महिला एथलीटों को मानसिक यातना देता जेंडर टेस्ट

कई भारतीय खिलाड़ियों को बनाया अपना ग्रास श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। किसी एथलीट से यह कहना कि वह महिला तो है लेकिन उसके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा अधिक होने के कारण वह स्त्री वर्ग में नहीं आ सकती अपने आप में उसके लिए असहनीय मानसिक यातना देने वाला कदम है। जेंडर टेस्ट न केवल महिला एथलीटों के लिए मानसिक यातना देने वाला कदम है बल्कि मानवाधिक.......

जोश, जुनून और जिद से जीता थॉमस कप

भारतीय शटलरों के पराक्रम को हिन्दुस्तान का सलाम श्रीप्रकाश शुक्ला नई दिल्ली। भारतीय युवाओं में अब असम्भव को सम्भव कर दिखाने का गुण पैदा हो चुका है। वे लगातार अपने जोश, जुनून और हार न मानने की जिद से उस मिथक को तोड़ रहे हैं जिसे कल तक असम्भव की संज्ञा प्राप्त थी। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि 73 साल से बैरंग लौट रहे भारतीय इस बार थॉमस कप के साथ लौटेंगे। आज हर भारतीय गौरवान्वित है कि उसके युवाओं ने टीम भावना से उस मुराद को पूरा क.......

42 साल बाद बैडमिंटन में भारत ने लिखी एक और गौरवगाथा

इंग्लैंड ओपन की जीत के लम्बे समय बाद थॉमस कप फतह  खेलपथ संवाद नई दिल्ली। भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने 14 बार की चैम्पियन इंडोनेशिया को हराकर थॉमस कप का खिताब अपने नाम किया है। यह पहला मौका है, जब टीम इंडिया ने यह खिताब जीता है। इससे पहले कभी भी भारतीय टीम इस प्रतियोगिता के फाइनल में भी नहीं पहुंची थी। फाइनल में भारत ने इंडोनेशिया को 3-0 के अंतर से हराकर एकतरफा जीत दर्ज की और इतिहास रच दिया। इस खेल में भारत के उदय की शुरुआत 42 स.......

भारत में स्पोर्ट्स बजट प्रति व्यक्ति 10 पैसा भी नहीं

चीन भारतीय खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा क्यों नहीं? श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। भारत में खेलों का स्याह सच हर किसी को पता है लेकिन किसी माई के लाल में दम नहीं कि वह केन्द्रीय खेल मंत्रालय, बिना दांत के हाथी भारतीय खेल प्राधिकरण और स्वनामधन्य भारतीय ओलम्पिक संघ के खिलाफ मुंह खोल सके। हमारे राजनीतिज्ञ प्रायः मुल्क की तुलना अपने पड़ोसी देश चीन.......

आओ खेलों की चोचलेबाजी पर ताली पीटें

विश्व एथलेटिक्स दिवस पर विशेष श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। खेलों में हर दिन और हर पल का महत्व है। खेलों को बढ़ावा देने के लिए हमारी हुकूमतें पिछले 75 साल से हाथ-पैर मारते हुए आर्थिक रूप से कमजोर मुल्क का बेशकीमती पैसा पानी की तरह बहा रही हैं। खेलो इंडिया, फिट इंडिया जैसे कार्यक्रम राष्ट्रीय खेल संगठनों तथा खेलनहारों की मौज-मस्ती का पैगाम .......

बड़बोले टीम मैनेजर की नासमझी से जीवाजी विश्वविद्यालय शर्मसार

आल इंडिया यूनिवर्सिटी चैम्पियन हॉकी बेटियां निराश श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। हर खिलाड़ी का यूनिवर्सिटी खेलों में हिस्सा लेना और पदक जीतना एक सपना होता है लेकिन बिना खेले ही यदि खिलाड़ी या टीम को आयोजन स्थल से वापस लौटना पड़े तो उस पर क्या बीतती होगी इसका अंदाजा सिर्फ और सिर्फ एक खिलाड़ी ही लगा सकता है। बेंगलूरु में चल रहे खेलो इंडिया यू.......

हरियाणा बना स्पोर्ट्स का पॉवर हाउस

540 करोड़ के खेल बजट का प्रावधान श्रीप्रकाश शुक्ला चण्डीगढ़। हरियाणा खेलों में उत्कृष्टता के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। खिलाड़ियों को नौकरी में वरीयता देने के साथ हरियाणा अपने यहां नियमित प्रशिक्षक रख रहा है। प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने के वास्ते सरकार ने खेलों का बजट 540 करोड़ का फैसला लिया है जोकि अ.......

किसान की बेटी ज्योति ने जूडो में कमाया नाम

खेलपथ संवाद नई दिल्ली। किसान की बेटी ज्योति ने जूडो में अपने दम पर राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। गांव सौंगल निवासी 20 वर्षीय ज्योति ने बताया कि 5 साल पहले उन्होंने गांव में ही डीपीई संदीप कुमार के पास जूडो खेलना शुरू किया था। उसके बाद कोच चेतन और कोच सोनू ने उन्हें जूडो का अभ्यास करवाया। अब गांव में ही अभ्यास कर रही हैं और करीब 20 खिलाड़ियों को अभ्यास करवा रही हैं। पिता रामनिवास खेती करते हैं। घर में मां गुड्डो देवी और बड़ा भाई अजय हैं। खेल .......

लड़कों संग खेलकर शैफाली बनी बेजोड़ क्रिकेटर

खेलपथ संवाद नई दिल्ली। जुनून सफलता की गारंटी है! भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टॉर बल्लेबाज शैफाली वर्मा ने इसे सच साबित कर दिखाया है। क्रिकेट का इन्हें इतना जुनून था कि अकादमी में दाखिला लेने के लिए उन्होंने कई साल तक लड़कों के कपड़े पहने। लड़कों की कटिंग करवा कर क्रिकेट की ट्रेनिंग ली। लड़कों के साथ क्रिकेट खेली और उनकी गेंदों पर भी चौके-छक्के लगाए।  शैफाली आईसीसी-टी-20 रैकिंग में नंबर एक महिला बल्लेबाज बनीं। उन्होंने 15 साल की.......

बुलंद हौसलों से मिली सविता पूनिया को हॉकी में मंजिल

खेलपथ संवाद नई दिल्ली। सिरसा के ग्रामीण अंचल में जन्मी सविता पूनिया के हॉकी खेलने के जुनून ने उन्हें भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान तक पहुंचा दिया। उनकी गिनती सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरोंं में होती है। हॉकी में ओलम्पिक खेल चुकीं सविता पूनिया का जन्म 11 जुलाई, 1990 को सिरसा के गांव जोधकां के डॉ. महेंद्र पूनिया के घर हुआ। स्कूली समय में 14 वर्ष की उम्र में वर्ष 2004 में शिक्षक केवल कंबोज ने उन्हें हॉकी थमाई। उसके बाद सविता अपने खेतों में अभ्यास करन.......