दिग्गज भारतीय शटलरों के लिए निराशाजनक रहा यह साल

2025 में युवा बैडमिंटन खिलाड़ियों ने जगाई उम्मीद की किरण

खेल-पथ संवाद

नई दिल्ली। वर्ष 2025 भारतीय बैडमिंटन के लिए मिला-जुला रहा। जहां एक ओर सीनियर खिलाड़ियों को चोट, फिटनेस और फॉर्म से जूझना पड़ा, वहीं दूसरी ओर लक्ष्य सेन की खिताबी सफलता, सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी–चिराग शेट्टी की निरंतरता और युवा खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन ने भविष्य के लिए उम्मीद की मजबूत नींव रखी।

भारतीय खिलाड़ियों की व्यक्तिगत उपलब्धियों में लक्ष्य सेन का नाम सबसे ऊपर रहा। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई ओपन सुपर 500 का खिताब जीतकर 2023 के बाद अपना पहला सुपर 500 खिताब हासिल किया। यह जीत दिसम्बर 2024 में सैयद मोदी इंटरनेशनल सुपर 300 के बाद उनका अगला खिताब रही। इसके अलावा, लक्ष्य हांगकांग ओपन में उपविजेता भी रहे, जिससे उनके प्रदर्शन में निरंतरता देखने को मिली।

चोट और बीमारी से सत्र की शुरुआत करने के बावजूद सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने खुद को भारत की नंबर एक पुरुष युगल जोड़ी के रूप में फिर स्थापित किया। इस जोड़ी ने विश्व चैंपियनशिप, पेरिस में कांस्य पदक जीता, हांगकांग ओपन और चीन मास्टर्स के फाइनल में जगह बनाई और बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स के नॉकआउट चरण में पहुंचने वाली पहली भारतीय पुरुष युगल जोड़ी बनकर साल का शानदार अंत किया।

किदाम्बी श्रीकांत ने इस सत्र में वापसी की झलक जरूर दिखाई। वह मलेशिया मास्टर्स और सैयद मोदी इंटरनेशनल में उपविजेता रहे, लेकिन खिताब जीतने में असफल रहे और लम्बे समय से चला आ रहा उनका ट्रॉफी सूखा बरकरार रहा। गायत्री गोपीचंद और त्रीसा जॉली ने सैयद मोदी इंटरनेशनल में महिला युगल खिताब का सफलतापूर्वक बचाव कर अपनी मजबूत जोड़ी को साबित किया।

वर्ष 2025 की सबसे सकारात्मक तस्वीर भारत की युवा पीढ़ी ने पेश की। 20 वर्षीय आयुष शेट्टी ने अमेरिकी ओपन सुपर 300 का खिताब जीता और कोदाई नाराओका, लोह कीन यू, चाउ टिएन चेन और ब्रायन यांग जैसे दिग्गजों को हराकर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया। 16 वर्षीय तन्वी शर्मा ने विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में लड़कियों के एकल वर्ग में रजत पदक जीता। उन्होंने अमेरिकी ओपन के फाइनल में जगह बनाई और सैयद मोदी इंटरनेशनल में पूर्व विश्व नम्बर एक नोजोमी ओकुहारा को हराकर सत्र की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। तन्वी ने गुवाहाटी मास्टर्स में उपविजेता रहकर साल का समापन किया।

उन्नति हुड्डा ने विश्व जूनियर टीम चैम्पियनशिप में भारत को कांस्य दिलाने में अहम भूमिका निभाई। वह ओडिशा मास्टर्स सुपर 100 जीतकर विश्व रैंकिंग में 23वें स्थान पर पहुंचीं। चीन मास्टर्स में पीवी सिंधू पर उनकी जीत ने खासा ध्यान खींचा। संस्कार सारस्वत ने गुवाहाटी मास्टर्स में अपना पहला सुपर 100 खिताब जीतकर खुद को उभरते सितारे के रूप में स्थापित किया।

सीनियर खिलाड़ियों के लिए निराशाजनक रहा सालः दो बार की ओलम्पिक पदक विजेता पीवी सिंधू के लिए 2025 चुनौतीपूर्ण रहा। वह तीन बार क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं, लेकिन छह बार पहले दौर और चार बार दूसरे दौर में हार झेलनी पड़ी। साल की शुरुआत में हैमस्ट्रिंग और बाद में पैर की चोट के कारण उन्हें अक्टूबर के बाद सभी बीडब्ल्यूएफ टूर्नामेंट से हटना पड़ा। एचएस प्रणय के लिए यह सत्र और भी कठिन रहा। टखने और पसली की चोटों ने उनकी तैयारी और प्रदर्शन को प्रभावित किया, जिसके चलते उन्हें कई टूर्नामेंट में शुरुआती दौर में ही बाहर होना पड़ा। टीम इवेंट्स में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। एशिया मिश्रित टीम चैंपियनशिप और सुदीरमन कप में भारतीय टीम उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी।

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