चट्टान से इरादों वाली क्षमा मिश्रा को कानपुर का सलाम

हाकी में गोलकीपर के रूप में जमाई थी धाक, अब सेवाभावी कार्यों में मशगूल

मनीषा शुक्ला

कानपुर। कहते हैं कि यदि इंसान के इरादे चट्टान की मानिंद मजबूत हों तो उसे सफलता से कोई नहीं रोक सकता। सफलता उन्हीं को नसीब होती है जिनमें कुछ कर गुजरने का जुनून और मशक्कत करने का जज्बा हो। अपने जमाने की लाजवाब एथलीट और हाकी की जानदार गोलकीपर रहीं कानपुर की क्षमा मिश्रा में खेलों के प्रति न केवल समर्पण था बल्कि मैदान में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को छकाने की काबिलियत भी थी। आज वह सेवा भारती के बैनर तले गुरबत में जी रहे समाज के पिछड़े लोगों की सेवा में मशगूल हैं।

क्षमा मिश्रा की बचपन से ही खेलों के प्रति दिलचस्पी रही। यही वजह थी कि वह पढ़ाई के साथ खेलों में भी बराबर प्रतिभागिता करती रहीं तथा अपने कौशल और पराक्रम से कानपुर को एक-दो बार नहीं बीसियों बार गौरवान्वित किया। कहने को क्षमा मिश्रा हैण्डबाल, कबड्डी तथा एथलेटिक्स की गोलाफेंक, चक्काफेंक, भालाफेंक की शानदार राज्यस्तरीय खिलाड़ी रही हैं लेकिन इन्हें राष्ट्रीयस्तर पर पुश्तैनी खेल हाकी में प्रसिद्धि मिली। हाकी में गोलकीपर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। इस भूमिका का निर्वहन वही कर सकता है जिसके इरादे फौलादी हों। क्षमा मिश्रा जब तक खेलीं खेलप्रेमियों की नजरों में एक धाकड़ और फौलादी खिलाड़ी के रूप में ही छाई रहीं।

कानपुर के प्रतिष्ठित गर्ल्स इंटर कालेज की छात्रा रहीं क्षमा मिश्रा अपने बीते दिनों को याद कर आज भी रोमांचित हो जाती हैं। हाकी की नेशनल खिलाड़ी रहीं क्षमा मिश्रा को पराजय स्वीकार नहीं थी। मैदान में विरोधी टीमों के हौसले पस्त करने वाली क्षमा मिश्रा कहती हैं कि इंसान परिस्थितियों का दास है। कभी-कभी उसे कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं जोकि उसकी इच्छा के विरुद्ध होते हैं। आज भी मेरे मन में खेलों और खिलाड़ियों के प्रति अगाध स्नेह तथा प्यार है। मन करता है कि फिर से बचपन वापस लौट आए और वह अपने अधूरे सपनों को पंख लगा दें।

क्षमा कहती हैं कि उनके समय में खेलों में इतनी सुविधाएं और अवसर नहीं थे। समाज भी बेटियों को मैदानों में भेजने से परहेज करता था। आज सुविधाएं हैं और समाज भी खेलों के महत्व को स्वीकारने लगा है। अभिभावक अपने बच्चों को खेल मैदानों तक ले जाने लगे हैं। इस बदलाव को देखकर मन हर्षित होता है। क्षमा मिश्रा इस समय कानपुर सेवा भारती की अध्यक्ष हैं। यह खेलों से बेशक नहीं जुड़ी हैं लेकिन सेवा भारती के बैनर तले सामाजिक सरोकारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। क्षमा कहती हैं कि मैंने सेवाभाव का पाठ खेलों से ही सीखा है।

क्षमा बताती हैं कि सेवा भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा चालित एक ऐसा प्रकल्प है जोकि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की शिक्षा, संस्कार, सामाजिक जागरूकता, स्वरोजगार आदि मुद्दों पर ध्यान देता है। मैं सेवा भारती के सेवाभाव से प्रेरित होकर हर पल कोशिश करती हूं कि आर्थिक कमजोर लोगों को मुफ्त चिकित्सा सहायता मिले तथा उनके बच्चे शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण हासिल कर स्वावलम्बी बन सकें। आज जब सारा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है ऐसे नाजुक समय में सेवा भारती कानपुर के लोगों को हरमुमकिन सहायता मुहैया कराने की दिशा में सक्रिय है। क्षमा मिश्रा अभिभावकों से आह्वान करती हैं कि वे अपने बच्चों को खेलों की तरफ प्रेरित करें ताकि वह ताउम्र निरोगी जीवन जी सकें।            

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