मध्य प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों से खिलवाड़

अब नहीं तो कब मिलेगा इन्हें सेवा का अवसर

24 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं उत्कृष्ट खिलाड़ी

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जवाबदेह अधिकारियों की अकर्मण्यता के चलते उसके सात उत्कृष्ट खिलाड़ी आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। लगभग 24 साल पहले खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न खेलों के लगभग सौ खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करते हुए उन्हें शासकीय सेवा में लेने का आश्वासन दिया गया था। इनमें से अधिकांश खिलाड़ी सरकारी सेवा में आ भी चुके हैं लेकिन सात खिलाड़ी न्यायालय के आदेश के बावजूद भी नियुक्ति के लिए इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं। इन खिलाड़ियों को जल्द ही इंसाफ नहीं मिला तो बेचारे ये कहीं के नहीं रहेंगे।

मध्य प्रदेश सरकार का खेल एवं युवा कल्याण विभाग काम की बजाय लप्पेबाजी के लिए जाना जाता है। पिछले तीन दशक में यहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की हुकूमतें रही हैं लेकिन कामकाज करने वाला तंत्र अमूमन वही रहा है। मध्य प्रदेश सरकार 1987 से उत्कृष्ट खिलाड़ियों को शासकीय सेवा में लेने का आश्वासन देती आ रही है। इसी कड़ी में वर्ष 1997 में मध्य प्रदेश के सौ से अधिक खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करते हुए उन्हें शासकीय सेवा में लेने का भरोसा दिया गया था। इनमें से लगभग 100 खिलाड़ी काफी भागदौड़ और अदालती निर्देश के बाद नौकरी हासिल करने में सफल हो चुके हैं लेकिन सात खिलाड़ी आज भी उत्कृष्ट खिलाड़ी का दस्तावेज लिए संचालनालय खेल की चौखट पर माथा रगड़ रहे हैं लेकिन निकम्मे खेल अधिकारियों का दिल अभी तक नहीं पसीजा है।

इन सात अभागे खिलाड़ियों में आशीष उपाध्याय, सुनील ठाकुर, आशीष गुप्ते, वैशाली ऊंटवाले, किशोर वर्मा, गजेन्द्र देशपाण्डे तथा अजय सिंह ठाकुर शामिल हैं। इन सातों खिलाड़ियों में छह इंदौर तो एक जबलपुर का है। 23 सितम्बर, 2019 को उप-सचिव मध्य प्रदेश शासन, खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा इन सातों खिलाड़ियों को आयु के लिए हाईस्कूल की अंकतालिका, जाति प्रमाण-पत्र, मूल निवासी प्रमाण पत्र तथा खेल संबंधी प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने को कहा गया था। यह खिलाड़ी सारे दस्तावेजों का निरीक्षण कराने के बाद भी आज सेवा से वंचित हैं।

प्रदेश की जनता को खेलों में चमत्कार कर दिखाने का भरोसा देने वाले खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पहले तो इन खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी मानने से ही इंकार कर दिया लेकिन अदालत के हस्तक्षेप के बाद इन्हें उत्कृष्ट खिलाड़ी तो मान लिया लेकिन सेवा का अवसर फिर भी नहीं दिया गया। हास्यास्पद बात तो यह है कि 17 जनवरी, 2020 को संयुक्त संचालक खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा उत्कृष्ट सभी खिलाड़ियों को 23 जनवरी, 2020 को अपने मूल दस्तावेजों सहित ई-211, द्वितीय तल, वल्लभ भवन भोपाल में नियुक्ति प्रदान करने के संबंध में गठित समिति के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था। ये सभी खिलाड़ी दस्तावेजों का निरीक्षण भी करा चुके हैं लेकिन नियुक्ति अभी तक नहीं मिली है।

चिन्ता की बात यह है कि यदि इन सातों उत्कृष्ट खिलाड़ियों को अतिशीघ्र सेवा का अवसर नहीं मिला तो यह उम्र के लिहाज से शासकीय सेवा पाने के हक से भी वंचित हो सकते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुजारिश है कि इन खिलाड़ियों को फुटबाल बनाने की बजाय इन्हें अतिशीघ्र शासकीय सेवा में लेने के निर्देश दिए जाएं वरना उत्कृष्ट खिलाड़ियों का मनोबल तो टूटेगा ही इनके परिवार भी भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।       

    

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