कानपुर की सारिका जबलपुर में सिखा रहीं गरीब बच्चों को खेलों के गुर

इनसे प्रशिक्षण हासिल बच्चे एसजीएफआई में दिखा रहे दम

नूतन शुक्ला

जबलपुर। कहते हैं कि मन में यदि विश्वास और कुछ करने का जज्बा हो तो पहाड़ों में भी दूब उगाई जा सकती है। कानपुर की सारिका सिंह इसी जोश और जज्बे की बदौलत विगत 22 वर्षों से मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में गरीब बच्चों को खेलों के गुर सिखा रही हैं। शारीरिक शिक्षक सारिका सिंह से प्रशिक्षण हासिल शासकीय स्कूल के सैकड़ों बच्चे अब तक स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया में प्रतिभागिता करते हुए लगभग 135 मेडल जीत चुके हैं।

मूलतः कानपुर की रहने वाली सारिका सिंह को बचपन से ही खेलों से लगाव रहा है। इनकी प्रतिभा को पहली नजर में पहचानने का श्रेय स्पोर्ट्स टीचर रमाकांती तिवारी को जाता है। सारिका जब कानपुर में सातवीं कक्षा में पढ़ती थीं उसी समय रमाकांती तिवारी ने इन्हें खेलों की तरफ प्रेरित किया। सारिका सिंह ने खेलों की शुरुआत कबड्डी से की और इस खेल में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किया। सारिका ने यूनिवर्सिटी की खेल गतिविधियों में भी कबड्डी में खूब शोहरत हासिल की। सारिका कबड्डी के साथ क्रिकेट और वालीबाल की भी उत्कृष्ट खिलाड़ी रही हैं। इन्होंने क्रिकेट में राज्यस्तर तो वालीबाल में मध्य प्रदेश से आल इंडिया यूनिवर्सिटी खेलों में प्रतिभागिता की।

खेलों में शानदार प्रदर्शन करने के बाद सारिका सिंह ने इसी क्षेत्र में करियर बनाने का संकल्प लिया और जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बीपीएड और एमपीएड किया। सारिका ने फिजिकल एज्यूकेशन में एमफिल की डिग्री भी हासिल की। सारिका सिंह विगत 22 वर्षों से जबलपुर के शासकीय विद्यालय में शारीरिक शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रही हैं। वह इस विद्यालय के गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले बच्चों को रोप स्कीपिंग, वालीबाल तथा मुक्केबाजी के गुर सिखा रही हैं। सारिका की लगन और कुशल प्रशिक्षण से अब तक कई बच्चे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं।

सारिका सिंह पिछले पांच वर्षों से ऐसी प्रतिभाओं को निखार रही हैं जोकि स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसजीएफआई) में मध्य प्रदेश को गौरवान्वित कर रहे हैं। स्कूल खेलों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सारिका से प्रशिक्षण हासिल छात्र-छात्राएं अब तक विभिन्न खेलों में 135 मेडल जीत चुके हैं। सारिका सिंह गरीब बच्चों की मदद कर उन्हें निरंतर खेलों की तरफ प्रेरित करती रहती हैं। सारिका का अंतिम लक्ष्य मध्य प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देना है। सारिका सिंह खेलपथ से बातचीत करते हुए कहती हैं कि मुझे खेलों से बहुत कुछ हासिल हुआ है। मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जहां विभिन्न खेलों की लगभग 20 एकेडमियां संचालित हो रही हैं। इस समय जबलपुर की तीरंदाजी एकेडमी से देश को स्टार तीरंदाज बेटियां मिल रही हैं। इन बेटियों में मुस्कान किरार और रागिनी मार्को शामिल हैं। मुस्कान ने एशियाड में रजत पदक तो रागिनी मार्को मैड्रिड में हुई विश्व यूथ तीरंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुकी है।       

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