पद्मश्री कृष्णा पूनिया का जवाब नहीं
2018 में सादुलपुर से बनीं कांग्रेस विधायक
देश के लिए कई मेडल जीते
खेलपथ संवाद
जयपुर। पद्मश्री कृष्णा पूनिया देश की जानी-मानी एथलीट और कांग्रेस विधायक हैं। गाय-भैंसों का दूध निकालने वाली इस महिला ने खेल के क्षेत्र में ही नहीं राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। इस खिलाड़ी शख्सियत ने देश के लिए कई मेडल जीते हैं।
हरियाणा में पैदा हुई कृष्णा पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स समेत कई खेलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। डिस्कस थ्रो में उन्होंने देश के लिए कई मेडल भी जीते हैं। कृष्णा ने खेलों के बाद राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बनी हैं। उनकी जिंदगी की कहानी बहुत दिलचस्प है। खेलों में आना हो या लव एट फर्स्ट साइट, सब कुछ किसी फिल्मी कहानी जैसा है।
5 मई, 1982 को हरियाणा के अगरोहा के एक जाट किसान परिवार में कृष्णा पूनिया का जन्म हुआ। इनके पिता का डेयरी फार्म हाउस था और शुरुआती जिंदगी में वह भी इसमें काम किया करती थीं। खुद कृष्णा ने बताया कि वह भी अपने घर वालों के साथ गाय-भैंस का दूध निकाला करती थी। कृष्णा ने अपने कोच से ही प्रेम विवाह किया और शादी के बाद राजस्थान में बस गईं।
कृष्णा पूनिया ने डिस्क्स थ्रो में देश के लिए कई पदक जीते हैं। उन्होंने 2006 में दोहा और 2010 में ग्वांगझू एशियाड में कांस्य पदक जीते। कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 में कृष्णा ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। साल 2011 में कृष्णा पूनिया को पद्मश्री से नवाजा गया था तो उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। खेलों में सफल पारी के बाद उन्होंने राजनीति की ओर रूख किया और साल 2013 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। चुरु जिले की सादुलपुर (राजगढ़) सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। इसके बाद भी इलाके में उन्होंने अपनी सक्रियता बनाए रखी और 2018 में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचीं।
कृष्णा पूनिया की लव स्टोरी भी काफी फिल्मी है। कृष्णा के पति वीरेन्द्र पूनिया से उनकी मुलाकात दोस्त की शादी फंक्शन में हुई थी। कृष्णा कहती हैं कि हम दोनों के लिए ही यह लव एट फर्स्ट साइट था। 24 नवम्बर, 1999 को दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद वीरेन्द्र पूनिया ने कोच के तौर पर भी कृष्णा की मदद की थी। दोनों का एक बेटा लक्ष्य है।
खिलाड़ी और राजनेता होने के साथ-साथ कृष्णा पूनिया उच्च शिक्षित भी हैं। उन्होंने जयपुर के कनेडिया कॉलेज से साइकोलॉजी में पढ़ाई की है। साल 2015 में कृष्णा के घुटने में इंजरी हुई थी। उन्होंने इस चोट के बाद भी वापसी करके दिखाया। अगस्त 2015 में ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद कई महीने तक रिहैबिलिटेशन चला लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एक महीने ट्रेनिंग की और दिल्ली और पटियाला में आयोजित दो एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीते।