कानपुर के तीरंदाज, जलवा दिखाने को हो रहे तैयार

कानपुर तीरंदाजी संघ के सचिव वैभव गौड़ दे रहे 25 स्कूलों में तीरंदाजी का प्रशिक्षण

श्रीप्रकाश शुक्ला (9627038004)

 कानपुर। देश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, कमी है तो संसाधनों और प्रोत्साहन देने वालों की। कानपुर में खेलों की स्थिति को कैसे सुधारा जाए इसके लिए कई कर्मठ खेल प्रशिक्षक और शारीरिक शिक्षक दिन-रात एक कर रहे हैं। ऐसे ही कर्मयोगियों और कर्मठ लोगों में कानपुर तीरंदाजी संघ के सचिव वैभव गौड़ का भी शुमार है। श्री गौड़ से प्रशिक्षण हासिल कर रहे नवोदित तीरंदाज राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर अपने सटीक निशानों से कानपुर सहित समूचे उत्तर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं।

देखा जाए तो कुछ साल पहले तक कानपुर महानगर में तीरंदाजी खेल का अस्तित्व ही नहीं था। नौनिहाल जानते ही नहीं थे कि तीरंदाजी कैसे होती है। आज स्थिति इसके उलट है। कानपुर के दो दर्जन से अधिक स्कूलों में आज छोटे-छोटे छात्र-छात्राएं सुबह-शाम लक्ष्य पर निशाना साधते देखे जा सकते हैं। कानपुर में तीरंदाजी प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रशंसनीय कार्य यदि कोई कर रहा है, तो वह हैं वैभव गौड़। वैभव गौड़ ने कानपुर में तीरंदाजी खेल को जगह देने के लिए न केवल जिला एसोसिएशन का गठन किया बल्कि स्कूल-स्कूल जाकर वह प्रतिभाओं को तलाश और तराश रहे हैं।

वैभव गौड़ के प्रयासों से इस समय कानपुर में एक-दो नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक स्कूलों में इस खेल के प्रति अनुराग जाग चुका है। खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही वैभव गौड़ प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को खेल के अवसर भी मुहैया करा रहे हैं। श्री गौड़ के प्रयासों से कानपुर में अब तक नौ इंटर स्कूल, नौ जिलास्तरीय, दो राज्यस्तरीय तथा एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता हो चुकी है। श्री गौड़ इस समय पूर्णचंद्र विद्या निकेतन, वीरेंद्र स्वरूप स्कूल किदवई नगर, स्वराज इंडिया तथा जी.डी. गोयनका पब्लिक स्कूल में भविष्ट के लिम्बा राम और दीपिका कुमारी तैयार करते देखे जा सकते हैं।

कानपुर में तीरंदाजी खेल का भविष्य उज्ज्वल है, इस बात के संकेत यहां की प्रतिभाओं के चमत्कारी प्रदर्शन से मिल रहे हैं। नौबस्ता के साउथ सिटी पब्लिक स्कूल के दो होनहार छात्र अर्पित कुशवाह और विवश्वत शुक्ला राज्यस्तर पर जहां अपने सटीक निशानों से मेडल जीत चुके हैं वहीं स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया में भी अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके हैं। इन दो छात्रों के अलावा कानपुर की कई नवोदित प्रतिभाएं राज्यस्तर पर अपने कौशल का नायाब उदाहरण पेश कर चुकी हैं।

कानपुर में इस खेल के भविष्य के सवाल पर तीरंदाजी संघ के सचिव वैभव गौड़ कहते हैं कि वर्तमान समय में सभी खेलों को प्रोफेशनल बनाए जाने की जरूरत है, यही बात तीरंदाजी पर भी लागू होती है। मुझे यह बात कहने में जरा भी संकोच नहीं कि कानपुर सहित भारत में तीरंदाजी का भविष्य उज्ज्वल है पर इस खेल को और प्रोत्साहन की जरूरत है। श्री गौड़ कहते हैं कि तीरंदाजी को निचले स्तर पर खेल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। खेलों के प्रति यूथ को जागरूक करने में पैरेंट्स की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। बचपन में ही इसकी नींव पड़ जानी चाहिए, क्योंकि बच्चों पर परिवेश का काफी प्रभाव पड़ता है। पैरेंट्स को अपनी सोच में बदलाव कर बच्चों को इस खेल के लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है।

श्री गौड़ कहते हैं कि विदेशों में बच्चों को कम उम्र से ही प्रशिक्षण दिया जाता है, वहां सुविधाएं भी हैं परन्तु हमारे यहां सुविधाओं की कमी है। यदि देश में सुविधाएं दी बढ़ा दी जाएं तो यहां भी खेल प्रतिभाएं विश्व स्तर पर नाम रोशन कर सकती हैं। श्री गौड़ का कहना है कि कानपुर में तीरंदाजी का निःशुल्क प्रशिक्षण मिलने के कारण इसमें बच्चों की रुचि बढ़ी है लेकिन सुविधाओं का और विकेन्द्रीकरण हो जाये तो प्रतिभाओं को काफी सहूलियत होगी और अच्छे परिणाम भी मिलने लगेंगे।

 

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