मुक्केबाज जैस्मिन लम्बोरिया ने खुलकर की करियर पर बात
काफी अच्छा लगता है जब बच्चे हमसे पूछते हैं और सीखते हैं
खेलपथ संवाद
गुरुग्राम। भारतीय महिला मुक्केबाज जैस्मिन लम्बोरिया गुरुग्राम में अपने करियर से लेकर विश्व चैम्पियनशिप तक में पदक जीतने पर अपनी खुलकर राय रखी। जैस्मिन ने बताया कि अब लड़कियों को खेलों में आगे बढ़ने के लिए परिवार का पूरा समर्थन मिल रहा है। अभी जो लड़कियां हैं वो बहुत अच्छा कर रही हैं। सिर्फ मुक्केबाजी ही नहीं, बहुत से खेल हैं, चाहे वो बैडमिंटन हो कुश्ती हो।
हमें जो समर्थन मिल रहा परिवार का, क्योंकि हमारे सीनियर ने एक मंच तैयार किया है। हमें एक पहचान दिखाई है कि हरियाणा खेलों में कितना अच्छा है। मतलब भारत ने एक छाप छोड़ी है, वो हमारे लिए लाभदायक हो रहा है। परिवार वाले भी समझ रहे हैं, कि लड़कियां कर रही हैं और उन्हें भी समर्थन देना चाहिए। काफी अच्छा लगता है जब हम बाहर निकलते हैं और हरियाणा को अपनी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जो युवा लड़कियां हैं, वो भी हमसे ही सीख रही हैं। इसलिए हमारा दायित्व है कि हम अच्छा करें। हमारी वजह से अगर 10 लड़कियां और अच्छा करना चाह रही हैं तो हम और अच्छा करें ताकि आने वाली पीढ़ी इससे प्रेरणा ले। काफी अच्छा लगता है जब बच्चे हमसे पूछते हैं और सीखते हैं। आगे भी मेरा यही प्रयास रहेगा कि मैं देश के लिए कुछ कर पाऊं।
मैं 2022 में विश्व चैम्पियनशिप खेली वहां क्वार्टर फाइनल में हारी, 2023 में भी खेली, वहां भी मैं क्वार्टर फाइनल में हारी। तो मैं मेडल के पड़ाव पर ही कहीं न कहीं रुक जा रही थी। इस बार था कि कुछ करना है। मैंने हर फाइट को फाइनल की तरह लेकर चला। फाइनल फाइट भी काफी कठिन रही थी। मैंने दबाव नहीं लिया। वो भी खिलाड़ी है और मैं भी हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ देना है रिजल्ट चाहे जो भी आए। मैंने अपना गेम खेला। काफी अच्छा लगता है जब हम भारत के लिए इतना करते हैं।
मेरा तो ये था कि मैंने तो अपने घर में ही देखा है। भिवानी मुक्केबाजी का हब बोला जाता है। हमारे आसपास सभी खेलते थे। मैंने खुद अपने दोनों चाचा को खेलते हुए देखा। तो हम उनकी फाइट्स देखते थे, मेडल्स देखते थे। इक्विपमेंट्स देखते थे। तो वो सब हम चीजें देख रहे थे तो हमें प्रेरणा मिली कि हम भी खेलेंगे। तो मुझे तो वहीं से प्रेरणा मिली। हरियाणा के लोगों में अलग तरह का जोश रहता है कि नहीं ये तो करना है। हमें ये चीजें पहले से मिलीं। इसी वजह से हम फाइटिंग गेम्स चुन पा रहे हैं।
कुछ भी हम करते हैं, उसमें संघर्ष रहता है अपने अपने लेवल का। किसी को फाइनेंसियल रहती है, या किसी का स्पोर्ट का रहता है। कभी अच्छे पार्टनर नहीं मिलते हैं। सपने बड़े हों और सपोर्ट मिल रहा हो तो ये सब कवर होता जाता है। संघर्ष रहता है तो लेकिन जब बात सपनों की आती है तो ट्रेनिंग सामने आता है कि नहीं बस करते जाओ जाओ। मुझे कभी इंजरी हुई नहीं। हम देखते हैं कि हमारे आसपास के बहुत से खिलाड़ी चोटिल हुए। इससे उनके छह सात महीने निकल जाते हैं। हमने तो देखा है। उस टाइम पर निगेटिव विचार भी आते हैं। वो अकेले अकेले सोच के खुद भी परेशान होते हैं। लेकिन वो फिर भी कहते रहते हैं कि मैं ठीक होऊंगा।
