मैरीकाम से भी आगे निकलीं कविता चहल

नौ नेशनल खिताब जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज श्रीप्रकाश शुक्ला रोहतक। कहते हैं यदि कुछ हासिल करने की इच्छा-शक्ति हो तो वह एक न एक दिन जरूर मिलती है। कविता चहल बेशक मैरीकाम जैसी ख्यातिनाम मुक्केबाज न हों लेकिन राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी में वह उनसे भी आगे हैं। 81 किलोग्राम भारवर्ग में अपने दमदार पंचों से वह एक-दो नहीं अब तक नौ बार राष्ट्रीय च.......

नीलू मिश्रा ने जो कहा सो कर दिखाया

मलेशिया में जीते दो पदक, नीलू के खाते में अब 74 अंतरराष्ट्रीय पदक महिला सशक्तीकरण का नायाब उदाहरण श्रीप्रकाश शुक्ला वाराणसी। उम्र सिर्फ एक संख्या है। यदि आप में जीत और कुछ करने की इच्छा-शक्ति हो तो कोई कार्य असम्भव नहीं है। 47 साल की उम्र में 74 अंतरराष्ट्रीय पदक जीतकर वाराणसी की नी.......

बेरोजगारी ने उजाड़ी संसारपुर की हॉकी नर्सरी

भारत का राष्ट्रीय खेल है हॉकी। दुनिया के ओलंपिक खेलों में ऐसे भी दिन रहे कि किसी और खेल से चाहे स्वर्ण पदक न आये, लेकिन भारत को इस खेल में स्वर्ण पदक मिल ही जाता था। न मिलता तो उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान इसे जीत लेता। लेकिन दि.......

दद्दा ध्यानचंद: न भूतो, न भविष्यति

पुण्यतिथि पर विशेष श्रीप्रकाश शुक्ला ओलम्पिक के आठ स्वर्ण और एक विश्व खिताब का मदमाता गर्व हर भारतीय को कालजयी दद्दा ध्यानचंद की याद दिलाता है। नपे-तुले पास, चीते सी चपलता, दोषरहित ट्रेपिंग, उच्च स्तर का गेंद नियंत्रण और सटीक गोलंदाजी हॉकी के मूल मंत्र हैं, दद्दा ध्यानचंद की हॉकी भी मैदान में प्रतिद्वंद्वी को कुछ यही पाठ पढ़ाती थी। 29 अगस्त, 1905 को परतंत्र भारत के प्रयाग नगर में एक तंगहाल गली में सोमेश्वर दत्त सिंह के घर जन्मे ध्यान.......

देश की नंबर-1 रेसलर दिव्या को 1 बच्चे की मां ने दी करारी हार

खेलपथ प्रतिनिधि जालंधर। कहते है कि मां बनने के बाद एक महिला का जीवन बहुत ही बदल जाता है। हां, सच है क्योंकि महिला पहले से ज्यादा मजबूत हो जाती है। उसकी ममता उसकी कमजोरी नहीं ताकत बन जाती है। अपनी इसी ममता का परिचय देते हुए टाटा मोटर्स सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में एक बच्चे की मां अनीता श्योराण  ने गोल्ड हासिल किया। यह बात इससे भी ज्यादा खास है, क्योंकि अनीता ने इस चैंपियनशिप में कॉमनवेल्थ गेम्स की ब्रान्ज मेडलिस्ट दिव्या को ह.......

द वाल प्रणब राय अब थाईलैण्ड में दिखाएगा जौहर

स्पाइनल कार्ड इंजुरी के बाद कमबैक करने वाला पहला भारतीय धावक श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। खिलाड़ी का जीवन मुश्किलों भरा होता है। जो मुश्किलों पर फतह हासिल करता है वही मादरेवतन का मान बढ़ाता है। लगभग छह माह तक स्पाइनल कार्ड इंजुरी से जूझने के बाद अपने खिलाड़ी मित्रों में द वाल नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल के जांबाज धावक प्रणब राय अगले साल फरवरी माह.......

पहलवान कविता की हिम्मत को सलाम

हिम्मत वालों की कभी हार नहीं होती खेलपथ प्रतिनिधि मेरठ। हिम्मत हारने वालों को कुछ नहीं मिलता जिंदगी में, मुश्किलों से लड़ने वालों के पैरों में जहां होता है। अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी कविता गोस्वामी ने अपनी हिम्मत और हौसले से इस बात को सिद्ध कर दिखाया है। कविता को जीवन में इतने दर्द मिले कि दूसरा कोई होता तो टूटकर बिखर जाता लेकिन हिम्म.......

इंडियन बैडमिंटन टीम का सपोर्ट करेंगे सोनू सूद

छह खिलाड़ियों का उठाएंगे ट्रेवल और रहने का खर्चा खेलपथ प्रतिनिधि नई दिल्ली। बॉलीवुड के एक्टर सोनू सूद ने बैटमिंटन स्पोर्ट्स के लिए एक सराहनीय कार्य किया है। सोनू इन दिनों भले ही किसी फिल्म को लेकर चर्चा में न हों लेकिन उनकी एक पहल ने देशवासियों का दिल जीत लिया है। सोशल मीडिया से लेकर खेल जगत तक सोनू सूद की जमकर तारीफ की जा रही ह.......

भारतीय टीम टोक्यो में सेमीफाइनल खेलेगीः रानी रामपाल

संघर्ष से बहुत कुछ सीखा है खेलपथ प्रतिनिधि ग्वालियर। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल वैसे तो सिर्फ 24 साल की हैं, पर जब आप उनसे बात करेंगे तो उन्हें उनकी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व पाएंगे। वह कहती हैं, ‘मेरे संघर्ष ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया। उम्र से ज्यादा सिखा दिया।’ अपने गोल से भारतीय महिला हाकी टीम को टोक्यो ओलम्पिक का टिकट दिलाने वाली रानी कहती हैं कि हम रियो में बहुत खराब खेले थे लेकिन टोक्यो में ऐसा नह.......

हॉकी खिलाड़ी श्रीजेश बोले, शराब की तरह होते हैं गोलकीपर

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में शुमार भारतीय हॉकी स्टार पीआर श्रीजेश का मानना है कि गोलकीपर शराब की तरह होते हैं, जो समय के साथ निखरते जाते हैं। पूर्व कप्तान श्रीजेश ने कहा कि करियर के शुरुआती दौर में मिले झटकों ने उन्हें सबक सिखा दिया था कि नाकामी ही कामयाबी की नींव होती है। श्रीजेश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ''मेरे लिए शुरुआती कुछ साल काफी कठिन थे। मुझे अंतरराष्ट्रीय हॉकी को समझने में समय लगा। समय के साथ खेल बदला और तेज होता चला गया। हर टूर्नामेंट कुछ न कुछ सिखाकर जाता है।'.......