मां के नक्शेकदम पर चली बेटी हरमिलन, एशियाड में चांदी

मां अर्जुन अवॉ़र्डी, पिता भी रहे अच्छे एथलीट
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
एशियन खेलों में एक कहानी ऐसी दोहराई गई जोकि बिरली होती है। हरमिलन ने मां के नक्शेकदम पर चलते हुए 1500 मीटर दौड़ में चांदी का तमगा जीतकर एक नई पटकथा लिखी। हम आपको बता दें हरमिलन की मां का उत्तर प्रदेश के उन्नाव से गहरा ताल्लुक है।
एशियन खेलों की 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतने वाली भारत की हरमिलन बैंस का धर्मशाला से काफी समय तक संबंध रहा है। हरमिलन बैंस की बतौर धावक शुरुआत धर्मशाला से हुई है। यहां हरमिलन ने न केवल बतौर धावक अपने जीवन की शुरुआत की बल्कि पूरी दुनिया में जब आपदा का दौर चल रहा था तब भी हरमिलन ने धर्मशाला को ही अपने हुनर को निखारने का स्थान बनाया जिसके लिए उसने विशेष अनुमति भी हासिल की।
2015 में हरमिलन का चयन भारतीय खेल प्राधिकरण एवं साई हॉस्टल धर्मशाला में हुआ। 2015 से हरमिलन ने होस्टल कोच केयर सिंह पटियाला से प्रशिक्षण लिया। 2015 से 2018 तक हरमिलन ने साई हॉस्टल धर्मशाला में प्रशिक्षण लिया और राष्ट्रीय मेडल भी हासिल किए। इसके अलावा हॉस्टल में रहते हुए हरमिलन ने जूनियर वर्ग में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
हॉस्टल में कार्यकाल खत्म होने के बाद साई हास्टल को हरमिलन ने छोड़ दिया और उसके बाद वह अन्य स्थानों पर प्रशिक्षण के लिए गई। 2020 में आई कोरोना महामारी ने लम्बे समय तक लोगों को एक ही जगह पर फंसा कर रख दिया था। आपदा के उस समय में हरमिलन को एक बार फिर से धर्मशाला की याद आई। यहां के पर्यावरण एवं शुद्ध आबोहवा में प्रशिक्षण लेने की सोची। इसके लिए हरमिलन बैंस ने राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी से बातचीत की जिस पर हिंदू गोस्वामी ने जिला प्रशासन को कहा कि हरमिलन को सिंथेटिक ट्रैक धर्मशाला में प्रशिक्षण करने की अनुमति दी जाए। राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी के कहने एवं हरमिलन की प्रार्थना पर तत्कालीन उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति ने हरमिलन को सिंथेटिक ट्रैक धर्मशाला में अभ्यास करने की अनुमति दी। कोरोना महामारी के समय हरमिलन ने धर्मशाला में अपना प्रशिक्षण जारी रखा और अब एशियन खेलों में भारत के हिस्से रजत पदक डाल दिया है। हरमिलन की मां अर्जुन अवॉर्डी हैं। वह भी एशियन खेलों की 1500 मीटर दौड़ में मेडल जीत चुकी हैं। हरमिलन की मां माधवी सक्सेना का उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ से गहरा ताल्लुक है।

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