क्रिकेट की धरती पर हाकी की पाठशाला चला रहे राजेन्द्र प्रकाश वर्मा

हाकी और फुटबाल में रखते हैं महारत

मनीषा शुक्ला

कानपुर। खेलों में जितना महत्व एक खिलाड़ी का है उससे कहीं अधिक महत्व एक प्रशिक्षक का होता है। खेल प्रशिक्षण मानव शरीर को व्यवस्थित रूप से मजबूत करने के तरीकों, कौशल, साधनों, स्थितियों, ज्ञान और अनुभव का एक पूरा परिसर है। एक खिलाड़ी की भावना की ताकत के विकास और मजबूती पर प्रशिक्षक का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। यह गुरुतर कार्य हाकी और फुटबाल में महारत रखने वाले राजेन्द्र प्रकाश वर्मा इन दिनों कानपुर के ग्रीनपार्क में कर रहे हैं।

खेल प्रशिक्षण का दायित्व व्यापक व्यक्तित्व विकास का ऐसा दुरूह कार्य है जिसे हर कोई नहीं कर सकता। प्रशिक्षण खेल शिक्षा की ही संस्कृति है। कानपुर के ग्रीनपार्क में बतौर हाकी प्रशिक्षक सेवाएं दे रहे राजेन्द्र प्रकाश वर्मा अपने समय के हाकी और फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। इन्होंने पुश्तैनी खेल हाकी और फुटबाल में अण्डर-19 आयु वर्ग में उत्तर प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व करने के साथ पांच बार इंटर यूनिवर्सिटी हाकी प्रतियोगिताओं में अपनी चपलता तथा मारक क्षमता का शानदार आगाज किया है। हाकी के साथ ही श्री वर्मा फुटबाल के भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। सुब्रतो कप फुटबाल में इन्होंने उत्तर प्रदेश स्कूल टीम का प्रतिनिधित्व करने के साथ एक बार इंटर यूनिविर्सिटी बास्केटबाल प्रतियोगिता में भी हाथ आजमाए हैं।

खेलों के क्षेत्र में बचपन से ही रुचि होने के चलते इन्होंने इसी क्षेत्र में करियर संवारने का निश्चय किया और लखनऊ के क्रिस्टन कालेज से बीपीएड तथा कानपुर यूनिवर्सिटी से एमपीएड करने के बाद बेंगलूरु से हाकी में एनआईएस डिप्लोमा हासिल किया। खेलों में उच्च तालीम हासिल करने के साथ ही इन्होंने नई दिल्ली से एक साल का योगा कोर्स भी किया है। राजस्थान की जे.जे.टी. यूनिवर्सिटी से हाकी में पीएचडी करने के बाद इन्हें कानपुर के ग्रीनपार्क में हाकी की प्रतिभाओं को निखारने का महत्वपूर्ण दायित्व मिला। सच कहें तो राजेन्द्र प्रकाश वर्मा को स्वस्थ दिमाग से स्वस्थ शरीर तक की सम्पूर्ण दक्षता हासिल है। वह हर पल खेलों के लिए न केवल जीते हैं बल्कि उत्तरोत्तर विकास के लिए प्राणपण से जुटे रहते हैं।

श्री वर्मा का कहना है कि बच्चों में शारीरिक संस्कृति का जोश और जज्बा यदि बचपन से ही डाला जाए तो उन्हें एक सफल खिलाड़ी बनने से नहीं रोका जा सकता। श्री वर्मा कहते हैं कि हाकी में भारत का गौरवशाली इतिहास है। भारत को आठ बार ओलम्पिक चैम्पियन और एक बार विश्व विजेता होने का गौरव हासिल है। हम 1980 से ओलम्पिक में हाकी का कोई मेडल नहीं जीते हैं इस बात का मुझे क्या हर भारतीय को मलाल है। मैं अपने प्रशिक्षण से ऐसे खिलाड़ी तैयार करने का सपना देखता हूं जोकि हाकी के गिरते स्तर को अपने कौशल से उठा सकें।

श्री वर्मा कहते हैं कि खेल प्रशिक्षण जीवन का एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से प्रतिभाओं को सुन्दर, मजबूत कद-काठी का मालिक बनाने के साथ उनमें जीत की मानसिकता और गुणों का समावेश किया जाता है। मेरा प्रयास है कि कानपुर हाकी का गढ़ बने और यहां से भी मेजर ध्यानचंद, के.डी. सिंह बाबू जैसे कालजयी निकलें। कानपुर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, उम्मीद है कि आने वाले समय में यहां की कई बेजोड़ प्रतिभाएं राष्ट्रीय खेल क्षितिज पर अपने चमत्कारिक प्रदर्शन से उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करेंगी। श्री वर्मा कहते हैं कि फिलवक्त मैं क्रिकेट की धरती पर हाकी की ऐसी पाठशाला चला रहा हूं जिसके परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं।

 

 

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