अमरेश के जज्बे ने दिव्यांगों को दिखाई राह

इस जांबाज का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुस्तान का गौरव बढ़ाना

नूतन शुक्ला

कानपुर। यह कटु सच है कि एक निःशक्त व्यक्ति की जिन्दगी काफी दुःख भरी होती है। घर-परिवार के लोग अगर मानसिक सहयोग न दें तो व्यक्ति अंदर से टूट जाता है। तिरस्कार की वजह से दिव्यांग स्व-केन्द्रित जीवनशैली व्यतीत करने को विवश हो जाते हैं। दिव्यांगों का इस तरह बिखराव उनके मन में जीवन के प्रति अरुचिकर भावना को जन्म देता है। भारत में दिव्यांगों की स्थिति संसार के अन्य देशों की तुलना में काफी दयनीय है। दयनीय इसलिए कि यहां दिव्यांगों को प्रेरित कम हतोत्साहित अधिक किया जाता है। दिव्यांगों के हित में बने ढेरों अधिनियम संविधान की शोभा बढ़ा रहे हैं लेकिन व्यवहार के धरातल पर देखा जाये तो आजादी के सात दशक बाद भी समाज में दिव्यांगों की स्थिति मन को कचोटती है। अनगिनत समस्याओं का सामना करने के बावजूद हमारे देश में ऐसे दिव्यांग हैं जोकि अपने जज्बे और कौशल से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही लोगों में कानपुर के जांबाज खिलाड़ी अमरेश कुमार सिंह का शुमार है। आज अमरेश न केवल अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं बल्कि अपने जैसे अन्य लोगों को भी खेल के क्षेत्र में करियर संवारने को प्रेरित कर रहे हैं।

दिव्यांगजनों को आर्थिक नहीं बल्कि समाज और घर-परिवार के मानसिक सहयोग की सबसे अधिक जरूरत होती है। हमारा समाज यदि दिव्यांगों को अपनत्व भरा वातावरण मुहैया कराए तो वह भी इतिहास रचने की क्षमता रखते हैं। हर दिव्यांग प्यार और सम्मान का भूखा है। उनमें भी समाज में आम लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। कानपुर के अमरेश कुमार सिंह ने इस बात को सिद्ध कर दिखाया है। अमरेश की बचपन से ही पढ़ने में रुचि बहुत ज्यादा नहीं थी। वह एक सफल खिलाड़ी बनने का न केवल सपना देखते थे बल्कि टेबल टेनिस, बैडमिंटन, एथलेटिक्स की विभिन्न स्पर्धाओं में उतर कर मेडलों से अपने गले भी सजाते थे। ऊंचीकूद में पांच फुट आठ इंच और लम्बीकूद में सात मीटर का मानक छूना इनके लिए आमबात थी। चूंकि अमरेश के पिता चाहते थे कि उनका बेटा शिक्षा के क्षेत्र में नया प्रतिमान स्थापित करे सो इन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा न केवल प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की बल्कि प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ सौ मेधावियों में भी अपना नाम दर्ज कराया। खेल के साथ अमरेश सिंह ने अपनी अथक मेहनत की बदौलत 2004 में सीएसजेएम यूनिवर्सिटी से बीपीएड की डिग्री हासिल की।

जुनूनी अमरेश सिंह की मेधा रंग लाई और इनका चयन शिक्षक के पद पर हो गया। शिक्षणेत्तर कार्य करते हुए जब यह अपनी नई मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे कि 25 फरवरी, 2017 दिन शनिवार को एक अनियंत्रित बस ने न केवल इन्हें टक्कर मार दी बल्कि इनका एक पैर भी छीन लिया। दोपहर को हुई इस दुर्घटना के बाद उन्होंने राह चलते हर व्यक्ति से मदद की गुहार लगाई लेकिन लोग मदद करने की बजाय उनके पास से गुजरते गए। खैर, वह किसी तरह अस्पताल पहुंचे और वहां इन्हें जीवन और मौत के बीच स्वयं एक निर्णय लेना था। यह निर्णय आसान नहीं था लेकिन दर्द से कराहते इस जांबाज ने जीने की खातिर चिकित्सकों को पैर काटने की सहमति देना ही उचित समझा। डॉक्टरों ने अमरेश का एक पैर काटकर इन्हें जीवन ही नहीं अनेकानेक मुसीबतें भी सौंप दीं। सात-आठ महीने बाद अमरेश की जांघ का घाव तो भर गया लेकिन दिलोदिमाग में कई जख्म पैदा हो गए। कहते हैं भगवान भी हिम्मत वाले का ही साथ देते हैं। अमरेश ने एक पैर से ही खेलों में प्रतिभाग करने का निर्णय लिया और अपने मनपसंद खेल टेबल टेनिस और शूटिंग में अभ्यास शुरू कर दिया।

लगभग दो साल की मशक्कत के बाद फरवरी 2018 में अमरेश सिंह को भारतीय पैरा टेबल टेनिस में शिरकत करने का मौका मिला तो पहले स्टेट शूटिंग टूर्नामेंट की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर सभी को दांतों तले उंगली दबाने को विवश कर दिया। इस स्वर्णिम सफलता के बाद अमरेश ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया। अमरेश ने .22 बोर 50 मीटर प्रोन स्टाइल प्रतियोगिता में चांदी के पदक से अपना गला सजाया। अमरेश की इस जांबाजी को सलाम करते हुए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। अमरेश कुमार सिंह ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता दर सफलता हासिल करते गए। अमरेश एक तरफ स्वयं खेलों में जहां नए प्रतिमान गढ़ने के लक्ष्य तय करते हैं वहीं अपने दूसरे दिव्यांग साथियों को भी प्रेरित करते हैं।

