खेलों में अतुल कर रहे अतुलनीय कार्य

खो-खो और बास्केटबाल में तैयार कर रहे खिलाड़ी

नूतन शुक्ला

कानपुर। अतुल पटेल कानपुर में खो-खो और बास्केटबाल खेलों की प्रतिभाओं को न केवल शिद्दत से निखार रहे हैं बल्कि उनसे प्रशिक्षण हासिल छात्र-छात्राएं राज्य व राष्ट्रीय स्तर अच्छे परिणाम भी दे रहे हैं। बचपन से खेलों को अपना हमराही मान चुके अतुल पटेल में कुछ हासिल करने का जुनून है तो देने की प्रबल इच्छाशक्ति इन्हें सबसे अलग साबित करती है।

11 साल की उम्र में विद्या भारतीय से खेलों का ककहरा सीखने वाले अतुल पटेल ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खो-खो और बास्केटबाल खेलों में शानदार कौशल दिखाने के बाद यह निश्चय किया कि वह खेलों में ही अपना करियर संवारेंगे और नई पीढ़ी को खेलों की तरफ प्रेरित करेंगे। अतुल पटेल ने उच्च शिक्षा सीएसजेएम से हासिल की और यहीं से लगातार पांच वर्षों तक खो-खो तथा बास्केटबाल में नार्थ जोन का प्रतिनिधित्व भी किया। अतुल ने सीएसजेएम से ही बीपीएड और एमपीएड करने के बाद नई पीढ़ी को खेलों में पारंगत करने का बीड़ा उठाया।

अतुल पटेल 2017 से प्रशिक्षण के क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं। सबसे पहले इन्होंने वेंडी हाईस्कूल के बच्चों को बास्केटबाल के गुर सिखाए। इसके बाद श्री पटेल स्वराज इंडिया, जी.डी. गोयनका आदि स्कूलों में पार्ट टाइम छात्र-छात्राओं को भी खो-खो और बास्केटबाल खेलों की बारीकियों से अवगत कराने लगे। एक साल के अथक प्रयासों के बाद अतुल पटेल को द चिंटेल्स स्कूल में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवा का अवसर मिला। श्री पटेल इस समय इसी स्कूल के छात्र-छात्राओं को खो-खो और बास्केटबाल में पारंगत कर रहे हैं। इनसे प्रशिक्षण हासिल छात्र-छात्राएं बेहतर परिणाम भी दे रहे हैं। 2018-19 में इस स्कूल की बास्केटबाल टीम राज्यस्तर पर तो खो-खो टीम स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसजीएफआई) में खेली थी। 2019-20 में इनकी बास्केटबाल टीम नेशनल में प्रतिभागिता करने में सफल रही तो खो-खो टीम ने एसजीएफआई खेलों में बेहतर प्रदर्शन किया था।

खेलपथ से बातचीत में अतुल पटेल बताते हैं कि खेलों में आए क्रांतिकारी बदलाव से अब अभिभावक भी चाहते हैं कि उनके बच्चे खेलों में शिरकत करें। खेल अब मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि स्वर्णिम करियर का माध्यम भी हैं लिहाजा हर अभिभावक अपने बच्चे को सफल खिलाड़ी बनते देखना चाहता है। श्री पटेल बेबाकी से स्वीकारते हैं कि अब शारीरिक शिक्षकों और प्रशिक्षकों पर अच्छे परिणाम देने का दबाव होता है। यह दबाव कालेज प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों की तरफ से स्वीकारना होता है। श्री पटेल कहते हैं कि हर शारीरिक शिक्षक का दायित्व भी है कि वह छात्र-छात्राओं में जीत का जज्बा पैदा करे।

 

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