आज नीतू और स्वीटी के निशाने पर स्वर्ण पदक

17 साल पहले की सफलता दोहराने उतरेंगी महिला मुक्केबाज
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय महिला मुक्केबाजों के सामने 17 साल पहले की सफलता को दोहराने का मौका है। दिल्ली में ही हुई 2006 की विश्व चैम्पियनशिप में भारतीय मुक्केबाजों ने चार स्वर्ण पदक जीते थे। इस बार भी उसके चार मुक्केबाज नीतू (48 किलोग्राम), निकहत जरीन (50 किलोग्राम), लवलीना (75 किलोग्राम) और स्वीटी बूरा (81 किलोग्राम) फाइनल में हैं। नीतू और स्वीटी शनिवार को स्वर्ण के लिए रिंग में उतरेंगी, जबकि निकहत और लवलीना रविवार को फाइनल खेलेंगी।
दो बार की विश्व यूथ और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की विजेता नीतू के सामने दो बार एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य जीत चुकीं मंगोलिया की अल्तांतसेतसेग लुतसाइखान होंगी। नीतू अपना पहला विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीतने के लिए आश्वस्त लग रही हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने इस चैंपियनशिप केदौरान अपने खेल में काफी सुधार किया है। पहले वह एक ही तरह से (काउंटर अटैक) बाउट लड़ती थीं, लेकिन अब उन्होंने पास जाकर भी खेलने शुरू किया है। कजाखस्तान की सर्वोच्च वरीय अलुआ के खिलाफ उन्होंने इसी तरह से खेला जिसमें उन्हें सफलता मिली।
वहीं, 2014 की विश्व चैम्पियनशिप का रजत जीतने वाली स्वीटी के पास अपने पदक का रंग बदलने का मौका है। स्वीटी के सामने 2018 की विश्व चैंपियन चीन की लिना वांग होंगी। स्वीटी के मुताबिक अभी तक उन्होंने इस टूर्नामेंट की दोनों बाउट में पहले दो दौर में अपना सर्वश्रेष्ठ आक्रामक प्रदर्शन किया है, जिसका उन्हें फायदा भी मिला है। इसी प्रदर्शन को वह फाइनल में जारी रखना चाहेंगी।
गत विजेता और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण जीतने वाली निकहत 52 की बजाय ओलंपिक में शामिल 50 भार वर्ग में उतरी हैं। वह पहली बार किसी टूर्नामेंट में छह बाउट लड़ेंगी। उनके सामने फाइनल में दो बार की एशियाई चैंपियन और जकार्ता एशियाई खेलों में कांस्य जीतने वाली वियतनाम की एनगुएन थाई ताम होंगी। कोच भास्कर भट्ट के मुताबिक थाई ताम कम लंबाई की हैं और दूर से खेलती हैं। निकहत मध्यम दूरी से खेलती हैं और इसका उन्हें फायदा मिलेगा। निकहत कहती हैं कि वह स्वर्ण जीतकर अपने माता-पिता को इसे उपहार में देना चाहती हैं।
आलोचकों को कड़ा जवाब देना चाहती हैं लवलीना
2018 और 2019 में विश्व चैंपियनशिप का कांस्य जीतने वाली लवलीना टोक्यो ओलंपिक में कांस्य जीतने के बाद आलोचकों के निशाने पर रही हैं। वह यहां स्वर्ण जीतकर इन्हीं आलोचकों को गलत साबित करना चाहती हैं। लवलीना के सामने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर होंगी। लवलीना उनके साथ आयरलैंड में राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अभ्यास भी कर चुकी हैं। लवलीना ने भी नया भार वर्ग 75 किलो अपनाया है। वह कहती हैं कि इस भार में वह राष्ट्रीय खेल, राष्ट्रीय चैंपियनशिप खेल चुकी हैं। अब वह यहां अपने को ज्यादा अभ्यस्त महसूस कर रही हैं। नीचे के भार वर्ग से आने के कारण उन्हें अपनी तेजी का फायदा मिल रहा है।

 

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