हैण्डबाल ही सोनिका नेगी की पहचान

लखनऊ में खेलों की असीम सम्भावनाएं

खेलपथ प्रतिनिधि

लखनऊ। खेलों का क्षेत्र बेटियों के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण माना जाता है लेकिन आज बेटियां न केवल चुनौती स्वीकार रही हैं बल्कि श्रेष्ठतम कौशल और पराक्रम से अपने राज्य तथा राष्ट्र का नाम रोशन करने में पुरुषों से कहीं आगे निकल रही हैं। ऐसी ही धाकड़ बेटियों में उत्तराखण्ड में जन्मी और उत्तर प्रदेश को अपनी कर्मस्थली बनाने वाली सोनिका नेगी का शुमार है। सोनिका ने न केवल खेलों को अपना करियर बनाया बल्कि हैण्डबाल को ही अपने जीवन का हमसफर मान लिया है। सोनिका ने इस खेल में उत्तर प्रदेश ही नहीं देश का भी नाम रोशन किया है।

11 मार्च, 1988 को कुंवर सिंह के घर जन्मीं सोनिका को बचपन से ही खेलों से लगाव रहा है। खेलों के लिए ही इस बेटी ने उत्तराखण्ड छोड़ लखनऊ में रहने का फैसला लिया। सोनिका नेगी की जहां तक बात है इस खिलाड़ी बेटी ने हैण्डबाल में सब-जूनियर, जूनियर, सीनियर नेशनल में दर्जनों पदक जीतने के बाद 2013 में लखनऊ में हुई चौथी दक्षिण एशियाई हैण्डबाल चैम्पियनशिप में देश को स्वर्णिम सफलता दिलाने में महती भूमिका का निर्वहन किया। सोनिका ने इस खेल में पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता 2007 में खेली थी, उसके बाद इस बेटी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

हैण्डबाल खेल में अपनी प्रतिभा का शानदार आगाज करने वाली इंटरनेशनल खिलाड़ी सोनिका नेगी ने खेलों में करियर बनाने के लिए 2012 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीपीएड तो 2019 में एमपीएड की तालीम पूरी की। सोनिका छह माह तक केवीएस फैजाबाद में स्पोर्ट्स टीचर तो चार साल तक उत्तर प्रदेश के खेल विभाग में बतौर प्रशिक्षक अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। सोनिका नेगी से प्रशिक्षण हासिल दर्जनों नवोदित खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का नाम रोशन कर चुके हैं। सोनिका नेगी को सोते-जगते हैण्डबाल खेल की ही धुन सवार रहती है। अब तक दर्जनों राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बतौर रेफरी अपनी सेवाएं दे चुकी सोनिका नेगी का हैण्डबाल खेल को लेकर कहना है कि खेल कोई भी हो हर खेल में मेहनत करनी होती है, जो मेहनत करेगा, सफलता उसी के कदम चूमेगी।

सोनिका कहती हैं कि लखनऊ में खेलों का हमेशा बेहतर माहौल रहा है, इसीलिए हमने यहां रहने का फैसला लिया। लखनऊ में कबड्डी, वालीबॉल, फुटबाल, खो-खो, हॉकी, क्रिकेट, एथलेटिक्स, बास्केटबाल, टेनिस, हैण्डबाल सहित लगभग हर खेल का अच्छा माहौल है। जरूरत खेलों को और प्रोत्साहन देने की है। सोनिका कहती हैं कि लखनऊ ने देश को हर खेल के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। खेल के क्षेत्र में इस शहर की विशेष पहचान है। यहां खेलों की असीम सम्भावनाएं हैं। राज्य स्तर पर जो खेल नीति बनी है, उससे खिलाड़ी आगे बढ़ रहे हैं और खेल का वातावरण बन रहा है। सोनिका कहती हैं कि खेलों का जीवन में उतना ही महत्व है जितना जीने के लिये सांस का होता है। सच कहें तो जीवन में चुनौतियों का सामना करने का साहस खेलों से ही मिलता है। हमें खेलों को गंभीरता से लेना होगा और एक लक्ष्य लेकर खेल में आगे बढ़ना होगा।

सोनिका नेगी की प्रशिक्षक और टीम मैनेजर के रूप में उपलब्धियां

2013 में करूर (तमिलनाडु) में हुई सब-जूनियर बालिका हैण्डबाल चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश टीम की मैनेजर रहीं। 2015 में संगरूर (पंजाब) में हुई 38वीं जूनियर नेशनल बालिका हैण्डबाल चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश टीम की प्रशिक्षक रहीं। 2016 में जैसलमेर राजस्थान में हुई 33वीं सब-जूनियर बालिका हैण्डबाल चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश टीम की प्रशिक्षक रहीं। 2016 में ही सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुई जुनियर राज्यस्तरीय बालक हैण्डबाल प्रतियोगिता में गोंडा टीम की मैनेजर रहीं। 2018 में गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुई जूनियर राज्यस्तरीय बालिका हैण्डबाल प्रतियोगिता में गोंडा टीम की मैनेजर रहीं।

विशेष उपलब्धियां- 2014 में नेशनल रेफरी डिप्लोमा श्री कृष्णा कालेज आफ इंजीनियरिंग, टेक्नोलाजी कोयम्बटूर (तमिलनाडु) से किया। 2014 में कोयम्बटूर (तमिलनाडु) में हुई 37वीं जूनियर नेशनल बालिका हैण्डबाल प्रतियोगिता में रेफरी बतौर सेवाएं दीं। 2017 में गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुई 34वीं राष्ट्रीय सब-जूनियर बालिका हैण्डबाल चैम्पियनशिप में रेफरी बतौर सेवाएं दीं। 2013 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में हुई 15वीं राष्ट्रीय मिनी बालिका हैण्डबाल चैम्पियनशिप में रेफरी बतौर सेवाएं दीं।   

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