नवोदय विद्यालय में अंजली चौरसिया ला रहीं खेलों की नवक्रांति

अब तक दे चुकी हैं चार इंटरनेशनल खिलाड़ी बेटियां

मनीषा शुक्ला

झाबुआ। समाज में खेल संस्कृति का प्रादुर्भाव हुए बिना खेलों का विकास असम्भव है। खेल संस्कृति तभी आएगी जब अधिकाधिक महिलाएं खेलों से जुड़ेंगी। जो महिलाएं अपनी घर-गृहस्थी की जवाबदेही सम्हालने के बाद भी खेलों को समय दे रही हैं उनकी प्रशंसा होने के साथ उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए। अंजली चौरसिया जैसी समर्पित शारीरिक शिक्षक नवोदय विद्यालयों में खेलों की जो नवक्रांति ला रही हैं उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि खेलों के क्षेत्र में आने वाला समय उज्ज्वल है।

अंजली चौरसिया खेलों को पूरी तरह से समर्पित हैं। इनसे प्रशिक्षण हासिल छात्र-छात्राएं सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने कौशल का नायाब उदाहरण पेश कर रहे हैं। खेलपथ से बातचीत करते हुए अंजली बताती हैं कि मेरे जीवन में खेलों का विशेष महत्व है क्योंकि खेलों से ही मुझे अपने जीवन का लक्ष्य मिला और करियर बनाने में सफलता मिली। अंजली को खेलों में लाने का श्रेय उनके स्कूली दिनों की खेलकूद शिक्षिका दर्शन पाल को जाता है। दर्शन पाल के प्रयासों से ही अंजली की मुलाकात खेलों को पूरी तरह से समर्पित कंचन पाठक से हुई। कंचन पाठक ने अंजली को मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में हैण्डबॉल खेल के गुर सिखाए।

1995 से खेलों के क्षेत्र में कदम रखने के बाद अंजली चौरसिया ने जिलास्तरीय, राज्यस्तरीय तथा  राष्ट्रीयस्तर पर न केवल प्रतिभागिता की बल्कि अपने शानदार खेल कौशल से कई मेडल भी जीते। अंजली का राष्ट्रीय खेलों में भी उच्च स्तर का परफॉरमेंस रहा है। अंजली ने चौथे और पांचवें नेशनल गेम्स में शिरकत करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया तो इन्हें उत्तर प्रदेश हैण्डबॉल टीम की कप्तान के रूप में सेवाएं देने का भी गौरव हासिल है। अंजली बताती हैं कि मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बैचलर आफ फिजिकल एज्यूकेशन की छात्रा रही हूं जहां मुझे डॉक्टर अर्चना चहल का प्यार व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उनके प्रयासों से मैंने ऑल इण्डिया विश्वविद्यालय हैण्डबॉल खेलकूद में भी प्रतिभाग किया तत्पश्चात मैंने एमपीएड करने का निश्चय किया जिसके लिए मैंने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल का चयन किया। इस सफर के दौरान मेरा हर कदम पर मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन मेरी बड़ी बहन दीप्ति चौरसिया ने किया। दीप्ति चौरसिया फिलवक्त एडीटर इन चीफ न्यूज स्टेट मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पद पर आसीन हैं।

अंजली के खेल कौशल को निखारने में बरकतउल्ला विश्वविद्यालाय भोपाल के खेलकूद विभाग के प्रभारी अखिलेश शर्मा का भी विशेष योगदान रहा। श्री शर्मा के प्रयासों और अंजली की क्षमता को देखते हुए इन्हें बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी की हैण्डबॉल टीम का कप्तान बनाया गया। अंजली ने पूरी ईमानदारी से इस कार्य को करते हुए अपनी टीम को ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी हैण्डबॉल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराया। अंजली को मध्य प्रदेश की तरफ से नेशनल खेलकूद में भी प्रतिभागिता का अवसर मिला। अंजली बताती हैं कि खेलों में मेरे योगदान और दिलचस्पी को देखते हुए 2006 में मुझे बसीर अहमद द्वारा रेलवे में अपनी सेवाएं देने के लिए आमंत्रित किया गया। अंजली का कहना है कि चूंकि मैं एक शिक्षिका की पुत्री थी सो मेरे मन में हमेशा ही एक शिक्षक बनने का ही सपना सवार रहा। शारीरिक शिक्षक के रूप में नौनिहालों को खेलकूद की बारीकियां सिखाकर उनको एक अच्छा स्पोर्ट्समैन बनाने के चलते ही मैंने रेलवे की नौकरी नहीं की।

