अनाहिता व आरव ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमाई धाक

खेलों में इंदौर के जुड़वां भाई-बहन का कमाल

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। यदि ऐसा होता तो भारतरत्न सचिन तेंदुलकर 15 साल की उम्र में ही भारतीय क्रिकेट का प्रतिनिधित्व न करते। हम आज अपने पाठकों को इंदौर की ऐसी दो नायाब प्रतिभाओं से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं जिन्होंने 11 साल की उम्र में ही राज्य नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में पदकों की झड़ी लगाई है। जुड़वां बहन-भाई (अनाहिता व आरव पुरी) की यह जोड़ी प्रशिक्षक मोहन कनौजिया के प्रयासों से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर अपने कौशल से सबकी वाहवाही लूट रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनाहिता दो गोल्ड तो आरव एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत चुका है।   

मार्शल आर्ट स्वस्थ रहने तथा आत्मरक्षा का बेहतरीन माध्यम है। मार्शल आर्ट को लोग अलग-अलग कारणों से सीखते रहे हैं। कुछ इसे व्यायाम और आत्मरक्षा के लिए तो कुछ लोग इसे ही अपना हमसफर मान लेते हैं। अनाहिता व आरव पुरी ने मार्शल आर्ट खेलों को ही अपना हमसफर मान लिया है। यह जोड़ी अपनी कड़ी मेहनत और अभ्यास से नित नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। इन नन्हें-मुन्ने खिलाड़ियों का कौशल और करतब जो भी देखता है, वह दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है। 11 मई, 2009 को मध्य प्रदेश के अपराध अनुसंधान विभाग इंदौर में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक पुलिस अधिकारी अविनाश पुरी और डाक्टर प्रीति पुरी के घर जन्मीं बहन-भाई की यह जोड़ी सबसे जुदा है।

ब्राउन बेल्ट अनाहिता व आरव पुरी सिर्फ कराटे ही नहीं किक बाक्सिंग, ताईक्वांडो तथा मार्शल आर्ट्स खेलों में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं बल्कि जहां भी जिस प्रतियोगिता में उतरते हैं पदकों से अपना गला सजाकर ही लौटते हैं। अनाहिता व आरव पुरी काता व कुमिते में अपने नायाब प्रदर्शन से सन्मति स्कूल ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं। अनाहिता मार्शल आर्ट खेलों ही नहीं बल्कि तैराकी, गायन, नृत्य और स्केटिंग में भी किसी से कम नहीं है। आरव कराटे के साथ-साथ फुटबाल, साइकिलिंग, फर्राटा दौड़ का भी लाजवाब खिलाड़ी है। आरव पांच बार सन्मति स्कूल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रह चुका है तो अनाहिता दो बार यह गौरव हासिल कर चुकी है। इसे एक बार भाई आरव के साथ संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठता का सम्मान भी मिला है। अनाहिता को लोकप्रिय पुस्तक भारतीय खिलाड़ी बेटियां में भी स्थान मिला है।

इंदौर में खेलों को लेकर अच्छा माहौल और प्रतिस्पर्धा है, ऐसे में अनाहिता व आरव के जोश, जुनून व कुछ करने के दृढ़संकल्प को देखते हुए हम कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में भाई-बहन की यह जोड़ी अपने प्रदर्शन से मध्य प्रदेश को अवश्य ही गौरवान्वित करेगी। कहते हैं खेल कोई भी हो उसमें प्रतिस्पर्धा होना निहायत जरूरी है। इसे अनाहिता व आरव की खुशकिस्मती ही कहेंगे कि इन्हें घर में ही शानदार प्रतिस्पर्धी मिले हुए हैं। 11 साल की छोटी सी उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना हंसी-खेल का काम नहीं है। प्रशिक्षक मोहन कनौजिया भी मानते हैं कि इन बच्चों में गजब का टैलेंट है। श्री कनौजिया कहते हैं कि खेलों के प्रति इन बच्चों का कमेटमेंट और गम्भीरता इन्हें सबसे अलग साबित करती है।

अनाहिता राष्ट्रीय स्तर पर अब तक 11 स्वर्ण तथा एक रजत तो आरव आठ स्वर्ण, चार रजत व दो कांस्य पदक अपनी झोली में डाल चुके हैं। प्रतिभाशाली अनाहिता की शानदार उपलब्धियों को देखते हुए मध्य प्रदेश की पूर्व खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया इसे तीन बार सम्मानित कर चुकी हैं। अनाहिता के माता-पिता पुलिस आफीसर अविनाश पुरी और डा. प्रीति पुरी अपने बच्चों के करिश्माई प्रदर्शन से खुश हैं। इन्हें खुश होना भी चाहिए क्योंकि इस उम्र में अनाहिता व आरव का प्रदर्शन इनके उज्ज्वल भविष्य का ही संदेश देता है। डा. प्रीति पुरी कहती हैं कि हमारा प्रयास है कि दोनों न केवल पढ़ें बल्कि खेल के क्षेत्र में देश को गौरवान्वित करें।

 

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