निशा त्रिपाठी एथलेटिक्स में कानपुर का गौरव बढ़ाने को तैयार

लखनऊ में होने जा रही राज्यस्तरीय मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता

2019 में वाराणसी में जीते थे दो स्वर्ण सहित तीन मेडल

खेलपथ प्रतिनिधि

कानपुर। कहते हैं कि यदि इंसान के इरादे चट्टान की मानिंद मजबूत हों तो उसके सामने उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है। सफलता उन्हीं को नसीब होती है जिनमें कुछ कर गुजरने का जुनून और मशक्कत करने का जज्बा हो। जी हां, यह सब कुछ है निशा त्रिपाठी में। निशा लखनऊ में 24 और 25 फरवरी को होने जा रही 30वीं उत्तर प्रदेश मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपने पिछले प्रदर्शन से भी बेहतर दमखम दिखाकर कानपुर के गौरव को चार चांद लगाने को आशान्वित हैं।

किसी भी खिलाड़ी के लिए खेलों से 12 साल दूर रहकर पुनः वही दमखम और चपलता हासिल करना आसान नहीं होता, पर अपने जोश और जुनून से निशा ने असम्भव को भी सम्भव कर दिखाया है। बात 2019 की है, निशा को वाराणसी में 22 और 23 नवम्बर को हुई राज्यस्तरीय मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सिद्ध करना था कि उनमें अभी भी न केवल जीत की ललक है बल्कि अभी उनका खेल खत्म नहीं हुआ है। निशा ने तब 200 मीटर दौड़ और लम्बीकूद में सोने के तमगे तो 100 मीटर फर्राटा दौड़ में चांदी के पदक से अपना गला सजाया था। डेढ़ साल पहले हासिल सफलता निशा के लिए फिलवक्त आज चुनौती है। इसके कई कारण भी हैं। सबसे बड़ा कारण हम कोरोना संक्रमणकाल को मान सकते हैं, इस संक्रमण ने लोगों की रोजी-रोटी छीनी तो उसकी शारीरिक शक्ति को भी काफी क्षीण किया है।

जो भी हो निशा की प्रबल इच्छाशक्ति और अथक मेहनत उम्मीद जगाती है कि वह लखनऊ में पिछले प्रदर्शन से भी बेहतर कर वहां नारी शक्ति की अलख जरूर जगाएंगी। निशा ने हर खिलाड़ी की तरह अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कभी पारिवारिक जवाबदेहियों ने इनकी परीक्षा ली तो कई बार खुद भी निराशा के भंवरजाल में उलझ कर सही समय पर सही निर्णय नहीं ले सकीं। बचपन से खेलों से बेशुमार लगाव रखने वाली निशा ने 1998 में कानपुर के कौशल्या देवी किदवई नगर से हाईस्कूल करने के बाद 2000 में के.के. इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। निशा ने आत्म-रक्षार्थ एक साल कराटे तो एक साल एनसीसी को भी दिया। इंटर करने के बाद निशा शुक्ला ने 2001 में स्नातक की पढ़ाई के लिए महिला महाविद्यालय में प्रवेश लिया और यहां हुई वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में 100, 200 मीटर दौड़ों के साथ लम्बीकूद में स्वर्णिम सफलता हासिल कर कॉलेज चैम्पियन होने का गौरव हासिल किया था।

इन सफलताओं ने निशा के इरादों को नई दिशा दी और वे 2002 में के.के. इंटर कॉलेज में चंद्रलेखा केशरवानी की देखरेख में खेल के गुर सीखने लगीं। एथलेटिक्स में निशा को निखारने का काम चंद्रलेखा के साथ अपने समय की बेजोड़ एथलीट रहीं इंदू मैडम ने पूरी शिद्दत से किया। उनकी प्रेरणा और हौसले से निशा ने 2001 से 2003 तक राज्यस्तर पर दर्जनों मेडल जीते तो 15 से अधिक इंटर यूनिवर्सिटी खेलों में शिरकत कर एक नई पटकथा लिखी। हरफनमौला निशा त्रिपाठी को हाल ही में उत्तर प्रदेश मास्टर्स एथलेटिक्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कानपुर जनपद का अध्यक्ष बनाया है। यह पहला अवसर होगा जब किसी संगठन का पदाधिकारी खेल के मैदान में दोहरी भूमिका में उतर कर समाज के सामने एक नजीर पेश करेगा।

निशा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। यह शानदार एथलीट के साथ ही बेहतरीन फुटबॉलर भी रही हैं। इनका चयन 2005 में फुटबॉल के भारतीय प्रशिक्षण शिविर में भी हुआ था लेकिन वह पारिवारिक दिक्कतों के चलते शिविर में हिस्सा नहीं ले सकीं। खेलों के लिहाज से निशा का अतीत गौरवशाली है, वह वर्तमान को उससे भी बेहतर करने को दिन-रात मशक्कत कर रही हैं। निशा एक अच्छी खिलाड़ी होने के साथ ही शारीरिक शिक्षा की तालीम भी पूरी कर चुकी हैं। शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ एथलेटिक्स के क्षेत्र में कुछ नया करना ही निशा का ध्येय बन गया है। निशा कहती हैं कि जब तक जीवन है वह खेलों के लिए कुछ न कुछ करती ही रहेंगी।

लखनऊ में होने जा रही 30वीं उत्तर प्रदेश मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता की तैयारियों पर निशा त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने हर स्थिति में शारीरिक फिटनेस पर काम किया है। वे लखनऊ में इस बार 100, 200 मीटर दौड़, लम्बीकूद के साथ ही अन्य स्पर्धाओं में भी उतरने की सोच रही हैं। मेरा प्रयास है कि मैं इस बार वाराणसी से भी अधिक मेडल लखनऊ में जीतूं और कानपुर का नाम रोशन करूं।

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