अंजली चौरसिया के खेल-कौशल और उच्च शैक्षिक तालीम को देखते हुए इन्हें वर्ष 2007 में भारत सरकार के अधीन चलने वाले जवाहर नवोदय विद्यालय दरभंगा (बिहार) में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवा का अवसर मिला। शारीरिक शिक्षक का महत्वपूर्ण दायित्व सम्हालने के बाद अंजली ने अल्प समय में ही लता, श्वेता और रितिका के रूप में तीन राष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार कर दिखाए। मेहनतकश अंजली बताती हैं कि मेरा यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और 2010 मेरा तबादला जवाहर नवोदय विद्यालय रहिकवारा जिला सतना (मध्य प्रदेश) में हो गया। अंजली बताती हैं कि नवोदय विद्यालय एक आवासीय विद्यालय है जहां ग्रामीण छात्र-छात्राओं को उच्च तालीम देने के साथ ही विभिन्न खेलों के लिए भी तैयार किया जाता है।

अंजली चौरसिया ने सतना में 2010 से 2013 तक अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान इन्होंने ताइक्वांडो, योगा, हैण्डबॉल, खो-खो में लगभग 50 छात्र-छात्राओं को खेलकूद की विभिन्न बारीकियां सिखाकर उन्हें नेशनल खिलाड़ी (एसजीएफआई) बनाने में अपना अहम योगदान दिया। अंजली बताती हैं कि मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने गृह जनपद इलाहाबाद के नैनी स्थित अभिमन्यु खेल मैदान में स्थानीय हैण्डबॉल खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण देती रही हूं। यह मेरे लिए खुशी की बात है कि नैनी से तीन छात्राएं सोनम सिंह, सृष्टि अग्रवाल तथा  तेजस्विनी सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने में सफल हुईं तो दर्जनों छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बने।

अक्टूबर 2013 में अंजली का तबादला जवाहर नवोदय विद्यालय अलीराजपुर (मध्य प्रदेश) में हो गया। अलीराजपुर एक आदिवासी क्षेत्र है। अलीराजपुर जिला पूरे भारत में सबसे कम साक्षरता वाला जिला है। यहां पर अंजली ने छात्र-छात्राओं को तीरंदाजी के गुर सिखाए। अंजली के अथक प्रयासों और मेहनत से 2014 से 2019 तक यहां के लगभग 50 छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनने में सफल हुए जिसमें से दो को एसजीएफआई में खेलने का भी अवसर मिला। यहां की छात्रा कुमारी श्वेता तोमर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कराटे की चैम्पियनशिप जीतने में भी सफल हुई।

अलीराजपुर की नीलम, मनीषा और अफसाना दीवान ने राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लेकर जिले का गौरव बढ़ाया। अंजली छात्र-छात्राओं को खेलों की बारीकियां सिखाने के साथ ही प्रतिवर्ष नवोदय विद्यालय समिति की तरफ से हैण्डबॉल के विषय विशेषज्ञ के रूप में नेशनल खिलाड़ियों के लिए आयोजित कैम्प में उन्हें हैण्डबॉल की ट्रेनिंग देती हैं। अंजली अक्टूबर 2019 से जवाहर नवोदय विद्यालय थांदला झाबुआ में अपनी सेवाएं दे रही हैं। अंजली चौरसिया कहती हैं कि खेल मेरे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं जिनके बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। मैं अपना सम्पूर्ण जीवन खेलों के विकास में ही समर्पित करने को प्रतिबद्ध हूं। हमारे समाज को अंजली जैसी खेल शख्सियतों को सलाम करते हुए इनका हौसला बढ़ाना चाहिए। नई पीढ़ी का ध्यान खेलों की तरफ आकर्षित कर हम स्वस्थ भारत के संकल्प को अवश्य पूरा कर सकते हैं।

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