समृद्ध हरियाणा में बजा खेलों का बिगुल

स्वस्थ खेल स्पर्धाओं के विकास का सुनहरा अवसर
हरियाणा की मेजबानी में शुरू हुए ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2021’ निश्चय ही देश में स्वस्थ खेल स्पर्धाओं के विकास का सुनहरा अवसर है। निस्संदेह खेल सर्वोच्च मानवीय क्षमताओं का प्रदर्शन ही है, साथ ही एक स्वस्थ समाज के निर्माण में भी सहायक है। इन खेलों में ऐसी कई नई प्रतिभाएं राष्ट्र को मिलेंगी, जिन्हें अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन दिखाने का अवसर नहीं मिल पाता। निश्चय ही युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा को अभिव्यक्त करने वाले खेल खिलाड़ी को सर्वोत्तम करने को प्रेरित करते हैं जिससे एक स्वस्थ प्रतियोगिता का विकास होता है। खिलाड़ी जहां खेलों में पदक जीतने की स्पर्धा में अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं वहीं उनमें स्वस्थ व शक्तिशाली शरीर तैयार करने की भी भावना का विकास होता है। निस्संदेह पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा देश की खेल राजधानी के रूप में उभरा है। दुनिया की तमाम अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में हरियाणा की खेल प्रतिभाएं सफलता के परचम लहरा रही हैं। निस्संदेह इसमें राज्य सरकारों की खेल नीतियों व आकर्षक पुरस्कारों की बड़ी भूमिका रही है। हरियाणा में अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने पर मिलने वाले बड़े पुरस्कार व नौकरियां खिलाड़ियों को अपना सर्वोत्तम खेल प्रदर्शन करने को प्रेरित करती हैं। अब यह पहल देश के कुछ अन्य राज्यों में हुई है जो भारत में खेल संस्कृति को समृद्ध करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। निस्संदेह, कोई भी खेल हो, जीतने व हारने वाले को नई प्रेरणा दे जाते हैं। विजेता को जीत के अहसास से सुकून मिलता है तो हारने वाले को आत्ममंथन का मौका दे जाते हैं खेल कि उसे अभी और मेहनत करनी है। रविवार को पंचकूला में आयोजित खेलों के उद्घाटन समारोह में केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा के अंतर्राष्ट्रीय खेलों में उम्दा प्रदर्शन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और हरियाणा को देश की खेल राजधानी कहा। साथ ही यह भी कि ये खेल महज स्पर्धा ही नहीं हैं बल्कि खिलाड़ियों को दुनिया की महत्वपूर्ण खेल स्पर्धाओं में पहुंचाने की सीढ़ी भी हैं। निस्संदेह ऐसे आयोजनों से देश में खेलों की ढांचागत सुविधाओं के विस्तार, खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता लाने व उचित प्रशिक्षण का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसे आयोजनों में भाग लेने वाले कालेजों के छात्र-छात्राएं आगे चलकर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चमकते-दमकते हैं और देश का नाम रौशन करते हैं। हाल के दिनों में रोज ही मिलने वाले सोने, चांदी व कांस्य पदक भारत के अंतर्राष्ट्रीय खेलों में बेहतर प्रदर्शन को दर्शाते हैं। वहीं बड़ी वैश्विक खेल ताकतों का मुकाबला करने के लिये बड़े स्तर पर प्रयास करने की जरूरत को बताते हैं। देश में चीन की तर्ज पर बच्चों को बचपन से ही कड़े खेल प्रशिक्षण से गुजारने की जरूरत है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिये चयन हेतु पारदर्शी व्यवस्था बनाने की भी आवश्यकता है। सरकार को पिछड़े, आदिवासी व दुर्गम इलाकों से आने वाली प्रतिभाओं को तराशने, संवारने और निखारने के लिये भगीरथ प्रयास करने की जरूरत है। निस्संदेह खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम देश में समृद्ध खेल संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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