जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने 90 मीटर का जादुई आंकड़ा छुआ
साल भर भारतीय एथलीटों को परेशान करता रहा डोपिंग का डंक
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। भारत के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा फॉर्म में उतार चढ़ाव के बावजूद 90 मीटर तक भाला फेंकने के जादुई आंकड़े को छूने में आखिरकार सफल रहे, लेकिन इस बीच वर्ष 2025 में भारतीय एथलेटिक्स को डोपिंग का डंक भी डसता रहा।
नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग में भाला फेंक में मानक माने जाने वाले 90 मीटर की दूरी हासिल की, लेकिन इसी वर्ष टोक्यो में विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में पदक जीतने में नाकाम रहने से उन्हें निराशा भी हाथ लगी। इस प्रतियोगिता में युवा सचिन यादव ने चोपड़ा को पीछे छोड़ते हुए चौथा स्थान हासिल किया और इस तरह से भाला फेंक में विश्वस्तरीय खिलाड़ी बनने की अपनी क्षमता प्रदर्शित की।
डोपिंग का खतरा कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं क्योंकि कई शीर्ष भारतीय खिलाड़ी इसकी चपेट में आ गए। इनमें ओलम्पियन भाला फेंक खिलाड़ी शिवपाल सिंह और एशियाई खेलों की पूर्व पदक विजेता चक्का फेंक की खिलाड़ी सीमा पूनिया भी शामिल हैं।
अपनी तरह के पहले मामले में एक एथलीट और उसके कोच की जोड़ी को डोपिंग के लिए निलम्बित कर दिया गया, जबकि दो नाबालिग एथलीट भी डोपिंग में पकड़े गए। इन सबके बीच सकारात्मक पहलू यह रहा कि भारत ने दो विश्व एथलेटिक्स महाद्वीपीय टूर प्रतियोगिताओं की मेजबानी की। इनमें से एक में चोपड़ा ने मेजबानी की और जीत हासिल की। भारत ने इसके अलावा 2031 में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप सहित कुछ प्रमुख महाद्वीपीय और विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए बोली लगाई है।
भारतीय खेलों के नायक नीरज चोपड़ा इस साल हिमाचल प्रदेश के एक निजी रिसॉर्ट में टेनिस खिलाड़ी हिमानी मोर के साथ परिणय सूत्र में बंधे। इस समारोह में कुछ करीबी रिश्तेदार और परिवार के सदस्य ही मौजूद थे। लोगों को इसके बारे में तभी पता चला जब चोपड़ा ने खुद अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शादी की तस्वीरें पोस्ट कीं। इसके कुछ महीनों बाद चोपड़ा ने अपना भाला 90.23 मीटर तक फेंका और ऐसा करने वाले एशिया के तीसरे और कुल मिलाकर 25वें खिलाड़ी बन गए।
चोपड़ा ने पेरिस डायमंड लीग, गोल्डन स्पाइक मीट और एनसी क्लासिक के रूप में इस साल तीन बड़े खिताब जीते। उन्होंने घरेलू दर्शकों और परिवार के सदस्यों के सामने एनसी क्लासिक के रूप में विश्व स्तरीय प्रतियोगिता की मेजबानी करने का अपना सपना साकार किया। इस स्टार खिलाड़ी को हालांकि डायमंड लीग फाइनल में निराशा हाथ लगी और वह जर्मनी के जूलियन वेबर के बाद दूसरे स्थान पर रहे। सबसे अप्रत्याशित परिणाम सितंबर में तोक्यो विश्व चैंपियनशिप में देखने को मिला। इस प्रतियोगिता में चोपड़ा 84.03 मीटर ही भाला फेंक सके और कुल मिलाकर आठवें स्थान पर रहे। भारत के एक अन्य खिलाड़ी सचिन यादव (86.27 मीटर) ने हालांकि अच्छा प्रदर्शन करके चौथा स्थान हासिल किया। डोपिंग अपराधों के कारण अयोग्य घोषित किए गए एथलीटों की वैश्विक सूची में भारत दूसरे स्थान पर बना हुआ है।
डोपिंग के आरोप में पकड़े गए देश के कुछ शीर्ष एथलीटों में शिवपाल, पुणे हाफ मैराथन के विजेता प्रधान विलास किरुलाकर, फर्राटा धाविका शेखर धनलक्ष्मी और 2014 के एशियाई खेलों की पदक विजेता हैमर थ्रोअर मंजू बाला शामिल हैं। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने दो नाबालिगों पर तीन साल का प्रतिबंध भी लगाया है। भारतीय जूनियर टीम के पूर्व मुख्य कोच रमेश नागपुरी को डोपिंग में मिलीभगत के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।
दो अन्य कोच करमवीर सिंह और राकेश को भी डोपिंग के आरोप में निलंबित कर दिया गया। एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाले लंबी दूरी के धावक कार्तिक कुमार ने प्रतियोगिता से इतर किए गए परीक्षणों के दौरान प्रतिबंधित एनाबॉलिक पदार्थों के लिए पॉजिटिव पाए जाने के बाद अमेरिकी डोपिंग विरोधी एजेंसी द्वारा लगाए गए तीन साल के प्रतिबंध को झेल रहे हैं।
