एमपी में यशोधरा राजे सिंधिया ने लिखी खेलों की गौरवगाथा
खेल मंत्री ने मध्य प्रदेश को दिलाई राष्ट्रीय पहचान
खेलों के उत्थान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का योगदान सर्वोपरि
श्रीप्रकाश शुक्ला
समय दिन-तारीख देखकर आगे नहीं बढ़ता। खेलना-कूदना इंसान ही नहीं हर जीव का शगल है। मध्यप्रदेश 30 जनवरी से 11 फरवरी के बीच खेलो इंडिया यूथ गेम्स के पांचवें संस्करण की मेजबानी करने जा रहा है। मध्य प्रदेश में इससे पहले खेलों का इतना बड़ा आयोजन शायद कभी नहीं हुआ। यह आयोजन मध्य प्रदेश को खैरात में नहीं मिला बल्कि इसके लिए पिछले लगभग 17 वर्षों में जिस शिद्दत के साथ ग्वालियर की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया ने खेलों में उन्नयन के काम किए हैं, उसी का सुफल है।
2006 से पहले राष्ट्रीय खेल क्षितिज पर मध्य प्रदेश को खेलों के लिहाज से पिछड़ा और बीमारू राज्य माना जाता था। यद्यपि उस दौर में भी मध्य प्रदेश में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं थी लेकिन खेल अधोसंरचना इस तरह की नहीं थी जिस पर बड़े व भव्य खेल आयोजन कराए जा सकते। समय बदला और प्रदेश की सल्तनत पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार आरूढ़ हुई। ग्वालियर की लाड़ली बेटी यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। उस दौर में खेल मंत्री बनना किसी भी राजनीतिज्ञ के लिए गर्व और गौरव की बात नहीं थी। लेकिन यशोधरा राजे सिंधिया ने खेल मंत्री पद को न केवल हंसी-खुशी से स्वीकारा बल्कि उसी दिन मध्य प्रदेश को खेलों के शिखर पर ले जाने की कसम भी खा ली।
2006 में मध्य प्रदेश का खेल बजट बमुश्किल पांच से छह करोड़ रुपये था। इतने कम पैसों में खेलों की विकास यात्रा की कल्पना करना भी बेमानी बात थी। दरअसल, खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया अपने आपको नाम की मंत्री नहीं बल्कि काम की मंत्री साबित करने को प्रतिबद्ध हैं। खेल मंत्री सिंधिया ने खेलों के विकास का न केवल खाका खींचा बल्कि 31 मार्च, 2006 को उन्होंने जिला खेल परिसर कम्पू ग्वालियर में महिला हॉकी एकेडमी और भोपाल में पुरुष हॉकी एकेडमी खोलने की घोषणा कर दी। मैं उस पल का चश्मदीद हूं। मेरे मन में उस दिन तरह-तरह के सवाल पैदा हुए थे। सवाल यह भी कि मामूली खेल बजट में आखिर ग्वालियर की लली हॉकी की दो एकेडमियां कैसे खोलेगी?
बमुश्किल तीन महीने ही बीते थे कि लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षण संस्थान में मध्य प्रदेश राज्य महिला हॉकी एकेडमी खुल गई। तब मध्य प्रदेश के पास प्रतिभाशाली हॉकी बेटियां भी नहीं थीं लिहाजा एकेडमी के वास्ते दूसरे राज्यों की लड़कियों को ट्रायल के लिए न केवल बुलाया गया बल्कि 23 बेटियों के साथ मध्य प्रदेश राज्य महिला हॉकी एकेडमी आबाद हो गई। इस शानदार कामयाबी के बाद खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने खेलों के विजन से अवगत कराया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने खेलों के विकास के लिए न केवल खेल बजट में बढ़ोत्तरी की बल्कि पुश्तैनी खेल हॉकी सहित हर खेल के विकास पर सरकार की तरफ से पूरे सहयोग का आश्वासन भी दिया।
आज मध्य प्रदेश में विभिन्न खेलों की लगभग डेढ़ दर्जन खेल एकेडमियां संचालित हैं। इनका लाभ सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे राष्ट्र की प्रतिभाओं को मिल रहा है। इन एकेडमियों में शूटिंग एकेडमी, महिला हॉकी एकेडमी, वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी, हॉर्स राइडिंग एकेडमी, तीरंदाजी एकेडमी, बैडमिंटन एकेडमी आदि के परिणामों और अधोसंरचना को देखकर हर कोई मध्य प्रदेश के खेल उन्नयन पर ताली पीट सकता है। मध्य प्रदेश हॉकी एकेडमी की अधोसंरचना जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की है वहीं यहां से निकली हॉकी बेटियां समूचे राष्ट्र की पहचान हैं। महिला हॉकी एकेडमी ने बेटियों के सपनों को न केवल पंख लगाए बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने में भी मदद की। आज यहां से तालीम हासिल लगभग एक सैकड़ा हॉकी बेटियां शासकीय सेवा में रहते हुए विभिन्न विभागों में अपने खेल कौशल की गौरवगाथा लिख रही हैं।