पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की ब्रज में जय-जयकार
जात-पात की करो विदाई, हम सब हिन्दू भाई-भाई
विशेष खबर
मथुरा। धर्म क्या है। आस्था क्या है। विश्वास क्या है। इन सवालों के जवाब कान्हा की नगरी में सड़कों पर उमड़े जन ज्वार को देख स्वत: मिल जाते हैं। धर्म की डोर से बंधे लाखों श्रद्धालु आस्था की यात्रा पर निकल पड़े। विश्वास से पग बढ़ते रहे। दिल्ली के छतरपुर से चली सनातन हिंदू एकता पदयात्रा को कान्हा की नगरी में जो प्यार और दुलार मिला, उसने कई बहुत सारे मिथक तोड़ दिए।
29 वर्ष के युवा संत के एक आह्वान पर सड़कों पर जो जनज्वार उमड़ा, वह अपार श्रद्धा की गवाही है। सड़कों पर गूंजते जयकारों ने सनातनी एकता की नई कहानी गढ़ी है। रविवार को यात्रा का भव्य समापन हुआ और संतों ने अब कश्मीर चलने का आह्वान किया। ठाकुर बांकेबिहारी को धर्मध्वजा अर्पित करने के बाद श्रीकृष्ण मंदिर बनाने का संकल्प लिया गया। 150 किलोमीटर चली यात्रा का समापन संत-महंतों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ।
सात नवंबर को सनातनियों को एकता के सूत्र में पिरोने का संकल्प लेकर निकली पदयात्रा ने 13 नवंबर को कान्हा की धरा पर प्रवेश किया। यह यात्रा के प्रति उत्साह ही है कि कदम-कदम पर भीड़ बढ़ती गई। शुक्रवार शाम आगरा-दिल्ली हाईवे पर छाता के निकट गुप्ता रेजिडेंसी में यात्रा ने विश्राम किया। शनिवार सुबह करीब दस बजे यात्रा आगे बढ़ी तो इससे पहले सभा हुई। पहले सनातन एकता, गोमाता की रक्षा, यमुना शुद्धिकरण, ब्रज को मांस-मदिरा से मुक्ति के साथ श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने की शपथ दिलाई। फिर बोले, रविवार को वृंदावन धाम में नया उद्घोष हुआ कि ब्रज को मांस मदिरा से मुक्त कैसे बनाएं। ब्रज क्षेत्र में मांस-मदिरा नहीं चलेगी।
कथावाचक जया किशोरी, चिदानंद मुनि भी मंच पर पहुंचे। जब सड़कों पर यात्रा अगले पड़ाव के लिए बढ़ी तो नजारा देखने लायक था। अरे हिंदुओं जागो रे..जो राम का नहीं, वह किसी काम नहीं। जात-पात की करो विदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई। पैरों में पड़े छालों की अनदेखी कर हाथ में माइक थामें यात्रा की अगुवाई कर रहे बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जब सनातनी एकता की बात करते तो हजारों स्वर माहौल को गुंजायमान करते।
बिलौठी गांव की 70 वर्षीय हेमलता चौधरी ने धीरेंद्र शास्त्री के बारे में बहुत सुना था। सड़क किनारे उन्हें देखने आईं। फिर बोली, इनकी तो उम्र ही नहीं, लेकिन लाखों लोग इनके पीछे चल रहे हैं। जय हो महाराज की...। भारत को हिंदू राष्ट्र बनवाने की अपील पर नेपाल से भी पांच हजार लोगों का जत्था आया। जयकारों में जो जोश है, वह यह बताने के लिए काफी है कि आस्था की डोर में सब कुछ बंधा है।
सड़क पर करीब सात किलोमीटर तक केवल और केवल पदयात्री ही दिखे। यात्रा भोजन के लिए अकबरपुर में रुकी तो फिर मंच पर माइक थाम धीरेंद्र शास्त्री ने फिर कहा, हम एक साथ उठाकर लेंगे संकल्प बनाएंगे भारत को हिंदू राष्ट्र। फिर बोले, सभी ब्रजवासियों के चरणों में नाक रगड़कर दंडवत प्रणाम। फिर क्या था, इस अंदाज पर खूब जयकारे गूंजे। समापन में तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के मुनि चिदानंद, कथावाचक आचार्य इंद्रेश, ठाकुर देवकीनंद, कैलाशानंद सरस्वती, रविदासानंद, राजू दास आदि मौजूद रहे।
