बेटियां खेलों को बनाएं अपना करियरः अंजू

मेरे माता-पिता ने हमेशा बढ़ाया हौसला
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर। दानापुर रेल मंडल की महिला रेल कर्मचारी अंजू कुमारी का खेल जज्बा अब भी कायम है। दो बच्चों की मां अंजू मास्टर्स एथलेटिक्स में अपने दमदार प्रदर्शन से हर किसी को हैरत में डाल देती हैं। अंजू बताती हैं कि मुझे बचपन से खेलों से लगाव है। मेरी पढ़ाई-लिखाई चेन्नई में हुई है। जहानाबाद निवासी मेरे पिता सिद्धेश्वर प्रसाद जब मैं छोटी थी, चेन्नई में सीआईएसएफ में कार्यरत थे। वह इंसपेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मेरे पिता और मेरी स्वर्गीय मां सुखमणि देवी उड़नपरी पी.टी. ऊषा से बहुत ही प्रभावित थे।
जब मैं छोटी थी, उस समय पी.टी. ऊषा गोल्डन गर्ल बनीं। उसी समय मेरे पिता ने कहा बेटी अंजू मैं तुझे पी.टी। ऊषा की तरह ही गोल्डन गर्ल बनाऊंगा। तू एक दिन उसके जैसा ही प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगी। उसी समय से मैं अपने माता-पिता का सपना पूरा करने जुट गई। शादी के बाद मैं घूंघट में रहने लगी। प्रायः सोचती कि पता नहीं अब ससुराल वाले मेरे सपनों को पूरा करने में सहयोग देंगे या नहीं। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरे पति रीतेश कुमार यादव, ससुर शिवमूरत यादव और बेटा संस्कार कश्यप ने मुझे काफी सहयोग किया। आज भी ये लोग मुझे खेलों के लिए प्रेरित करते रहते हैं। बेटा संस्कार मैदान में कभी-कभी मुझे आगे जाकर फॉलो करने के लिए चैलेंज करता है।
मेरी आठ साल की एक बेटी संस्कृति भी है। अंजू कहती हैं कि बेटियां आज बेटों से आगे जाकर हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। अगर वह ठान लें तो कुछ भी असम्भव नहीं है। बेटियों को हौसला रखते हुए खेलों में अपना करियर बनाना चाहिए। खेलों से न केवल वह स्वस्थ रहेंगी बल्कि उन्हें सफलता से भी कोई वंचित नहीं कर सकता।