दस युवा भारतीय भारोत्तोलक डोप में फंसे, सभी पदकधारी निलम्बित

पदक के लिए एक से अधिक प्रतिबंधित शक्तिवर्धक ड्रग्स का इस्तेमाल
भारोत्तोलकों से उनके प्रशिक्षकों को किया गया प्रतिबंधित
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
हमारे देश में डोपिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तो इसकी जद में नाबालिग प्रतिभाएं भी आ रही हैं जोकि काफी चिन्ता की बात है। भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने राष्ट्रीय शिविर के बाहर बढ़ते डोप के मामलों पर संज्ञान लेते हुए 10 प्रशिक्षकों पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया है। ये उन 10 लिफ्टरों के प्रशिक्षक हैं, जो 2023 की नागरकोइल राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग में डोप में फंसे थे। 
पदक और नौकरी के लिए खेलों में प्रतिबंधित शक्तिवर्धक ड्रग्स का चलन कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस वर्ष जनवरी में ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में हुई राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में एक या दो नहीं 10 वेटलिफ्टर डोप पॉजिटिव पाए गए हैं। ये सभी पदक विजेता हैं। इनमें सात पुरुष और तीन महिलाएं हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कुछ लिफ्टरों के सैम्पल में तीन से चार तरह के प्रतिबंधित ड्रग्स का कॉकटेल मिला है। इनमें स्टेरायड, सार्म, स्टीमुलेंट सभी कुछ है। नाडा ने इन लिफ्टरों को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया है।
हरियाणा के सोमनाथ और अनुष ने ईटानगर में 109 और 67 किलो में कांस्य पदक जीते थे। दोनों की उम्र 18 से 20 केे बीच है, लेकिन इनका केस खेलों में घुसी डोपिंग की जड़ों और इसकी गंभीरता को बयां करता है। सोमनाथ के सैम्पल में एनाबॉलिक स्टेरायड मिटेंडियोनॉन, ड्रॉस्टेनोलॉन, लिगेंड्रॉल (सार्म) और स्टीमुलेंट मिफेनटरमाइन पाया गया है। हाल-फिलहाल में एक सैम्पल में इतने प्रतिबंधित ड्रग्स मिलते नहीं देखे गए हैं। वहीं अनुष के सैम्पल में ट्रेंब्रोलॉन, ओस्टारिन (सार्म), मिफेनटरमाइन मिले हैं। अन्य पॉजिटिव खिलाड़ियों में देवीश्री (आंध्र प्रदेश), सागर (बिहार), मृणमय गोगोई (असम), गौरव (पुलिस बोर्ड), राखी पुरोहित (राजस्थान), शीतल भाटी (हरियाणा), सुमित राजपूत (मध्य प्रदेश), सचिन पंवार (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने भी राष्ट्रीय शिविर के बाहर बढ़ते डोप के मामलों पर संज्ञान लेते हुए 10 प्रशिक्षकों पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया है। ये उन 10 लिफ्टरों के प्रशिक्षक हैं, जो 2023 की नागरकोइल राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग में डोप में फंसे थे। इनमें हरियाणा, यूपी के दो-दो और एक कोच सर्विसेज का भी है। इन पर 2026 तक का प्रतिबंध लगा है। ये महासंघ की प्रशिक्षण की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं रह सकते हैं। महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव का कहना है कि शिविर के बाहर डोपिंग रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। राष्ट्रीय शिविर में नाडा की निगरानी रहती है, लेकिन सीधे चैम्पियनशिप में खेलने आ रहे लिफ्टरों को डोपिंग से रोकना चुुनौती है।

 

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