टोक्यो में मैं स्वर्ण जीतना चाहती हूंः मैरीकॉम

दिग्गज मुक्केबाज ने साक्षात्कार में किया खुलासा
नई दिल्ली।
सच कहूं तो मैं टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतकर मुक्केबाजी को अलविदा कहना चाहती हूं। मैं सोचती हूं कि इसके बिना सारी उपलब्धि कम हैं। छह बार की विश्व चैंपियन और लंदन ओलम्पिक 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की स्टार मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम इस बार हर हाल में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं। मैरीकॉम का मानना है कि उन्होंने अपने जीवन में सब कुछ हासिल किया, लेकिन बस एक सपना ओलम्पिक का स्वर्ण पदक ही रह गया है। 
मैरी कहती हैं कि एशियन चैम्पियनशिप से भारत वापस आने के बाद मेरी तैयारी वास्तव में अच्छी चल रही थीं। दूसरी लहर के कारण प्रशिक्षण में व्यवधान के बावजूद मेरे प्रशिक्षकों की निगरानी में नियमित प्रशिक्षण सत्र जारी रहा था, जिसके बाद अभ्यास का आखिरी चरण इटली में शुरू हुआ और मैं हमेशा की तरह अपना सबकुछ दे रही हूं। पुणे में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन भारत से टोक्यो की यात्रा करने वालों पर सख्त यात्रा प्रतिबंध थे और मैं इससे बचना चाहता थी। इसलिए मैंने बाकी अपनी टीम के साथियों के साथ इटली जाना उचित समझा।
मेरा मानना है कि इतने सालों में बहुत कुछ नहीं बदला है। कुछ भी हो, मुक्केबाजी के लिए मेरा प्यार और भूख अभी भी कम नहीं हुई, बल्कि और बढ़ रही है। साथ ही मैं उम्र और समय के साथ अधिक अनुभवी और परिपक्व मुक्केबाज बन गई हूं। मैंने पिछले कुछ वर्षों में अपने शरीर को बेहतर ढंग से समझना शुरू कर दिया है और इस पर काफी काम किया है। अनुभव का कोई विकल्प नहीं है।
मैं वास्तव में रियो ओलम्पिक के लिए जगह नहीं बना पाने से बहुत निराश थी, लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं, मैं बहुत जिद्दी हूं और इसी कारण निराशा ने मुझे और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। मेरी जिद के कारण ही मेरा लक्ष्य था कि मैं कोई कसर न छोड़ूं और मजबूत होकर बेहतर वापसी कर सकूं। अब पांच वर्षों के बाद एक और ओलम्पिक खेलों में पंच लगाने के लिए तैयार हूं।
मैंने सब कुछ जीता है जो जीतने के लिए मैंने कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन इस बार मेरा सपना है कि ओलम्पिक स्वर्ण पदक पर कब्जा करूं और इसके लिए अपना सब कुछ झोंकने को तैयार हूं। मेरे हाथ में केवल कड़ी मेहनत है और बाकी सब मैं भगवान पर छोड़ कर ओलम्पिक जा रही हूं। मेरा मानना है कि ओलम्पिक जैसे बड़े आयोजन में आसान मुकाबले नहीं होते। सभी प्रकार के विरोधियों के लिए समान रूप से तैयार रहना होगा क्योंकि कोई भी मुक्केबाज किसी भी दिन जीत सकता है।

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