सोनम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैण्डबाल में फहराया परचम

रेलवे में मिला सेवा का अवसर, अभिभावक बेटियों को दें खेलने का अवसर

श्रीप्रकाश शुक्ला

इलाहाबाद। बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों को पछाड़ रही हैं। बेटियां आज पढ़ाई में जहां अपनी मेधा और कुशाग्रबुद्धि से अव्वल आ रही हैं वहीं खेल के मैदानों में इनका कौशल खेलप्रेमियों को दांतों तले उंगलियां दबाने को विवश कर रहा है। आज हम अपने सुधि पाठकों को इलाहाबाद की ऐसी खिलाड़ी बेटी सोनम सिंह से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने हैण्डबाल में न केवल अपनी अलग पहचान बनाई बल्कि मादरेवतन का मान भी बढ़ाया। खेलों की बदौलत भारतीय रेलवे में सेवा का अवसर हासिल करने वाली सोनम का कहना है कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल होगी।

सोनम सिंह को 2006 से पहले खेलों की एबीसी भी नहीं पता थी लेकिन इसके बाद इसने अपेक्स नैनी प्रयागराज खेल मैदान की तरफ रुख किया। मैदान में जैसे ही उसकी नजर हैण्डबाल कोर्ट की तरफ पड़ी बस उसने सोच लिया कि उसे अब खिलाड़ी ही बनना है। सोनम बताती हैं कि मैदान में उनकी पहली मुलाकात हैण्डबाल प्रशिक्षक कंचन पाठक और कौशल दीक्षित सर से हुई। इनसे मैंने खेलने की इच्छा जाहिर की और स्वीकृति मिलने के बाद मैं प्रतिदिन मैदान जाने लगी। सोनम बताती हैं कि हैण्डबाल का ककहरा मैंने इन्हीं दोनों लोगों से सीखा लेकिन इस खेल की बीरीकियां मैंने अपनी सीनियर दीदी अंजली चौरसिया से सीखीं। सोनम बताती हैं कि अंजली दीदी जब भी गर्मी की छुट्टियों में आतीं मैं उनसे हैण्डबाल का न केवल प्रशिक्षण लेती बल्कि इस खेल में सफलता के टिप्स भी जरूर पूछती।

सोनम में प्रतिभा की जहां कमी नहीं थी वहीं इस खेल के प्रति इनका समर्पण सबसे जुदा था। सोनम ने अपनी प्रतिभा के बूते न केवल सब-जूनियर, जूनियर तथा सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में लगातार शानदार प्रदर्शन किया बल्कि 10 साल अपनी टीम को स्टेट चैम्पियन भी बनाया। कहते हैं कि प्रतिभा छिपाए नहीं छिपती और इसकी अनदेखी भी लम्बे समय तक नहीं की जा सकती। राज्य की ही तरह राष्ट्रीयस्तर पर भी सोनम ने अपने बेजोड़ खेल प्रदर्शन से हैण्डबाल के जानकारों को काफी प्रभावित किया फलस्वरूप इनका चयन भारतीय टीम में कर लिया गया। सोनम ने अपनी पहली इंटरनेशनल प्रतियोगिता 2011 में काठमांडू (नेपाल) में खेली और भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाया।

सोनम सिंह 2012 में बतौर कप्तान भारतीय टीम को लेकर उज्बेकिस्तान के दौरे पर गईं जहां टीम को चौथा स्थान मिला। 2013 में लखनऊ में हुई दक्षिण एशियाई हैण्डबाल प्रतियोगिता में भी सोनम भारतीय टीम की हिस्सा रहीं तथा अपने शानदार खेल से टीम को कांस्य पदक दिलाया। सफलता दर सफलता हासिल करती सोनम 2016 में पुणे में हुई सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में भी कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं। शानदार खेल के लिए सोनम 2017 में राज्यपाल के हाथों सम्मानित हुईं तो इसी साल इन्हें रेलवे में सेवा का शानदार अवसर हासिल हुआ। सोनम सिंह अब हैण्डबाल में रेलवे टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं।

रेलवे हेड क्वार्टर सिकन्दराबाद में कार्यरत सोनम सिंह बताती हैं कि मुझे खेलों में अपने परिवार का भरपूर सहयोग मिला। परिवार के प्रोत्साहन बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच सकती थी। सोनम कहती हैं कि खेलों के माध्यम से बेटियां आसानी से अपना करियर बना सकती हैं। मैं हर पैरेंट्स से आग्रह करती हूं कि वे बेटों की तरह बेटियों को भी नील-गगन में स्वच्छंद उड़ान भरने का अवसर दें। विश्वास रखें बेटियां भी हर लक्ष्य हासिल करने की सामर्थ्य रखती हैं। सोनम कहती हैं कि मैं यह सोचकर मैदान नहीं गई थी कि वह देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। खेलों से मुझे अकल्पनीय मंजिल हासिल होने की आज अपार खुशी है, मैं चाहती हूं कि आज भारत की हर बेटी किसी न किसी खेल में जरूर हिस्सा ले।

(कोई भी खिलाड़ी अपनी खेल उपलब्धियों को 9627038004 ह्वाट्सऐप नम्बर पर दे सकता है)     

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