ली सरकार ने दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया है। हरियाणा के यमुनानगर की रहने वाली मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलम्पिक में वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता था। कर्णम मल्लेश्वरी का रिकॉर्ड अब भी बरकरार है, क्योंकि भारत की किसी भी महिला ने ओलम्पिक में वेटलिफ्टिंग में मेडल नहीं जीता है।.......
मुक्केबाज विकास कृष्ण टोक्यो ओलम्पिक में है उम्मीद की किरण खेलपथ संवाद नई दिल्ली। बीजिंग ओलम्पिक में भारतीय बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह पुरुष बॉक्सिंग में भारत का पहला और आखिरी मेडल साबित हुआ है। टोक्यो ओलम्पिक में भारत का 13 साल का इंतजार खत्म हो सकता है क्योंकि तीसरी बार इस मेगा स्पोर्ट्स इवेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले 75 किलोग्राम कैटेगरी के विकास कृष्ण यादव अपने दमदार पंच की बदौलत मेडल के दावेदार हो सकते है.......
अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद ने साझा किए अनुभव खेलपथ संवाद हिसार। मैं जब ओलम्पिक में खेलता था तब कुश्ती में पदक ताकत के बल पर जीते जाते थे। जो खिलाड़ी जितना ज्यादा ताकतवर होता, उसके जीतने की सम्भावना उतनी ही अधिक होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कुश्ती ताकत के साथ-साथ तकनीक और शरीर के लचीलेपन के मिश्रण का खेल बन चुका है। आप तकनीकी रूप से जितने दक्ष होंगे, शरीर जितना लचीला होगा, आपके जीतने की सम्भावना उतनी अधिक होगी। यह कहना है देश क.......