ओलम्पिक न हुए तो...।

80 फीसदी जापानी नहीं चाहते कि ओलम्पिक खेल हों श्रीप्रकाश शुक्ला जापान मुश्किलों का सबसे बड़ा लड़ाका है। 57 साल पहले वह खेलों के महाकुम्भ ओलम्पिक का शानदार आयोजन कर दुनिया को यह साबित कर चुका है। कोरोना संक्रमण से जहां दुनिया हलाकान है, हर देश की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गई है, ऐसे नाजुक दौर में भी जापान बहुत खर्चीले ओलम्पिक खेलों के आयोजन को तैयार है। यदि ओलम्पि.......

टीम इंडिया में समस्या चोट की नहीं, फिटनेस की है

हमारा फिटनेस सिस्टम ही दशकों पीछे मुम्बई। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खिलाड़ियों की चोट ने लोगों को असमंजस में डाला, लेकिन यह चिंताजनक नहीं है, जैसा दिख रहा है। सभी चोट खराब फिटनेस मैनेजमेंट के कारण नहीं हैं। पहले ईशांत शर्मा और रोहित शर्मा पर आते हैं। दोनों दौरे के पहले से चोटिल थे। ईशांत फिट थे, लेकिन गेंदबाजी के लिए फिट नहीं थे। फिटनेस दो तरह की हाेती है। मैच फिटनेस और सामान्य फिटनेस। इशांत टेस्ट में 25-30 ओवर फेंकने के लिए फिट नहीं थे। वे.......

भारतीयों की गाबा में बल्ले से बल्ले-बल्ले

श्रीप्रकाश शुक्ला क्रिकेट को गाली देने वालों के लिए यह एक सबक है। ऐसे वक्त में जब टीम में रेगुलर कप्तान न हो, आधे खिलाड़ी चोटिल हों, शृंखला के पहले मैच में भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे न्यूनतम स्कोर पर टीम हारी हो, टीम की कोशिश मैच बचाने की हो और टीम परदेश की तूफानी पिचों पर जीत छीन ले तो निस्संदेह यह चमत्कार जैसा ही है। चमत्कार किया ऐसे खिलाड़ियों ने, जिन्हें मुख्य खिलाड़ियों के चोटिल होने के कारण टीम में जगह मिली थी। सही मायनों में यह जी.......

समानता की संवेदना इंसानियत का तकाजा

निस्संदेह किसी सभ्य समाज में किसी भी किस्म के नस्लवाद का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। खासकर खेल की दुनिया में तो कतई नहीं, जो मनुष्य के उदात्त जीवन मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। आज 21वीं सदी में किसी समाज के लिये ऐसी सोच का होना शर्मनाक है। पिछले दिनों सिडनी में भारत व आस्ट्रेलिया के बीच तीसरे टेस्ट मैच के दौरान जो कुछ भी अप्रिय घटा, वह बताने वाला था कि खुद को सभ्य बताने वाले विकसित देशों के कुछ लोग आज भी मानसिक दुराग्रहों से मुक्त नहीं हो पाये हैं।   .......

खेलों में उम्मीद जगाते भारतीय युवा

खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स से मिली संजीवनी श्रीप्रकाश शुक्ला ग्वालियर। खेलों में भारतीय अतीत बेशक बहुत गौरवशाली न हो लेकिन बदलते समय के साथ हम अपने युवा खून से अंतरराष्ट्रीय फलक पर पदकों की उम्मीद कर सकते हैं। खेल कोई भी हो हमारे युवा खिलाड़ी धीरे-धीरे ही सही जीतना सीख रहे हैं। खिलाड़ियों को जीत का मंत्र हमारे.......

भारतीय उम्मीदों का बोझ ढोती खिलाड़ी बेटियां

टोक्यो ओलम्पिक में बेटियों से बढ़ी उम्मीद श्रीप्रकाश शुक्ला नई दिल्ली। आज बेटियां हर क्षेत्र में मादरेवतन का मान बढ़ा रही हैं। पिछले ओलम्पिक को ही लें जब हमारे पुरुष खिलाड़ी देश को लजा रहे थे ऐसे मुश्किल समय में शटलर पी.वी. सिन्धू और पहलवान साक्षी मलिक ने अपने दमदार खेल से न केवल मेडल जीते बल्कि हिन्दुस्तान की कटती नाक को भी बचा लिया। कोरोना संक्रमण के बाद एक-एक कर खेल गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं ऐसे में हर भारतीय खेलप्रेमी के मन .......

मां लक्ष्मी के नक्शेकदम पर चल रही गायत्री

आज की पीढ़ी को मिल रही हैं सुविधाएं पुलेला जी होते मेरे कोच तो मैं भी जीतती ओलम्पिक मेडलः पीवीवी लक्ष्मी श्रीप्रकाश शुक्ला देश में बैडमिंटन को पूरी तरह से समर्पित बस एक ही परिवार नजर आता है, वह है गुरु द्रोणाचार्य पुलेला गोपीचंद का। कहते हैं बेटी में अपनी मां के गुण होत.......

कमजोर मनोबल से शर्मनाक हार

हार-जीत खेल का हिस्सा है लेकिन एडीलेड टेस्ट में पहली बार खेली गई गुलाबी गेंद ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में काला अध्याय लिख दिया। रक्त जमाती सर्दी में भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की धड़कनें तब थम गईं जब पूरी भारतीय क्रिकेट टीम पहले रात-दिन के टेस्ट मैच में 36 रन पर सिमट गई। क्रिकेट टीम न केवल आठ विकेट से हारी बल्कि भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे कम रन बनाकर हारी।  आज से 46 साल पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने 1974 के लॉडर्स टेस्ट मैच में सिर्फ 42.......