खेलों की लीला न्यारी, मजे कर रहे खूब अनाड़ी

योग्य एथलेटिक्स प्रशिक्षक अभय सिंह खा रहा दर-दर की ठोकरें

श्रीप्रकाश शुक्ला

लखनऊ। खेलों में सिर्फ सफलता से ही कोई अपनी मंजिल हासिल नहीं कर सकता। आप में लाख योग्यता हो, ढेर सारी सफलताएं हासिल की हों लेकिन यदि कोई गाड फादर नहीं है तो सब व्यर्थ है। एक योग्य एथलेटिक्स प्रशिक्षक अभय सिंह इन दिनों कुछ इसी दौर से गुजर रहा है। अभय के नाम एक खिलाड़ी के रूप में जहां दर्जनों मेडल दर्ज हैं वहीं प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी यह युवा किसी से कम नहीं है लेकिन एक अदद नौकरी के लिए वह आज दर-दर की ठोकरें खा रहा है। भारत में खेलों के गिरते स्तर पर बातें तो बहुत होती हैं लेकिन खेलों में व्याप्त भाई-भतीजावाद और योग्य लोगों की अनदेखी पर हर कोई चुप्पी साध लेता है।

प्रतिभाशाली अभय सिंह को बचपन से ही खेलों से बेशुमार मोहब्बत है। अभय की प्रतिभा और कौशल को देखते हुए 1999 में इनका चयन स्पोर्ट्स कालेज देहरादून के लिए किया गया। अपने चयन को सार्थक करते हुए जांबाज अभय ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में न केवल शानदार सफलताएं हासिल कीं बल्कि दर्जनों मेडल जीत दिखाए। अभय सिंह देहरादून स्पोर्ट्स कालेज, मेरठ हास्टल,  सैफई हास्टल इटावा तथा साई हास्टल लखनऊ में भी अपनी काबिलियत और कौशल का खूब डंका बजा चुका है। अच्छे अनुशासन और खेलों में बेशुमार उपलब्धियों को देखते हुए अभय सिंह को मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल के हाथों सम्मानित होने का गौरव भी हासिल हो चुका है।

अभय सिंह के जीवन में जब सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि ऐसे समय में एक चोट ने इस युवा एथलीट के अरमानों पर पानी फेर दिया। इंजरी के बाद अभय का शानदार स्पोर्ट्स करियर एकदम से डगमगा गया। अभय बताते हैं कि ऐसे नाजुक समय में मुझे अपने चाचा दिनेश बहादुर सिंह (अंतरराष्ट्रीय एथलीट) का सहयोग मिला और उन्होंने मुझे खेल प्रशिक्षण का कोर्स करवाया। 2014 में बीपीएड करने के बाद अभय ने 2015-16 में कोलकाता से एन.आई.एस. तो 2016-17 में योगा का डिप्लोमा हासिल किया। प्रशिक्षण की माकूल तालीम हासिल करने के बाद अभय सिंह को फतेहगढ़ आर्मी ब्वायज स्पोर्ट्स कम्पनी में कानटेक्ट बेसिस पर खेल प्रशिक्षक के रूप में सेवा करने का अवसर मिला।

अपनी धुन के पक्के और दिल से सच्चे अभय सिंह ने बतौर प्रशिक्षक ऐसे एथलीट तैयार किए जिन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का नायाब प्रदर्शन करते हुए आर्मी ब्वायज स्पोर्ट्स कम्पनी का खूब गौरव बढ़ाया। अभय सिंह के शिष्य एथलीटों ने विश्व स्कूल स्तरीय प्रतियोगिता (चीन और फ्रांस) में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक, हांगकांग में हुई जूनियर एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में एक कांस्य पदक, खेलो इंडिया में चार स्वर्ण पदक तो जूनियर राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 19 पदक जीत दिखाए। राज्यस्तर की बात करें तो इन एथलीटों ने दर्जनों मेडल जीते हैं। प्रशिक्षण के क्षेत्र में शानदार आगाज करने वाले अभय सिंह फिलवक्त नौकरी छूट जाने से बेकार बैठे हुए हैं। कई जगहों पर इन्होंने प्रयास भी किए लेकिन अभी तक इन्हें सेवा का अवसर नहीं मिला है। अभय सिंह कहते हैं कि खेलों के क्षेत्र में मेरी अधिक पहचान नहीं है जबकि मैं रात-दिन देश को अंतरराष्ट्रीय एथलीट देने का ही सपना देखता रहता हूं। खेलपथ का खेल संस्थानों, खेल हितैषियों तथा खेलप्रेमियों से विनम्र आग्रह है कि युवा अभय सिंह की योग्यता और काबिलियत को देखते हुए इन्हें सेवा का अवसर मिले ताकि यह देश को एथलीट देने का अपना सपना साकार कर सकें।

  

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