उम्मीद जगाती मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां
सरकार तथा समाज से और प्रोत्साहन की दरकार
श्रीप्रकाश शुक्ला
खेलों में मध्य प्रदेश बदल रहा है। बदलाव के इस दौर में हमारी खिलाड़ी बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं। मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां राष्ट्रीय फलक ही नहीं अंतरराष्ट्रीय खेल मंचों पर भी अपने पराक्रम का जोरदार आगाज कर रही हैं। कल तक जो खेल सिर्फ और सिर्फ पुरुष खिलाड़ियों की चहलकदमी के लिए जाने जाते थे उनमें न केवल मध्य प्रदेश की बेटियां दखल दे रही हैं बल्कि अपनी कामयाबी से मुल्क के गौरव को भी चार चांद लगा रही हैं। खेलों में बदलते इस दौर को हम मध्य प्रदेश में महिला शक्ति का अभ्युदय मान सकते हैं। अतीत को देखें तो मध्य प्रदेश में महिला खिलाड़ियों की संख्या उंगली में गिनी जा सकती थी लेकिन अब पराक्रमी खिलाड़ी बेटियों की इतनी लम्बी सूची है जिसका आकलन करने के लिए हमें कई घण्टों मशक्कत करनी होगी। क्षितिज छूती मध्य प्रदेश की इन खिलाड़ी बेटियों की पारिवारिक स्थिति पर गौर करें तो अधिकांश आज भी गरीबी के झंझावातों से जूझते हुए आगे बढ़ रही हैं। हमें ऐसे अभिभावकों का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने लाख परेशानियों के बाद भी बेटियों को खेल मैदानों की तरफ भेजने का जोखिम मोल लिया है।
देखा जाए तो खिलाड़ी बेटियों के लिए खेल मैदान कभी मुफीद नहीं माने गये, वजह एक नहीं अनेक हैं। कभी हमारी रूढ़िवादी परम्पराएं तो कभी लोग क्या कहेंगे जैसी दकियानूसी बातें बेटियों की राह का रोड़ा बनती रही हैं। अधिकांश खेलों में मध्य प्रदेश के गरीब और मध्यम वर्ग परिवारों की बेटियां ही खेल-खेल में कामयाब खिलाड़ी बनी हैं। एक समय था जब खिलाड़ियों पर धन वर्षा नहीं होती थी तब लोगों का नजरिया था कि बेटियां तो दूसरे घर की अमानत होती हैं, जिनका जीवन चूल्हे-चौके तक ही सीमित होता है। अब ऐसी बात नहीं है। आज खेलों में हासिल सफलता हर क्षेत्र से बड़ी है। मध्य प्रदेश की बेटियां अभी तक राष्ट्रीय खेल फलक पर बेशक जनचर्चा का विषय न बन पाई हों लेकिन हम इनकी प्रतिभा और कौशल की अनदेखी कतई नहीं कर सकते।
खेल नियम-कायदों द्वारा संचालित ऐसी गतिविधि है जो हमारे शरीर को फिट रखने के साथ अब स्वर्णिम करियर का सबसे बड़ा माध्यम है। ग्वालियर में संचालित मध्य प्रदेश राज्य महिला हाकी एकेडमी एक उच्चकोटि का सुविधा-सम्पन्न क्रीड़ांगन ही नहीं बेटियों का सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता खेल संस्थान है। देश को अब तक 70 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बेटियां देने वाले इस संस्थान की लगभग चार दर्जन बेटियां आज अपने पैरों पर खड़ी होकर अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। सफलता का शिखर चूमती इन हाकी बेटियों में मध्य प्रदेश की करिश्मा यादव, इशिका चौधरी, नीलू ढांडिया, प्रियंका वानखेड़े, श्यामा तिड़गम, दिव्या थेटे, खुशबू खान का नाम हम गर्व और गौरव से ले सकते हैं। इन सभी हाकी बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश का नाम दुनिया में गौरवान्वित किया है। सफलता की इस कड़ी में ज्योति सिंह, नेहा सिंह, साधना सेंगर, नीरज राणा, अदिति माहेश्वरी और योगिता वर्मा जैसी प्रतिभाशाली हाकी बेटियां भी शाबासी के काबिल हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिला हॉकी के उत्थान की दिशा में किए गए सराहनीय कार्यों का ही परिणाम है कि अब हमारे प्रदेश की बेटियों के बिना राष्ट्रीय हॉकी की वर्णमाला पूरी नहीं हो सकती।
क्रिकेट की बात करें तो भोपाल की बेटी सौम्या तिवारी भारतीय टीम में दस्तक देने की काबिलियत रखती है। सौम्य सौम्या धाकड़ बल्लेबाज ही नहीं शानदार आफ ब्रेक गेंदबाज भी है। कामयाबी के इस फलसफे में ग्वालियर की लेफ्ट आर्म स्पिनर रितिका गर्ग, अनुष्का शर्मा, विकेटकीपर दीक्षा बरार तथा होशंगाबाद की अनन्या दुबे में भी कूट-कूट कर प्रतिभा भरी है। यह बेटियां सही मायने में मध्य प्रदेश की क्रिकेट का वर्तमान और भविष्य हैं। तीरंदाजी जिसे हम पुरुषों का खेल मानते हैं, इसमें हमारी तीरंदाज बेटियां मुस्कान किरार और रागिनी मार्को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्णिम तीर बरसा रही हैं। यह दोनों बेटियां संस्कारधानी जबलपुर में संचालित तीरंदाजी एकेडमी की देन हैं। अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों में मुस्कान किरार और रागिनी मार्को अपने सटीक निशानों से भारत को गौरवान्वित करने की क्षमता रखती हैं।