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिलना समूचे मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात होनी चाहिए। मध्य प्रदेश में खेलों के विकास का जो सपना यशोधरा राजे सिंधिया ने देखा था उसे पूरा करने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कोई कोताही नहीं बरती। यशोधरा राजे सिंधिया के अथक प्रयासों से न केवल मध्य प्रदेश में खेलों का विकास हुआ बल्कि समूचे राष्ट्र में प्रदेश की पहचान भी बनी। यशोधरा राजे सिंधिया के प्रयासों से एक मिथक भी टूटा है। 17 साल पहले मध्य प्रदेश में जिस खेल मंत्री पद को अछूत माना जाता था वही पद आज हर राजनीतिज्ञ की पहली पसंद है।
यशोधरा राजे सिंधिया की कार्यशैली क्षेत्रवाद से परे है। इन्होंने मध्य प्रदेश के हर जिले में खेलों की अधोसंरचना आबाद करने की कोशिश की है। यही वजह है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स के पांचवें संस्करण का आगाज मध्य प्रदेश के आठ शहरों भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, मंडला, महेश्वर और बालाघाट में होने जा रहा है। खेलों की अपनी विकास यात्रा में यशोधरा राजे सिंधिया ने हर उस जिले की सुध ली है, जहां प्रतिभाएं हैं। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी को खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया एक बड़ी चुनौती के रूप में ले रही हैं।
यशोधरा राजे सिंधिया चाहती हैं कि देश की युवा तरुणाई मध्य प्रदेश से खेलों के बहाने ही सही अच्छी यादें लेकर जाए। खेल मंत्री सिंधिया जो ठान लेती हैं उसे पूरा करने की जीतोड़ मेहनत भी करती हैं। इनका प्रयास है कि मध्य प्रदेश पिछले चारों खेलो इंडिया यूथ गेम्स के आयोजनों को पीछे छोड़े। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी में मध्य प्रदेश से कोई खामी न रह जाए इसके लिए खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया फिलवक्त दिन-रात एक कर रही हैं।
खेलों का उत्थान किसी एक व्यक्ति के प्रयासों से नहीं हो सकता। प्रदेश सरकार ने जिस तरह से पुश्तैनी खेल हॉकी के उत्थान की खातिर दर्जनों क्रीड़ांगन आबाद किए हैं उनका लाभ खिलाड़ियों को मिले इसके लिए हर किसी को सहयोग करना चाहिए। मध्य प्रदेश में जितने हॉकी के कृत्रिम हॉकी मैदान हैं, उतने अन्य किसी राज्य में नहीं हैं। यह सब प्रदेश की कर्मठ खेल मंत्री और मुख्यमंत्री के संयुक्त प्रयासों का ही नतीजा है। मध्य प्रदेश को खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी मिलने से प्रदेश की खेलप्रेमी जनता पुलकित है। उम्मीद है कि इस बार मध्य प्रदेश की युवा तरुणाई इन खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर समूचे राष्ट्र में अपनी धाक जमाएगी।
मध्य प्रदेश को खेलों में लगभग सात हजार युवाओं के खेल कौशल को देखने का जो सौभाग्य मिला है उसके लिए खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुक्तकंठ से प्रशंसा करनी चाहिए। आखिर इन दोनों विभूतियों के संयुक्त प्रयासों से ही मलखम्ब को राज्य खेल का दर्जा तो हॉकी, शूटिंग, जलक्रीड़ा, तीरंदाजी, घुड़सवारी जैसे पारम्परिक खेलों को नया धरातल मिला है। मध्य प्रदेश के लोगों को इस मेजबानी का पूरे मनोयोग से स्वागत करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का रास्ता भी खुलने में अवरोध पैदा न हो।
मध्य प्रदेश की खेल अधोसंरचनाओं की केन्द्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर से प्रशंसा मिलना खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सुदीर्घ सोच का ही नतीजा है। मध्य प्रदेश में खेलों की इस विकास यात्रा को अभी अंतिम पड़ाव नहीं मानना चाहिए। अभी भी खेलों के लिहाज से प्रदेश में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। प्रदेश में खेल प्रशिक्षकों की बढ़ोत्तरी के साथ ही लगभग डेढ़ दशक से संविदा पर काम कर रहे खेल गुरुओं के नियमितीकरण का काम भी इस सरकार और खेल मंत्री को करना अभी शेष है। आज खेलों की दृष्टि से हरियाणा राज्य सभी प्रदेशों के लिए रोल मॉडल है, मध्य प्रदेश में हरियाणा की बराबरी करने की क्षमता है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश हरियाणा को जरूर पीछे छोड़ेगा।