यूं ही कोई फ्लाइंग सिख मिल्खा नहीं बन जाता

पाकिस्तान से मिला था उड़न सिख नाम खेलपथ संवाद चण्डीगढ़। एथलेटिक्स में भारत का परचम लहराने वाले महान धावक मिल्खा सिंह यूं नहीं फ्लाइंग सिख कहलाते थे। यूं तो मिल्खा ने भारत के लिए कई पदक जीते, लेकिन रोम ओलम्पिक में उनके पदक से चूकने की कहानी लोगों को आज भी याद है। अब खेलों में भारत का महानायक फ्लाइंग सिख हमारे बीच नहीं दिखेगा, क्योंकि लगभग 30 दिन तक कोरोना से लड़ाई लड़ने के बाद ये योद्धा जिंदगी की जंग हार गया।  1958 ओलम्पिक.......

हमेशा के लिए उड़ गए फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह

देश ने खो दिया खेलों का महानायक खेलपथ संवाद चंडीगढ़/पंचकूला। भारत के महान फर्राटा धावक ‘फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद पीजीआई में निधन हो गया है। महान धावक मिल्खा सिंह की हालत देर शाम से नाजुक बताई जा रही थी। उनका ऑक्सीजन स्तर गिर गया और उन्हें बुखार भी आ गया था। वह अंत समय तक संघर्ष करते रहे। पीजीआईएमईआर में 18 जून को रात 11.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह को तीन जू.......

नहीं रहे स्वतंत्र भारत के पहले एथलीट सूरत सिंह माथुर

कोरोना संक्रमण से निधन नई दिल्ली। भारत के लिए 1951 एशियाई खेलों के मैराथन कांस्य पदक जीतने वाले और 1952 के ओलम्पिक में भाग लेने वाले सूरत सिंह माथुर का यहां कोविड-19 महामारी के चपेट में आने से निधन हो गया। वह 90 साल के थे। उनके भतीजे अनिल माथुर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, 'मेरे चाचा का कोविड-19 के कारण निधन हो गया। वह एक ओलंपियन थे और पहले एशियाई खेलों के पदक विजेता भी थे।'  भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने ट्वीट.......

चकमा देने में सिद्धहस्त थे कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू

अन्तरराष्ट्रीय प्रेस ने उन्हें माना था हॉकी का ब्रेडमैन श्रीप्रकाश शुक्ला लखनऊ। जो लोग महान हॉकी खिलाड़ियों की धूल भी नहीं हैं वे आज महान कहलाने का भ्रम पाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश खासकर लखनऊ के लोग इस बात को बखूबी जानते हैं। खैर आज हम हॉकी के ब्रेडमैन माने जाने वाले कालजयी कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू के बारे में कुछ लिखने और नई पीढ़ी को उनक.......

गोलों पर दस साल बाद बात करेंगे सुनील क्षेत्री

भारतीय फुटबॉल के हीरो की एक अपील ही काफी है नई दिल्ली। दो जून साल 2018 को भारतीय फुटबॉल के कप्तान सुनील छेत्री ने प्रशंसकों से हाथ जोड़कर एक अपील की थी। वह यह थी कि प्रशंसक चाहे भले ही उन्हें गालियां दें, आलोचना करें, लेकिन मैच देखने स्टेडियम में जरूर आएं और खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएं, जिसके बाद प्रशंसकों ने सुनील को निराश नहीं किया और मुंबई में खेले जाने वाले इस मैच में अंधेरी का फुटबॉल स्टेडियम खचाखच भर गया और सुनील ने हाथ जोड़कर सभी का अ.......

दो बच्चों की मां सिनैड 44 की उम्र में ओलम्पिक में करेंगी पदार्पण

नारी शक्ति के लिए एक मिसालः तीन सदस्यीय टीम में 32 साल की पशले सबसे छोटी होंगी नई दिल्ली। चालीस साल की उम्र से पहले ही ज्यादातर खिलाड़ी खेल को अलविदा कह देते हैं। खासकर एथलेटिक्स में। पर ऑस्ट्रेलिया की सिनैड डाइवर 44 की उम्र में खेलों के महाकुंभ ओलम्पिक में पदार्पण करने जा रही हैं। दो बच्चों की मां सिनैड को दो अन्य साथियों के साथ ऑस्ट्रेलिया की मैराथन टीम में शामिल किया गया है।  इन तीनों की संयुक्त उम्र 118 साल है। आयरिश मूल की .......

महामारी के बीच ओलम्पिक टिकट असाधारण उपलब्धि

अभिनव बिंद्रा ने खिलाड़ियों को सराहा नई दिल्ली। ‘मुझे आप पर गर्व है और आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं कि आप भारत में और अधिक ओलम्पिक गौरव लाने की अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं। अगर आपको किसी सहायता की आवश्यकता है या आप केवल खेलों में मेरे अनुभवों पर चर्चा करना चाहते हैं, तो मैं यहां हमेशा उपलब्ध हूं।’ इन शब्दों के साथ बिन्द्रा ने ओलम्पिक क्वालीफाई करने वालों की उपलब्धि को असाधारण करार दिया। ओलम्पिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक ज.......

डॉ. अविनाश कौर सिद्धू लाजवाब खिलाड़ी और शानदार प्रशासक

खेलों की नायाब  योद्धा श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। खेलों में मध्य प्रदेश की महिला खिलाड़ियों में डॉ. अविनाश कौर सिद्धू वह नाम है जिसे हम खेलों की महायोद्धा कहें तो अतिश्योक्ति न होगी। यद्यपि उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसकी कि वह हकदार हैं। मध्य प्रदेश महिला हाकी एकेडमी की पहली प्रशिक्षक अविनाश कौर सिद्धू रहीं। उनका अनुशासन लोगों को रास नहीं आया और वह खिलाड़ियों को अपना हुनर लम्बे समय तक नहीं सिखा सकीं। शायद बहुत कम लोगों को पता.......

मिल्खा सिंह को मिली अस्पताल से छुट्टी

ऑक्सीजन और पोषण संबंधी सपोर्ट पर हैं चंडीगढ़। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती दिग्गज धावक मिल्खा सिंह को ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने के बाद भी रविवार को ‘स्थिर हालत' में अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। वह ऑक्सीजन और पोषण संबंधी सपोर्ट पर हैं। भारत के 91 साल के इस पूर्व महान खिलाड़ी को परिवार के अनुरोध पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी, जबकि 82 साल की उनकी पत्नी निर्मल कौर को शनिवार रात को ऑक्सीजन की.......

मुक्केबाजी के पहले द्रोणाचार्य ओपी भारद्वाज का निधन

10 दिन पहले पत्नी का हुआ था देहांत! नयी दिल्ली। मुक्केबाजी में भारत के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच ओपी भारद्वाज का लम्बी बीमारी और उम्र संबंधी परेशानियों के कारण शुक्रवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। उनकी पत्नी संतोष का 10 दिन पहले ही बीमारी के कारण निधन हो गया था।  भारद्वाज को 1985 में द्रोणाचार्य पुरस्कार शुरू किये जाने पर बालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती) और ओएम नाम्बियार (एथलेटिक्स) के साथ प्रशिक्षकों को दिये जाने.......