टेनिस की बात करें तो इंदौर की महक जैन सबसे अलग हैं। मध्य प्रदेश की महक लान टेनिस में भारत की पहचान हैं। कराटे में ग्वालियर की दुर्गा दास और सुप्रिया जाटव तथा ताइक्वांडो में लतिका भण्डारी निरंतर अपने करिश्माई खेल से मध्य प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं। स्क्वैश में ग्वालियर की अनन्या माहेश्वरी मध्य प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय पहचान हैं। घुड़सवारी में कंचन राजपूत, मीरा मलैया, लक्ष्मी केवट, प्रीति आदि बेटियां मध्य प्रदेश के भविष्य की उम्मीद हैं। दुनिया के नम्बर एक खेल फुटबाल में भी मध्य प्रदेश की बेटियां अपने खेल कौशल की शानदार बानगी पेश कर रही हैं। हरदा की नेहा मुकाती इस खेल का सबसे बड़ा नाम है। नेहा सुब्रतो कप इंटरनेशनल फुटबाल प्रतियोगिता में अपने शानदार कौशल का प्रदर्शन करने वाली प्रदेश की इकलौती फुटबालर हैं। नेहा अब तक दर्जनों राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी मध्य प्रदेश का मान बढ़ा चुकी हैं। फुटबाल में हरदा की ही महिमा बिश्नोई और पलक वर्मा भी राष्ट्रीय स्तर की शानदार खिलाड़ी हैं। खेल मैदानों में इन बेटियों के पैरों की जादूगरी देखते ही बनती है। तलवारबाजी में अचिंत कौर का करामाती प्रदर्शन भी किसी से छिपा नहीं है। पैरा खिलाड़ियों की बात करें तो शूटर रुबीना फ्रांसिस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश का नाम रोशन करने वाली एकमात्र बालिका शूटर हैं।
यह खुशी की बात है कि आज देश के किसी भी कोने में जब खेलों की बात होती है, मध्य प्रदेश का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। हरियाणा आज खेलों की राष्ट्रीय महाशक्ति माना जाता है लेकिन जो सुविधाएं वहां नहीं हैं वे सुविधाएं मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियों को मिल रही हैं। मध्य प्रदेश में संचालित विभिन्न खेलों की एकेडमियों में देश की युवा तरुणाई का खेल-कौशल निखरे इसके सारे इंतजामात होने के साथ ही खिलाड़ियों को वर्ष भर प्रतिस्पर्धा के मौके भी मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश में खेलों के समुन्नत विकास की पटकथा लिखने वाली खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया सही मायने में खिलाड़ी बेटियों की भाग्य विधाता हैं। यह कहने में जरा भी संकोच नहीं कि खेलों में मध्य प्रदेश के चहुंमुखी विकास का ही लाभ बेटियों को मिल रहा है यही वजह है कि आज प्रदेश के हर जिले से कामयाब खिलाड़ी बेटियां निकल रही हैं। बैडमिंटन में दतिया की प्रतिभाशाली शटलर प्रेक्षा रावत राष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। बेटी प्रेक्षा दतिया जिले का ब्रांड एम्बेसडर भी है। दतिया जिले के लरायटा गांव की एथलीट प्रतीक्षा और पूनम यादव इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स में मध्य प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं।
खेलप्रेमियों को पुलकित होना चाहिए कि आज मध्य प्रदेश की खिलाड़ी बेटियां हर खेल में अपनी प्रतिभा और न हारने की जिद के चलते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपने शानदार कौशल की नुमाइंदगी कर रही हैं। आज के समय में जितना पढ़ना-लिखना जरूरी है, उतना ही खेल-कूद भी जरूरी हैं। एक अच्छे जीवन के लिए जितना ज्ञानी होना जरूरी है, उतना ही स्वस्थ रहना भी जरूरी है। ज्ञान हमें पढ़ने-लिखने से मिलता है लेकिन स्वस्थ शरीर खेलों से ही सम्भव है। बड़े दुःख की बात है कि हम अपनी बच्चियों को खेलों में प्रोत्साहित करने की बजाय उन्हें पढ़ा-लिखाकर सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का सपना देखते हैं। खेलों में स्वर्णिम करियर को देखते हुए हमें अपनी सोच और नजरिया बदलते हुए बेटियों को खेलों की तरफ प्रेरित करने की जरूरत है। सरकार और समाज के समन्वित प्रयास से हम मध्य प्रदेश को खेलों के क्षेत्र में सिरमौर बना सकते हैं।
मध्य प्रदेश में संचालित विभिन्न खेलों की एकेडमियों में युवा तरुणाई अपने कौशल को जरूर निखार रही है लेकिन इतना ही काफी नहीं है। मध्य प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार स्कूल स्तर पर ध्यान देकर खेलों में कायाकल्प कर सकती है। सरकार को इस बात का अहसास होना चाहिए कि मध्य प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हैं लेकिन सरकारी खेल सुविधाएं आज भी उनकी पहुंच से दूर हैं। खेलों के आयोजन होने चाहिए लेकिन उनसे पहले खेल तंत्र द्वारा खिलाड़ियों की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। जब तक खिलाड़ी का पेट नहीं भरेगा, उसे उचित प्रशिक्षण और सुविधाएं नहीं मिलेंगी वह अपना शत-प्रतिशत कौशल नहीं दिखा सकेगा। आओ हम एकजुट होकर खिलाड़ियों की मदद का संकल्प लें तथा खिलाड़ी बेटियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करें।