महिला यौन शोषण के मामलों का असली दोषी कौन?
भारतीय खेल प्राधिकरण, खेल संगठन या फिर समूचा खेलतंत्र
अब महिला टीम के साथ महिला कोच या महिला मैनेजर ही जाएगी
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर। खेलों में महिला यौन शोषण के मामलों में लगातार हो रहे इजाफे से भारतीय खेल प्राधिकरण ही नहीं समूचा खेलतंत्र संदेह के घेरे में आ गया है। हाल ही एक महिला साइकिलिस्ट और महिला नाविक ने जिस तरह प्रशिक्षकों पर शारीरिक शोषण के आरोप लगाए हैं, उससे उन अभिभावकों को आघात पहुंचा है जोकि अपनी बेटियों को खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि यौन शोषण के मामलों में असली कसूरवार कौन है?
हमारे देश में गुरु को सबसे बड़ा ओहदा प्राप्त है लेकिन खेलों में यही गुरु घण्टाल बेटियों के दैहिक शोषण के मुख्य आरोपी माने जा रहे हैं। कुछ माह पहले भारतीय ओलम्पिक संघ के एक बड़े पदाधिकारी के आपत्तिजनक फोटोग्राफ्स जिस तरह सोशल मीडिया में वायरल हुए थे, उससे तो यही लगता है कि खेलों की समूची गंगोत्री ही मैली हो चुकी है। देखा जाए तो देश में खेलों की सबसे बड़ी संस्था भारतीय खेल प्राधिकरण के तहत चलने वाले खेल संस्थानों पर महिला सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं लेकिन खेलों का स्याह सच यह है कि बेटियां कहीं सुरक्षित नहीं हैं।
साल 2020 में भारतीय खेल प्राधिकरण में महिला सुरक्षा को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने एक आरटीआई दायर की थी जिसके तहत यह जानकारी निकल कर सामने आई थी कि साई के अंतर्गत आने वाले देश के 24 अलग-अलग संस्थानों में पिछले 10 साल में 45 केस महिलाओं के साथ यौन शोषण के आये हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मामले कोच और खिलाड़ियों के बीच के हैं। यह आंकड़े सिर्फ साई के हैं बाकी राज्यों में काम कर रही खेल इकाइयों पर गहन मंथन करें तो महिला यौन शोषण के मामले प्रतिवर्ष सैकड़ों में सामने आते हैं लेकिन उन पर वाजिब कार्रवाई होने की बजाय, अर्जियों को या तो फर्जी करार दिया जाता है या फिर पीड़ित को ही करियर चौपट करने की धमकी देकर चुप कर दिया जाता है।
खैर, अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को आरटीआई में साई की तरफ से जो जानकारी दी गई थी, उन 45 मामलों में से 29 मामले ऐसे थे जो सीधे-सीधे कोच के ही खिलाफ थे। साई ने उन मामलों को रोकने में यदि कोई कठोर कार्रवाई की होती तो शायद आज जो मामले भारतीय खेलतंत्र पर कालिख पोत रहे हैं, उनकी नौबत ही नहीं आती। देखा जाए तो यौन शोषण मामलों में से ज्यादातर के आरोपियों को मामूली सजा देकर छोड़ दिया जाता है। पिछले मामलों में भी आरोपी को या तो मामूली सजा दी गई या फिर उसका तबादला कर दिया गया। इतना ही नहीं कुछ गुरु घण्टालों के वेतन में से मामूली कटौती कर दी गई। अफसोस की बात है कि कई मामलों में तो आज तक जांच ही पूरी नहीं हो पाई है। साई के इस लापरवाह और ढीले रवैये के चलते कई खिलाड़ी बेटियां अपनी फरियाद भी नहीं कर पातीं। साई ने जो जानकारी आरटीआई में दी उसे भी सच मान लेना ठीक नहीं होगा क्योंकि कई बार कोच पर कई मामले दर्ज ही नहीं हो पाते।
साई की पूर्व चीफ नीलम कपूर ने फरवरी, 2018 में पदभार सम्हालने के बाद कहा था कि मैं तो यौन शोषण पर इतने पेंडिंग मामले देखकर ही हैरान रह गई थी। मुझे तो लगता है कि यह संख्या सही मायने में काफी कम है क्योंकि बहुत सारी लड़कियां तो डर और लोकलाज की खातिर केस ही दर्ज नहीं कराती हैं। इसी तरह भारतीय खेल प्राधिकरण के एक और पूर्व महानिदेशक, जिजी थॉमसन ने कहा था कि खिलाड़ी अक्सर अपनी शिकायतें वापस ले लेते हैं या अपने बयान बदल देते हैं क्योंकि उनके करियर पर असर पड़ने का डर होता है, जिससे उनके लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।
भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्व प्रमुखों की बातें चिन्ता में डालने वाली हैं। हाल ही महिला यौन शोषण के दो मामले आने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण ने विदेशी दौरों पर अब महिला टीम के साथ महिला कोच या सपोर्ट स्टॉफ भेजना जरूरी कर दिया है। साई का निर्देश है कि अगर महिला कोच या सपोर्ट स्टाफ उपलब्ध नहीं है तो सरकारी खर्च पर टीम के साथ महिला मैनेजर ले जाना जरूरी होगा। साई ने यह निर्देश सभी राष्ट्रीय खेल संघों को दिए हैं। साई महानिदेशक ने सभी खेल संघों को विदेशी दौरों और राष्ट्रीय शिविर में लैंगिक समानता का पालन करते हुए महिला प्रशिक्षकों की तैनाती करने को कहा है।
हाल ही महिला खिलाड़ियों की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने साई को नोटिस भेजा था। नोटिस के बाद सभी राष्ट्रीय खेल संघों की बैठक बुलाई गई और कहा गया कि लैंगिक समानता का पालन हर हाल में किया जाना जरूरी है। इसका पालन विदेशी दौरों ही नहीं राष्ट्रीय खेल प्रशिक्षण शिविरों में भी करना होगा। साई के इस फरमान पर खेल संगठन पदाधिकारियों ने महिला प्रशिक्षकों की कमी का जिक्र किया। खेल संगठनों द्वारा महिला प्रशिक्षकों की कमी का दुखड़ा सुनाने पर साई ने खेल संघों को टीम के साथ महिला मैनेजर या फिर महिला सपोर्ट स्टाफ को तैनात करने को कहा।
कुछ खेल संघों ने कहा कि विदेशी दौरे पर एक कमरे में दो लोगों को ठहराने की व्यवस्था है। महिला खिलाड़ियों की विषम संख्या (3,5,7) होने पर एक खिलाड़ी के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था करनी पड़ती है। खेल संघों की इस बात पर साई ने स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति में खिलाड़ी को अलग कमरे में ठहराया जाए, इस खर्च को भारतीय खेल प्राधिकरण वहन करेगा। साइकिलिंग मामले में भी यही हुआ था। पीड़ित के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था नहीं हुई थी। विवाद बढ़ने पर साइकिलिंग फेडरेशन के कहने पर पीड़ित महिला खिलाड़ी को अलग कमरे में ठहराया गया था।
साइकिलिंग कोच किया बर्खास्त
शीर्ष भारतीय महिला साइकिलिस्ट की ओर से राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच आर.के. शर्मा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद, भारतीय खेल प्राधिकरण ने उनका अनुबंध समाप्त कर दिया। साई को दी गयी अपनी शिकायत में साइकिलिस्ट ने दावा किया था कि शर्मा ने मई में स्लोवेनिया में एक प्रशिक्षण शिविर के दौरान कई बार उसके साथ अनुचित व्यवहार किया था। महिला साइकिलिस्ट का मामला शांत भी नहीं हुआ कि एक महिला नाविक ने भी कोच पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाकर हर किसी को हैरान कर दिया। महिला एथलीट ने अपने कोच पर अनुचित व्यवहार और मानसिक दबाव बनाने का आरोप लगाया। राष्ट्रीय स्तर की महिला नाविक (सेलर) ने टीम के कोच पर जर्मनी यात्रा के दौरान उन्हें ‘असहज' महसूस कराने का आरोप लगाया।
शिकायतकर्ता महिला नाविक ने कहा कि इस मामले में उन्होंने कई बार याचिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वाईएआई) से सम्पर्क किया लेकिन जब उसे कोई जवाब नहीं मिला, तो उसने भारतीय खेल प्राधिकरण से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। तब साई ने याचिंग एसोसिएशन से रिपोर्ट मांगी जिसमें पूछा गया कि क्या नाविक ने उनसे पहले सम्पर्क किया था और अगर ऐसा है तो मामले को गम्भीरता से क्यों नहीं लिया गया? खिलाड़ी ने जिस कोच पर आरोप लगाया है उसे महासंघ ने ही नियुक्त किया था।
साइकिलिंग खिलाड़ी का क्या था आरोप
साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने कहा कि वह शिकायतकर्ता के साथ खड़ा है और उसने खुद का एक जांच पैनल बनाया है। शर्मा, एक सेवानिवृत्त वायुसेना मानव संसाधन प्रबंधक हैं और 2014 से राष्ट्रीय कोच हैं और इस अवधि के दौरान कई जूनियर और वरिष्ठ साइकिल चालकों के साथ काम किया है। टीम के साथ यात्रा करने वाली एकमात्र महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि शर्मा ने उसे अपने कमरे में रहने के लिए मजबूर किया। उसे प्रशिक्षण के बाद मालिश की पेशकश की। जबरदस्ती उसे अपनी ओर खींचने की कोशिश की तथा अपने साथ सोने का दबाव बनाया। महिला एथलीट ने कहा कि कोच ने उसे अपनी पत्नी बनाने की पेशकश की थी।