अफगानी राशिद खान ने दिखाया जलवा
गृह युद्ध की विभीषिका और गुरबत से जूझते हुए उभरी अफगान क्रिकेट टीम के जज्बे ने पूरी दुनिया का गाहे-बगाहे चौंकाया है। वह भी तब जबकि टीम के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम, प्रशिक्षण की सुविधा और मूलभूत संसाधन तक नहीं हैं। अपने अप्रत्याशित खेल से दुनिया की बड़ी टीमों को चौंकाने वाली बांग्लादेश की क्रिकेट टीम को हाल ही में उसके घर में मात देने वाली अफगान टीम की चर्चा दुनियाभर में हुई। इस जीत के नायक थे राशिद खान। कई रिकॉर्ड बने इस मैच में, एक विश्व रिकॉर्ड सबसे कम उम्र के कप्तान राशिद खान के नाम भी रहा।
हाल ही में चटगांव में अपनी तीसरी टेस्ट शृंखला खेल रहे अफगान टीम की बागडोर स्टार गेंदबाज राशिद खान के हाथों में थी। बारिश से बाधित मैच में अफगानिस्तान ने जबरदस्त वापसी की। बतौर कप्तान पहला मैच खेल रहे राशिद खान ने पहली पारी में पांच विकेट लिये और पचास रन बनाये। वहीं दूसरी पारी में छह विकेट लेकर जीत अफगानिस्तान की झोली में डाली।
इस तरह राशिद कप्तान की भूमिका में पहले ही टेस्ट में दस से अधिक विकेट लेने और अर्धशतक लगाने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर बन गये। नि:संदेह यह जीत अफगानिस्तान जैसी टीम के लिये बहुत मायने रखती है क्योंकि इस टीम के अधिकांश खिलाड़ियों ने अपना बचपन शरणार्थी शिविरों में गुजारा है। जहां तमाम तरह के बंधनों के अलावा जीवन की रोजमर्रा की जरूरतों के लिये संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे माहौल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों का निकलना वाकई बड़ी बात है।
दरअसल, अफगानिस्तान में ऐसे हालात नहीं थे कि कोई खेल पनप सके। एक दशक तक सोवियत संघ की सेना से संघर्ष हुआ और उसके बाद खेल विरोधी तालिबान का कब्जा हुआ। फिर नाइन इलेवन की घटना के बाद अमेरिका व नाटो देशों के हमलों के बाद तो जीवन और कठिन हो गया। ऐसे में खेल तो हाशिये पर आ गये। सोवियत संघ के जाने बाद तालिबान ने फिल्म, संगीत और खेलों को अपराध के दायरे में रख दिया। क्रिकेट को इसलिए कुछ छूट मिल पायी कि इस खेल की ड्रेस पैंट और टी शर्ट तालिबान के एजेंडे के अनुकूल थी और इस खेल में शारीरिक संपर्क नहीं होता था। तालिबान शासन में अत्याचारों से देश छोड़कर पाक गये अफगानियों को शरणार्थी शिविरों में शरण लेनी पड़ी जहां कालांतर क्रिकेट पनपा।
राशिद खान की उपलब्धि इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि अफगान टीम को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका देर से मिला। वर्ष 2010 में विश्व टी-20 टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति मिली। टीम कुछ खास न कर सकी मगर इसके कुछ खिलाड़ी चर्चा में आये। वर्ष 2013 में आईसीसी ने इस देश को एसोसिएट सदस्य का दर्जा दिया। वर्ष 2015 में टीम को विश्वकप में खेलने का अवसर मिला। वर्ष 2017 में टीम को आईसीसी ने टेस्ट क्रिकेट प्रारूप में भाग लेने की अनुमति दी। हालांकि भारत के खिलाफ बेंगलुरु में खेले गये पहले मैच में उसे हार का सामना करना पड़ा।
बीस सितंबर, 1998 में जन्मे राशिद खान भारतीयों के लिये जाना-पहचाना नाम है। वे सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से आईपीएल मैचों में धूम मचाते रहे हैं। विश्वकप के बाद राशिद खान को क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में कप्तान बनाया गया। लेग स्पिनर के रूप में ख्याति पाने वाले राशिद बल्लेबाजी में भी हाथ अाजमाते हैं। हरफनमौला भूमिका निभाने वाले राशिद जब टेस्ट क्रिकेट कप्तान के रूप में बांग्लादेश के खिलाफ उतरे तो वे दुनिया के सबसे छोटी उम्र के टेस्ट क्रिकेट कप्तान थे। इससे पहले जिम्बॉब्बे के ततेंडा तायबू ने श्रीलंका के विरुद्ध हरारे में कप्तानी संभाली थी तो वे राशिद से आठ दिन बड़े थे।
चटगांव टेस्ट मैच में राशिद खान ने जब ग्यारह विकेट लिये और मुश्किल वक्त में अर्धशतक लगाया तो वे कप्तान के रूप में दस से अधिक विकेट लेने वाले कप्तानों के इलीट क्लब में भी शामिल हो गये। राशिद ने इमरान खान और एलेन बॉर्डर के बाद इस सूची में तीसरा स्थान पाया। राशिद के कारनामे के बाद अब अफगानिस्तान के खाते में एक अन्य उपलब्धि यह भी जुड़ी कि कुल तीन टेस्ट मैचों में यह टीम दो टेस्ट मैच जीती है। इससे पहले आस्ट्रेलिया ने तीन टेस्ट मैचों में दो जीत हासिल की थी। इस तरह अफगानिस्तान ने संयुक्त रूप से यह रिकॉर्ड अपने नाम किया है। वहीं इस मैच के बाद बांग्लादेश टेस्ट क्रिकेट इतिहास की ऐसी टीम बन गई जो दस देशों से हारी है।
राशिद खान लगातार अपने खेल के जरिये अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में रहे हैं। जून, 2017 में उन्हें एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बेहतरीन गेंदबाजी के लिये याद िकया जाता है। वर्ष 2018 में वे आईसीसी प्लेयर वनडे रैंकिंग में गेंदबाजों में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। उन्हें टी-20 में गेंदबाजी की आईसीसी प्लेयर रैंकिंग के शीर्ष खिलाड़ियों में स्थान मिला। वे उभरती अफगानिस्तान की टीम में आने वाले दिनों के बड़े सितारे साबित होंगे।