वंदना का सपना समूचा कानपुर योग अपनाए, निरोगी जीवन बिताए

कानपुर में मानकों के अनुरूप योग एकेडमी खोलने की करेंगी कोशिश

श्रीप्रकाश शुक्ला

कानपुर। समाज की बदलती जीवन शैली और लोगों की शारीरिक-मानसिक क्षीणता को योग का सम्बल देने की दिशा में कानपुर की वंदना शुक्ला लगातार प्रयास कर रही हैं। इनका सपना कानपुर में योग की  स्वीकार्यता को जन-जन तक तन मन से पहुंचाना है। योग को लेकर इनके पास विजन है तो इसके स्टैण्डर्ड मानकों के प्रतिष्ठापन की चिन्ता भी।

वंदना शुक्ला का कहना है कि योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली कारक है, जिसके माध्यम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन-मस्तिष्क और आत्मा में भी संतुलन बनाया जा सकता है। योग से शा‍रीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है। सच कहें तो योग का मतलब आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन है। शारीरिक शिक्षण के क्षेत्र में कानपुर को अपने जीवन के कई साल दे चुकीं वंदना शुक्ला योग को नया स्वरूप देना चाहती हैं। शारीरिक शिक्षा में परास्नातक (एमपीएड) वंदना शुक्ला योग में भी कई अर्हताएं हासिल कर चुकी हैं।

वंदना कहती हैं कि योग कोई नया व्यायाम नहीं है। यह हमारे देश में लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। वैदिक संहिताओं और वेदों में तपस्वियों द्वारा योग को अपनाने का उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी की सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। वंदना का कहना है कि योग को किसी धर्म या काल से नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि इसमें समूचे मानव जीवन के कल्याण का सार छिपा है। आम लोगों में योग विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ लेकिन यह खुशी की बात है कि लोग योग की महिमा और महत्व को समझकर इसे स्वस्थ जीवनशैली में समाहित कर रहे हैं।

वंदना कहती हैं कि योग में व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में सकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता है यही वजह है कि वर्तमान में योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। मौजूदा दौर में योग युवा पीढ़ी के लिए स्वर्णिम करियर बन चुका है। 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी थी तथा 21 जून, 2015 को प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। प्रथम बार विश्व योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल थे।

वंदना कहती हैं कि हमारा मुल्क योग में दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम बेशक दर्ज करा चुका हो लेकिन जब तक यह इंसान की दैनिक क्रिया में शामिल नहीं होगा तब तक इसके कोई मायने नहीं हैं। वंदना शुक्ला कहती हैं कि योग विधा को जन-जन की स्वीकार्यता दिलाने का मकसद यह नहीं कि उन्हें उल्टे-सीधे तरीके से योगासन कराए जाएं। मैं चाहती हूं कि कानपुर में योग की सर्वसुविधायुक्त एकेडमी हो जिसमें मानक के अनुरूप लोगों को प्रशिक्षण मिले।

परास्नातक वंदना शुक्ला हाकी और वालीबाल खेलों में विशेषज्ञता रखती हैं। इन्होंने 2002 में एनसीसी बी सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद, 2009 में योगिक साइंस पर फाउण्डेशन कोर्स तथा 2010 में पीजी डिप्लोमा इन योगा विज्ञान की तालीम हासिल करने के बाद अपने आपको योग के क्षेत्र में ही समर्पित कर दिया। वंदना की काबिलियत को देखते हुए इन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिताओं में कई मर्तबा बतौर निर्णायक होने का भी गौरव हासिल है।

शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में वंदना किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। कानपुर के कई शैक्षिक संस्थानों में बतौर शारीरिक शिक्षक सेवाएं दे चुकीं वंदना एक साल तक केन्द्रीय विद्यालय रायबरेली में भी योग शिक्षक के दायित्व का पूरी संजीदगी से निर्वहन कर चुकी हैं। हरफनमौला वंदना शुक्ला अपने समय में विविध खेलों की सदाबहार खिलाड़ी रही हैं। ऊंचीकूद और पोलवाल्ट में इन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर कई मेडल जीते तो योग में आने के बाद यह लगातार राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी का परचम लहरा रही हैं। वंदना शुक्ला कानपुर योग एसोसिएशन की सचिव भी हैं। वह कहती हैं कि योग में आने के बाद मुझे लगता है कि समूचा कानपुर इसे अपनाए और निरोगी जीवन बिताए।

 

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