उदरपूर्ति को लखनऊ में इंटरनेशनल वेटलिफ्टर बेच रहा बड़ापाव

उत्तर प्रदेश में खेल प्रशिक्षकों का बुरा हाल

श्रीप्रकाश शुक्ला

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश के लगभग साढ़े चार सौ खेल प्रशिक्षकों और उनके परिवारों का बुरा हाल है। शासन-प्रशासन की नाक के नीचे उदरपूर्ति को इन दिलों लखनऊ में इंटरनेशनल वेटलिफ्टर शत्रुघ्न लाल बड़ापाव का ठेला लगाकर बमुश्किल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। यह अकेले शत्रुघ्न की ही पीड़ा नहीं है बल्कि मार्च माह से नौकरी से बेदखल किए गए उन साढ़े चार सौ प्रशिक्षकों और उनके परिवारों की तकलीफ है जिस पर उत्तर प्रदेश खेल मंत्रालय ने आज तक ध्यान नहीं दिया है।

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के धन्नासेठों और उद्योगपतियों से किसी भी व्यक्ति को नौकरी से न निकाले जाने का तुगलकी फरमान जारी किया था लेकिन उनकी ही सरकार के खेल मंत्रालय ने एक-दो नहीं लगभग साढ़े चार सौ संविदा खेल प्रशिक्षकों को सेवा से बेदखल करने का गुनाह करने में जरा भी संकोच नहीं किया। नियमतः इन प्रशिक्षकों को अप्रैल माह में पुनः सेवा में ले लेना था लेकिन इस दिशा में आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। लगभग साढ़े चार महीने से घर बैठे इन खेल गुरुओं और इनके परिवारों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इन्हें दो वक्त का भोजन जुटाना भी मुश्किल हो रहा है।

मरता क्या न करता, सात साल तक खेल विभाग के लखनऊ चौक स्टेडियम में बतौर संविदा प्रशिक्षक सेवाएं देने वाले इंटरनेशनल वेटलिफ्टर शत्रुघ्न लाल को बड़ापाव बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है। दरअसल, खेलों के उत्थान का राग अलापती हमारी हुकूमतें जमीनी स्तर पर खेल प्रशिक्षकों की दुश्वारियों से बेखबर न होतीं तो एशियन चैम्पियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में चांदी के पदकों से भारत का भाल ऊंचा करने वाले शत्रुघ्न लाल जैसे काबिल लोगों का इतना बुरा हाल नहीं होता। उत्तर प्रदेश खेल मंत्रालय की अनदेखी का शिकार अकेला शत्रुघ्न लाल ही नहीं है बल्कि ताइक्वांडो में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले एनआईएस प्रशिक्षक भी गुरबत के दौर से गुजर रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और खेल मंत्री उपेन्द्र तिवारी को खेल प्रशिक्षकों की पीड़ा को संज्ञान में लेते हुए तत्काल इनकी सेवा-बहाली की पहल करनी चाहिए वरना उत्तर प्रदेश में खेलों का सारा सिस्टम चरमरा जाएगा। योगी जी खिलाड़ी प्रशिक्षकों की लगन और मेहनत से तैयार होते हैं न कि अधिकारियों की आरामतलबी से लिहाजा खेल प्रशिक्षकों को अतिशीघ्र सेवा में लेते हुए साढ़े चार सौ परिवारों को भुखमरी से बचाने का पुण्य कार्य जरूर करें।       

   

 

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