सेण्ट मैरी कान्वेंट स्कूल की छात्राएं बढ़ा रहीं कानपुर का गौरव

शारीरिक शिक्षा को नया आयाम दे रहे डा. अजय कुमार सिंह

नूतन शुक्ला

कानपुर। खेलों को लेकर आज भारतीय जनमानस में बदलाव देखा जा रहा है। इस बदलाव की मुख्य वजह खिलाड़ियों के चमकदार प्रदर्शन के साथ शारीरिक शिक्षकों और प्रशिक्षकों की निपुणता को माना जा सकता है। कहते हैं कि बिना गुरू के सीखी गई विद्या अधूरी होती है। यही बात खेल के क्षेत्र में भी लागू होती है। यदि शारीरिक शिक्षक और प्रशिक्षक निपुण नहीं होगा तो खिलाड़ी भी उत्कृष्टता नहीं हासिल कर सकता। कानपुर के सेण्ट मैरी स्कूल में शारीरिक शिक्षक के रूप में कार्यरत डा. अजय कुमार सिंह अपनी योग्यता और अनुभव से छात्राओं की प्रतिभा को नया आयाम दे रहे हैं। इस स्कूल की छात्राएं खेल के क्षेत्र में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार कानपुर का नाम रोशन कर रही हैं।

डा. अजय कुमार सिंह की जहां तक बात है, इन्हें बचपन से ही खेलों से विशेष लगाव रहा है। अपने समय में एथलेटिक्स और वालीबाल के उत्कृष्ट खिलाड़ी रहे डा. अजय कुमार सिंह ने राज्य और विश्वविद्यालय स्तर पर अपने चमकदार प्रदर्शन से न केवल लोगों का दिल जीता बल्कि आज वह अपने प्रशिक्षण से सेण्ट मैरी स्कूल की छात्राओं का दिल जीत रहे हैं। लखनऊ के क्रिश्चियन कालेज से बीपीएड करने के बाद इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एमपीएड किया, उसके बाद एथलेटिक्स में विशेष योग्यता हासिल कर डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।

डा. अजय कुमार सिंह चूंकि खिलाड़ी रहे हैं लिहाजा वह खिलाड़ियों की हर गतिविधि को सहजता से समझ लेते हैं। डा. सिंह से प्रशिक्षण हासिल छात्राएं जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। वर्ष 2019 में सेण्ट मैरी स्कूल की पांच छात्राओं ने राज्यस्तर पर स्वर्णिम सफलता हासिल कर कानपुर का गौरव बढ़ाया था। इन छात्राओं में ओजस्वनी सिंह, माही चतुर्वेदी, रिया अंसारी, देवशिखा दुबे तथा कात्यायनी शामिल हैं। इस स्पर्धा में मनस्वी मलिक ने रजत पदक जीता था। इन बेटियों ने अपने दमदार प्रदर्शन के बाद पुणे में हुई नेशनल एथलेटिक्स में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था।

सेण्ट मैरी स्कूल की बेटियों की सफलता का सिलसिला यहीं नहीं थमा। ओजस्वनी सिंह और माही चतुर्वेदी ने जिलास्तरीय ओपन एथलेटिक्स में भी स्वर्ण पदक जीते तो श्रेया गुप्ता, अदिति श्रीवास्तव, दुर्गेश नंदिनी गुप्ता ने चांदी के पदकों से अपने गले सजाए। ओजस्वनी सिंह और माही चतुर्वेदी ने तिरुपति में हुई नेशनल एथलेटिक्स प्रतिस्पर्धा में भी हिस्सा लिया था। इलाहाबाद में हुई ओपन एथलेटिक्स स्पर्धा में शहजादी ने ऊंचीकूद में रजत पदक जीतकर कानपुर का नाम रोशन किया।

डा. अजय कुमार सिंह का मानना है कि खेलों के विकास में शारीरिक शिक्षकों और प्रशिक्षकों का विशेष महत्व है। वह कहते हैं कि खेलों का मूल मानव जाति के इतिहास जितना ही पुराना है। हर जीव जन्म से ही खेलना-कूदना शुरू कर देता है। पहले खेलों को सिर्फ मनोरंजन का साधन माना जाता था लेकिन आज यही खेल प्रतिस्पर्धा के साथ युवा पीढ़ी का स्वर्णिम करियर भी बन रहे हैं। वह बताते हैं कि सभी राष्ट्रों की तरह भारत भी खेल के क्षेत्र में खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को लेकर गम्भीर है। समय बदल रहा है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले समय में कानपुर के खिलाड़ी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा और कौशल का नायाब उदाहरण पेश करेंगे।

 

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