राजेन्द्र कुमार यादव ने वॉलीबाल में बनाई पहचान

शारीरिक शिक्षा को समर्पित नायाब शख्सियत

मनीषा शुक्ला

कानपुर। वॉलीबाल को बेशक अमेरिकी खेल माना जाता हो लेकिन यह खेल भारत के हर गांव और शहर में खेला जाता है। भारत ने वॉलीबाल को जिम्मी जॉर्ज जैसे महानायक भी दिए हैं। वॉलीबाल को विश्व मानचित्र पर पहुंचाने में बेशक राजेन्द्र कुमार यादव का नाम शुमार न हो लेकिन इन्होंने राष्ट्रीयस्तर पर अपने नायाब खेल से हर किसी को प्रभावित किया है। श्री यादव फिलवक्त प्रभात सीनियर सेकेण्ड्री पब्लिक स्कूल कानपुर में फिजिकल एज्यूकेशन टीचर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

इलाहाबाद में जन्में राजेन्द्र कुमार यादव जब दसवीं कक्षा में पढ़ते थे तभी इन्होंने वॉलीबाल खेलना शुरू कर दिया था। इन्होंने इलाहाबाद की तरफ से छह बार राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता की। अपने शानदार खेल से बहुत कम समय में ही इन्होंने उत्तर प्रदेश टीम में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया। मैदान में इनके कूदने और हवा में उछलने के तरीकों को आज भी लोग याद करते हैं। इनके सामने शायद गुरुत्वाकर्षण का नियम भी काम नहीं करता था। राजेन्द्र कुमार यादव जमीन से एक मीटर से भी ज्यादा ऊंचा उछल सकते थे। साथ ही  वे बाकी अपने टीम खिलाड़ियों से कुछ पल ज्यादा हवा में ठहर सकते थे। जो भी उन्हें उछलकर पूरी ताकत के साथ गेंद को शॉट करते हुए देखता था, बस देखता रह जाता था।

बेहतरीन वॉलीबाल खिलाड़ी होने के साथ ही राजेन्द्र कुमार यादव एक अच्छे इंसान भी हैं। श्री यादव का वॉलीबाल के लिए जुनून कुछ अलग ही था। श्री यादव ने दो बार नेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया तो 1995 में बीजापुर, कर्नाटक में हुई दूसरी यूथ नेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप में अपनी टीम को चौथा स्थान भी दिलाया। श्री यादव ने 1996-97 में लखनऊ के क्रिश्चियन कालेज से बीपीएड तथा यहीं से 1997-98 में एमपीएड किया। खेलों से गहरा लगाव रखने वाले श्री यादव पीजीटी फिजिकल एज्यूकेशन टीचर के रूप में विद्यार्थियों को शारीरिक शिक्षा की तालीम देने के साथ-साथ सुबह-शाम उन्हें वॉलीबाल के गुर भी सिखाते रहते हैं।

श्री यादव वॉलीबाल और एथलेटिक्स जैसी प्रतियोगिताओं में भी प्रायः आफीशियल्स के रूप में अपनी सेवाएं देते रहते हैं। वॉलीबाल को समर्पित राजेन्द्र कुमार यादव को खेलों से प्यार है। वह कहते हैं कि शिक्षा के साथ खेलों में सहभागिता से नए अवसर जन्म लेते हैं। खेलों में हम बेशक बड़े खिलाड़ी न बन पाएं लेकिन हम एक जिम्मेदार नागरिक बनकर अपने राष्ट्र की सेवा जरूर कर सकते हैं। श्री यादव को वॉलीबाल खेल में योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है।

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