कल्पना के मन में सिर्फ बेहतर खेलों की कल्पना

राज्यस्तर पर एथलेटिक्स में जमाई धाक, अब कर रहीं हैं खिलाड़ी तैयार

नूतन शुक्ला

कानपुर। क्षेत्र कोई भी हो सफलता के लिए अपनी सुख-सुविधाओं और अरमानों की आहुति देनी ही होती है। खेल का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी मुश्किल और चुनौती भरा होता है। कानपुर की कल्पना अग्निहोत्री ने खेलों में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए जहां अपने बचपन की खुशियों को मैदानों में आंसुओं की जगह पसीने से बहाया वहीं आज वह एक शारीरिक शिक्षक के तौर पर विजेता खिलाड़ियों को तैयार कर उस कानपुर का नाम रोशन करना चाहती हैं जहां खेलों की सुविधाएं शून्य हैं। हम कह सकते हैं कि कल्पना बचपन से ही खेलों की बेहतरी की कल्पना में ही अपना समय जाया कर रही हैं।

कल्पना कहती हैं कि मेरे जीवन में अशोक सिंह और अपने समय की मशहूर एथलीट जयंती सिंह का अहम योगदान है। सच कहें तो अशोक सर के प्रोत्साहन और प्रशिक्षण से ही मैं पांच हजार और 10 हजार मीटर की दौड़ों में राज्यस्तर पर पदक जीतने में सफल रही। अपने समय में कल्पना अग्निहोत्री एथलेटिक्स सहित अन्य खेलों में जिला सहित राज्यस्तर पर पदकों की झड़ी लगाने में सफल रहीं। कल्पना बताती हैं कि अशोक सिंह सर मेरे घर के पास ही रहते थे और अपनी बेटी जयंती सिंह को रोज सुबह अभ्यास कराने के लिए ले जाते थे। जयंती दीदी को दौड़ते देखकर ही मेरे मन में भी खेल के प्रति रुचि पैदा हुई और मैंने घर में अपने माता-पिता से दौड़ने की अनुमति मांगी। माता-पिता की सहमति के बाद मैंने अशोक सर से ही मध्यम दूरी की दौड़ों के गुर सीखे।

कल्पना बताती हैं कि स्कूल स्तर पर मिली अपार सफलता ने ही मुझे एथलेटिक्स में जौहर दिखाने का हौसला दिया। कल्पना अग्निहोत्री फिलवक्त श्री गुरु नानक देव विद्यालय लाटूश रोड, कानपुर में शारीरिक शिक्षा के प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रही हैं। इन्होंने 2003 में तिलक महाविद्यालय औरैया से बीपीएड किया। शारीरिक शिक्षक के रूप में पिछले 10 साल से अपनी लगन और मेहनत से यह अपने विद्यालय के खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। कल्पना के प्रयासों और मेहनत से यहां के खिलाड़ी एथलेटिक्स, जिम्नास्टिक, स्केटिंग, हाकी, तीरंदाजी, ताइक्वांडो आदि खेलों में राज्यस्तर पर अपनी प्रतिभा और खेल कौशल का डंका बजाते हुए नेशनल प्रतियोगिताओं में भी प्रतिभागिता कर कानपुर के गौरव को चार चांद लगा रहे हैं। कल्पना की देखरेख में ही इनके विद्यालय के खिलाड़ी छात्र-छात्राएं आज राज्य और नेशनल स्तर पर प्रतिभागिता करने जाते हैं।

कल्पना बताती हैं कि मेरे विद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रदेशीय माध्यमिक विद्यालयी प्रतियोगिताओं की स्केटिंग स्पर्धा में एक दर्जन से अधिक पदक जीत चुके हैं। तीन खिलाड़ियों ने नेशनल में प्रतिभाग किया है। इन खिलाड़ियों में एक खिलाड़ी प्रदेशस्तरीय ताइक्वांडो स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर नेशनल में प्रतिभागिता कर चुका है। चार जून, 1982 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं कल्पना अग्निहोत्री समाज शास्त्र विषय से परास्नातक हैं। कल्पना अपने समय में जिला, मण्डल व प्रदेशस्तर पर आयोजित होने वाली एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में हमेशा विजेता होकर कानपुर का नाम गौरवान्वित करते रहीं।

कल्पना ने 1995 में आईआईटी कानपुर में उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पांच हजार मीटर, 1500 मीटर, 800 मीटर तथा चार गुणा 400 मीटर रिले रेस में स्वर्णिम सफलता हासिल कर चैम्पियन आफ द चैम्पियन होने का गौरव हासिल किया था। इसी साल सोनभद्र में हुई प्रदेश स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी कल्पना ने सर्वश्रेष्ठ एथलीट होकर कानपुर को गौरवान्वित किया था। कल्पना कानपुर विश्वविद्यालय की व्यक्तिगत चैम्पियन एथलीट होने के साथ वह 21 किलोमीटर दौड़ में भी प्रथम स्थान पर रह चुकी रहीं। कल्पना ने कानपुर विश्वविद्यालय से वालीबाल, हैण्डबाल तथा हाकी में भी आल इंडिया यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया है।

बुआ कल्पना की खेलों में रुचि को देखते हुए इनके भाई की बेटी तीरंदाजी में अपने नायाब प्रदर्शन से अग्निहोत्री परिवार का नाम रोशन करने लगी है। यह बिटिया अब तक प्रदेशस्तर पर कई मेडल जीतकर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में भी सटीक निशाने साध चुकी है। कल्पना खिलाड़ियों के बीच एक मददगार के रूप में जानी जाती हैं। यह खिलाड़ियों को न केवल खेल के गुर सिखाती हैं बल्कि गरीब प्रतिभाओं को हरसम्भव मदद करने में भी किसी से भी पीछे नहीं हैं।  खेलों में कल्पना की कल्पना साकार रूप ले ताकि खेलों में पिछड़े कानपुर को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिले।

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