संदीप गौतम जोकि उन्नाव से हैं उन्हें अमरेश ने ही शूटिंग के गुर सिखाए। संदीप 10 मीटर एयर राइफल स्टेट प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर राज्यपाल के करकमलों से सम्मानित हो चुके हैं। अमरेश शूटिंग ही नहीं टेबल टेनिस में फतेहपुर के ब्रजेश सागर को भी प्रशिक्षित कर चुके हैं। शिवम पाल, प्रीति सिंह (व्हीलचेयर), प्रियंका बाजपेई (स्टैंडिंग) अमरेश की तरकश के ऐसे तीर हैं जिन पर भविष्य में उत्तर प्रदेश गर्व और गौरव की अनुभूति कर सकता है। अमरेश कुमार का लक्ष्य राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का गौरव बढ़ाना है। अब तक दर्जनों अवार्ड हासिल कर चुके अमरेश सिंह का कहना है कि मैं बेशक शरीर से दिव्यांग हो चुका हूं लेकिन मैं मन से कभी भी अपने को कमजोर नहीं मानता। अमरेश कुमार सिंह फिलवक्त फतेहपुर जनपद के प्राथमिक विद्यालय कुचवारा, विकास खण्ड  देवमयी में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।

अमरेश की प्रोत्साहन पर हर्ष हर्षित

अमरेश न केवल खेलते हैं बल्कि दिव्यांग प्रतिभाओं को भी खेलों की तरफ प्रोत्साहित करते हैं। इनके शिष्य इनकी सदाशयता के कायल हैं। बर्रा कानपुर निवासी हर्ष अवस्थी कहते हैं कि मेरी आयु 18 वर्ष है, बचपन में जब मेरी आयु एक वर्ष भी नहीं थी तब मेरे पिता के साथ मेरा भी एक सड़क हादसा हुआ जिसमें मैं 55% दिव्यांग हो गया पर खेलों में पारंगत अमरेश सिंह सर के मार्गदर्शन में मैंने स्कूल लेवल से अपने खेल की शुरुआत की तथा कुछ समय बाद ही ग्रीनपार्क में एथलेटिक्स खेलना प्रारंभ किया, एथलेटिक्स के कोच एवं राष्ट्रीय निर्णायक अमरेश सर से ट्रेनिंग प्राप्त की, जिसके कारण स्कूल स्तर पर  100 मीटर,200 मीटर तथा डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। उसके पश्चात पैरा खेलों की स्टेट चैम्पियनशिप में 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

हर्ष कहते हैं कि एक दिन खालसा क्लब के बैडमिंटन कोर्ट पर अमरेश सिंह को व्हीलचेयर पर खेलता देख पैरा बैडमिंटन में खेलने का मन हुआ और अमरेश सर से बैडमिंटन के गुर सीख यूपी टीम की ट्रायल क्वालीफाई कर 2019 पैरा बैडमिंटन नेशनल चैम्पियनशिप में अपना स्थान सुनिश्चित किया एवं प्रतिभाग किया। अब मेरा लक्ष्य अमरेश सर के मार्गदर्शन में कठोर अभ्यास कर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना है। सच कहें तो कानपुर में अमरेश सर ही पैरा खिलाड़ियों के प्रेरणास्रोत हैं।  

अमरेश की उपलब्धियां-

टेबल टेनिस खेल में राष्ट्रीय उपविजेता- 2019, टेबल टेनिस के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता अल तवानी अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस चैम्पियनशिप-2019 , अमान, जॉर्डन में प्रतिभाग किया। उत्तर प्रदेश शूटिंग प्रतियोगिता जनवरी 2019 में 10 मीटर एयर रायफल एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, .22 बोर 50 मीटर रायफल एकल स्पर्धा में रजत पदक,  मास्टर्स  नेशनल  शूटिंग  प्रतियोगिता फरवरी- 2019 में 10 मीटर एयर राइफल एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 50 मीटर .22 बोर राइफल एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 50 मीटर .22 बोर राइफल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक,  12वीं प्री स्टेट शूटिंग प्रतियोगिता जुलाई 2019 इटावा में आयोजित हुई जिसमें 10 मीटर एयर राइफल एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक, 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक,  भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में प्रतिनिधित्व हेतु चयन हुआ और केन्या में अफ्रीका कप 2019 में प्रतिभाग किया। 2019 में हुई पैरा बैडमिंटन की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। राष्ट्रीय रैंक छठवीं है। व्हीलचेयर लॉन टेनिस की राष्ट्रीय प्रतियोगिता 2019 में हैदराबाद में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे राष्ट्रीय रैंक 5वीं है।

अमरेश कुमार सिंह को मिले सम्मानः-

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक द्वारा राजभवन लखनऊ के गांधी सभागार में राज्य में शूटिंग में स्वर्ण पदक हेतु सम्मानित, मेरठ शहर में मराठी फ़िल्म की हस्ती गरिमा अग्रवाल (अभिनेत्री) एवं देहाती फ़िल्म स्टार उत्तम कुमार के करकमलों से भारत दिव्यांग रत्न अवार्ड से सम्मानित। कानपुर के सांसद व पूर्व गृहमंत्री मुरली मनोहर जोशी के हाथों कानपुर के ग्रीनपार्क में भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी सम्मान से विभूषित। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ फतेहपुर द्वारा आयोजित शैक्षिक संगोष्ठी, जल संरक्षण एवं शिक्षक सम्मान समारोह ठा. युवराज सिंह महाविद्यालय फतेहपुर के सभागार में सांसद साध्वी निरंजन ज्योति के हाथों सम्मानित। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाने वाले प्रेरणास्रोत अवार्ड से सम्मानित।

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