कोच जय पाटिल का कहना मेरा शिष्य विकास जीतेगा मेडल

मुक्केबाज विकास कृष्ण टोक्यो ओलम्पिक में है उम्मीद की किरण खेलपथ संवाद नई दिल्ली। बीजिंग ओलम्पिक में भारतीय बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वह पुरुष बॉक्सिंग में भारत का पहला और आखिरी मेडल साबित हुआ है। टोक्यो ओलम्पिक में भारत का 13 साल का इंतजार खत्म हो सकता है क्योंकि तीसरी बार इस मेगा स्पोर्ट्स इवेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले 75 किलोग्राम कैटेगरी के विकास कृष्ण यादव अपने दमदार पंच की बदौलत मेडल के दावेदार हो सकते है.......

अब ताकत नहीं तकनीक का बोलबाला

अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद ने साझा किए अनुभव खेलपथ संवाद हिसार। मैं जब ओलम्पिक में खेलता था तब कुश्ती में पदक ताकत के बल पर जीते जाते थे। जो खिलाड़ी जितना ज्यादा ताकतवर होता, उसके जीतने की सम्भावना उतनी ही अधिक होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कुश्ती ताकत के साथ-साथ तकनीक और शरीर के लचीलेपन के मिश्रण का खेल बन चुका है। आप तकनीकी रूप से जितने दक्ष होंगे, शरीर जितना लचीला होगा, आपके जीतने की सम्भावना उतनी अधिक होगी। यह कहना है देश क.......

नहीं रहीं भारतीय महिला हॉकी महासंघ की पूर्व सचिव अमृत बोस

नई दिल्ली। भारतीय महिला हॉकी महासंघ की पूर्व सचिव अमृत बोस का निधन हो गया है। वह 84 वर्ष की थीं। उनके निधन के बाद खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। अमृत बोस भारतीय हॉकी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं। भारतीय महिला हॉकी महासंघ की सचिव होने के साथ-साथ अमृत बोस ने अंतरराष्ट्रीय तकनीकी अधिकारी और दिल्ली महिला हॉकी संघ के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।  अमृत के निधन पर हॉकी इंडिया ने गहरा शोक प्रकट किया। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो.......

हम सब स्तब्ध थे और मिल्खा बेहाल

साथी गुरबचन ने यूं बयां की वो हार नयी दिल्ली। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी दौड़ थी, लेकिन पलक झपकने के अंतर से मिल्खा सिंह पदक से चूक गए। रोम ओलम्पिक 1960 की उस दौड़ ने उन्हें ऐसा नासूर दिया जिसकी टीस जिंदगी भर उन्हें कचोटती रही । 91 वर्ष के फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद चंडीगढ में निधन हो गया।  रोम ओलम्पिक 1960 और टोक्यो ओलम्पिक 1964 में उनके साथी रहे बाधा धावक गुरबचन सिंह रंधावा उन चुनिंदा जीवित एथलीटो.......

मुश्किलों को मुस्कराते हुए जिए मिल्खा सिंह

ऐसे पड़ा ‘उड़न सिख’ नाम देश विभाजन की त्रासदी में अपनों को सदा के लिये खो देने का दु:ख लिये जब पाकिस्तान के गोविंदपुरा गांव से 16 बरस का लड़का मिल्खा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरा तो आंखें नम थीं मगर भीतर जीने का ज़ज्बा झलक रहा था। इसी स्टेशन से शुरू हुआ एक ऐसे सितारे का सफर, जिसने जीवन के थपेड़ों को सहते हुए अपनी चमक को कभी फीका नहीं पड़ने दिया।  जीवन के उतार-चढ़ाव के बीच मिल्खा हवा की तरह बस बहता चला गया। देश-प.......

तीन-चार दिन में ठीक हो जाऊंगा बच्चा

कोरोना संक्रमण के बाद कहा था मिल्खा सिंह ने खेलपथ संवाद नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण का पता चलने के बाद महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह ने कहा था कि वह जल्दी ठीक हो जायेंगे और उन्हें यकीन था कि अपनी स्वस्थ जीवन शैली और नियमित व्यायाम के दम पर वह वायरस को हरा देंगे। 91 वर्ष के मिल्खा का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में निधन हो गया। पंजाब सरकार ने मिल्खा सिंह के निधन पर एक दिन के राजकीय शोक की घो.......

यूं ही कोई फ्लाइंग सिख मिल्खा नहीं बन जाता

पाकिस्तान से मिला था उड़न सिख नाम खेलपथ संवाद चण्डीगढ़। एथलेटिक्स में भारत का परचम लहराने वाले महान धावक मिल्खा सिंह यूं नहीं फ्लाइंग सिख कहलाते थे। यूं तो मिल्खा ने भारत के लिए कई पदक जीते, लेकिन रोम ओलम्पिक में उनके पदक से चूकने की कहानी लोगों को आज भी याद है। अब खेलों में भारत का महानायक फ्लाइंग सिख हमारे बीच नहीं दिखेगा, क्योंकि लगभग 30 दिन तक कोरोना से लड़ाई लड़ने के बाद ये योद्धा जिंदगी की जंग हार गया।  1958 ओलम्पिक.......

हमेशा के लिए उड़ गए फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह

देश ने खो दिया खेलों का महानायक खेलपथ संवाद चंडीगढ़/पंचकूला। भारत के महान फर्राटा धावक ‘फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद पीजीआई में निधन हो गया है। महान धावक मिल्खा सिंह की हालत देर शाम से नाजुक बताई जा रही थी। उनका ऑक्सीजन स्तर गिर गया और उन्हें बुखार भी आ गया था। वह अंत समय तक संघर्ष करते रहे। पीजीआईएमईआर में 18 जून को रात 11.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह को तीन जू.......

नहीं रहे स्वतंत्र भारत के पहले एथलीट सूरत सिंह माथुर

कोरोना संक्रमण से निधन नई दिल्ली। भारत के लिए 1951 एशियाई खेलों के मैराथन कांस्य पदक जीतने वाले और 1952 के ओलम्पिक में भाग लेने वाले सूरत सिंह माथुर का यहां कोविड-19 महामारी के चपेट में आने से निधन हो गया। वह 90 साल के थे। उनके भतीजे अनिल माथुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, 'मेरे चाचा का कोविड-19 के कारण निधन हो गया। वह एक ओलंपियन थे और पहले एशियाई खेलों के पदक विजेता भी थे।'  भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने ट्वीट.......

चकमा देने में सिद्धहस्त थे कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू

अन्तरराष्ट्रीय प्रेस ने उन्हें माना था हॉकी का ब्रेडमैन श्रीप्रकाश शुक्ला लखनऊ। जो लोग महान हॉकी खिलाड़ियों की धूल भी नहीं हैं वे आज महान कहलाने का भ्रम पाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश खासकर लखनऊ के लोग इस बात को बखूबी जानते हैं। खैर आज हम हॉकी के ब्रेडमैन माने जाने वाले कालजयी कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू के बारे में कुछ लिखने और नई पीढ़ी को उनक.......