फेडरर के संन्यास पर भावुक हुए तेंदुलकर कहा- आदतें कभी नहीं छूटतीं, सभी अद्भुत यादों के लिए धन्यवाद लंदन। 20 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता रोजर फेडरर के संन्यास के ऐलान ने दुनिया भर में फैन्स को चौंका कर रख दिया। उनके इस फैसले से फैन्स निराश हैं। फेडरर अगले हफ्ते होने वाले रोड लेवर कप में आखिरी बार टेनिस कोर्ट में दिखेंगे। फेडरर आखिरी बार पिछले साल जुलाई में विम्बलडन में खेले थे। उस टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में उन्हें पोलैंड के हुबर्.......
देश ने टेनिस के महासंरक्षक को खोया खेलपथ संवाद कोलकाता। डेविस कप के कप्तान और लिएंडर पेस के मेंटर रहे पूर्व टेनिस खिलाड़ी नरेश कुमार का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी सुनीता, पुत्र अर्जुन और दो बेटियां गीता और प्रीआह हैं। वे पिछले हफ्ते से उम्र से संबंधित परेशानियों से जूझ रहे थे। नरेश कुमार की कप्तानी में डेविस कप में पदार्पण करने वाले जयदीप मुखर्जी ने कहा- आज हमने महान संरक्षक को खो दिया है। नरेश कुमार.......
क्रिकेट की तीनों शैलियों में अपने पहले शिकार क्लीन बोल्ड किए खेलपथ संवाद नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पहली बार शून्य पर आउट करने वाले, क्रिकेट की तीनों शैलियों में अपने पहले शिकार को क्लीन बोल्ड करने वाले और तीनों शैलियों में पांच-पांच विकेट लेने का कारनामा करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार सिंह ने हाल ही में एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में केवल चार ओवर में पांच विकेट लेकर ट.......
पिता और पुत्री दोनों अर्जुन अवार्डी -अर्जुन अवार्डी कोच कृपाशंकर बिश्नोई की कलम से- नई दिल्ली। पहलवान जगरूप सिंह राठी, एक ऐसे पिता के संघर्ष की कहानी, जिन्होंने अपनी बेटी की खातिर समाज के लोगों के ताने झेले। हर मोड़ पर बेटी के साथ खड़े रहे। खुद ही बेटी के ट्रेनिंग पार्टनर बने और उसे बुलंदियों तक पहुंचाया। यह कहना गलत नहीं होगा की महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित फिल्म दंगल, जगरूप राठी के जीवन से बिल्कुल मेल खाती है। पहलवान ज.......
ऐसे थे अपने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद बाले तिवारी ने की थी प्रतिभा की पहचान खेलपथ संवाद नई दिल्ली। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की विशिष्टताएं ही उन्हें महान खिलाड़ी बनाती थीं। दद्दा काफी मिलनसार थे उन्हें पराजय किसी भी सूरत में पसंद नहीं थी भले ही वह अभ्यास मुकाबला ही क्यों न हो। देखा जाए तो क्रिकेट में जो दर्जा डॉन ब्रेडमैन का है वही सर्वश्रेष्ठता हॉकी में दद्दा ध्यानचंद की भी है। क्रिकेट में अगर सर डॉन ब्रैडमैन है.......
राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त) पर विशेष -डॉ. पियूष जैन 29 अगस्त 1905 में इलाहाबाद में जब सोमेश्वर सिंह के घर ध्यानचंद का जन्म हुआ, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह बालक एक दिन खेल के क्षेत्र में पूरे विश्व में भारत देश की पताका ऐसी लहराएगा की एडोल्फ हिटलर भी उससे प्रभावित होकर उसे विशेष पदक के साथ जर्मन आर्मी में मेजर जनरल बनाने का प्रस्ताव देगा। जन्म तो ध्यानचंद का इलाहाबाद में हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही इनका पूरा परिवार झ.......
बचपन में ही उठ गया था सिर से पिता का साया पहलवान बेटी ने कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार तीसरी बार गोल्ड मेडल जीता खेलपथ संवाद चरखी दादरी। देश-दुनिया की धुरंधर पहलवानों में शुमार विनेश फोगाट के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था। पहलवान बेटी को सोने की चिड़िया बनाने का काम किसी और ने नहीं बल्कि उसकी मां ने किया। बर्मिंघम में स्वर्ण पदक जीतने के बाद देश खुश था तो दूसरी तरफ बेटी की उपलब्धि पर मां प्रेमलता की आंखों में आंसू थे।.......
जून में राष्ट्रमंडल खेलों के चयन ट्रायल के दौरान लगी थी चोट खेलपथ संवाद नई दिल्ली। छह बार की विश्व चैम्पियन मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम के बाएं घुटने की मंगलवार को सर्जरी हुई। जून में राष्ट्रमंडल खेलों के चयन ट्रायल के दौरान 48 किग्रा वर्ग के मुकाबले के शुरुआती मिनटों में ही इस अनुभवी मुक्केबाज का घुटना मुड़ने के कारण चोटिल हो गया था। यह सर्जरी मुंबई के अस्पताल में की गई। मैरीकॉम के कोच छोटे लाल यादव ने कहा, ‘मैरीकॉम के घुटने.......
वापसी के लिए जमकर तैयारी कर रहा है ओलम्पिक चैम्पियन खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष ने कहा चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों से नाम वापस लेने वाले ओलम्पिक चैम्पियन भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा 'मेडिकल आधार पर फिट' होने पर ही डायमंड लीग में भाग लेंगे। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने बताया कि 26 अगस्त से लुसाने में डायमंड लीग होनी है। चोपड़ा का नाम 26 अगस्त को होने वाले टूर्नाम.......
1956 में ओलम्पिक खेलों में किया था ऐतिहासिक कारनामा खेलपथ संवाद कोलकाता। भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान समर बदरू बनर्जी का निधन हो गया है। 1956 ओलम्पिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने उनकी अगुवाई में चौथे नम्बर तक का सफर तय किया था। ओलम्पिक के इतिहास में यह भारतीय फुटबॉल टीम का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। 92 साल के समर बदरू को 'बदरू दा' के नाम से जाना जाता था और वे लम्बे समय से बीमार थे। बदरू दा को अलजाइमर, अजोटेमिया, .......