रोजगार और सुविधाएं बना रहीं हरियाणा को खेलों का सुपर पॉवर

प्रतिभाओं को मिल रही खेलवृत्ति, ईनामी राशि और रोजगार
श्रीप्रकाश शुक्ला
चंडीगढ़। खेल केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं बल्कि अनुशासन, समर्पण और आत्मविश्वास की सबसे श्रेष्ठ पाठशाला है। इस बात को देश के अधिकांश राज्य आजादी के 78 साल बाद भी नहीं समझ पाए हैं जबकि देश के छोटे से राज्य हरियाणा को खेलों का सुपर पॉवर कहा जाता है। ऐसा क्यों, इसकी वजह यहां के खिलाड़ियों को मिल रही सुविधाएं और रोजगार के अवसरों को मान सकते हैं।
हरियाणा सरकार ने खिलाड़ियों को तराशने के लिए प्रदेश में 1489 खेल नर्सरियां खोली हुई हैं। इनमें 37,225 खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। 8 से 14 वर्ष आयु वर्ग के खिलाड़ियों को यहां 1500 रुपये प्रतिमाह सहायता तथा 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग की प्रतिभाओं को 2000 रुपये प्रतिमाह सहायता और प्रशिक्षकों को 25,000 रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। हरियाणा की खेल नर्सरियों से भविष्य के ओलम्पिक और पैरा-ओलम्पिक विजेता निकलेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं।
खिलाड़ियों के लिए हरियाणा में उत्कृष्ट खिलाड़ी सेवा नियम 2021 लागू कर सरकार ने 550 नए पद सृजित किए। अब तक 224 खिलाड़ियों को नौकरी दी जा चुकी है वहीं, 2014 से अब तक 24 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को लगभग 70 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है। दूसरे राज्यों की बात करें तो यह सुविधाएं वहां की प्रतिभाओं को नहीं मिलतीं। हरियाणा सरकार ने पिछले 11 वर्षों में खेलवृत्ति ही नहीं 15634 खिलाड़ियों को खेल उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं। हरियाणा में खिलाड़ियों को 641 करोड़ रुपये की ईनामी राशि जारी की जा चुकी है। यही कारण है कि हरियाणा देश के खेल नक्शे पर लगातार सबसे मजबूत स्थिति में है।
गत वर्ष पेरिस में हुए पैरालम्पिक खेलों में भारत ने कुल 29 पदक जीते थे, जिनमें से हरियाणा के खिलाड़ियों ने 8 पदक हासिल कर पूरे देश का नाम रोशन किया था। इन खिलाड़ियों को सम्मानित करते हुए सरकार ने 42 करोड़ रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की। यह केवल सम्मान नहीं बल्कि खिलाड़ियों के संघर्ष और संकल्प का प्रमाण है। खेल की असली जीत पदक नहीं बल्कि अनुशासन और आत्मविश्वास है। यदि हर राज्य हरियाणा को रोल मॉडल मानते हुए प्रतिभाओं और प्रशिक्षकों को ईमानदारी से आर्थिक प्रोत्साहन दे तो भारत को मजबूत खेल राष्ट्र बनाया जा सकता है।