खेलों से नारी शक्ति को दिशा दिखातीं मनीषा

खेलकूद है स्वास्थ्य का मूल, इससे बनाओ जीवन अनुकूल

खेलपथ प्रतिनिधि

कानपुर। आजकल की व्यस्त दिनचर्या में खेल ही एकमात्र ऐसा साधन है, जो मनोरंजन के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में सहायक है। आज के दौर में खेलों के मायने बदल गए हैं। इस बदलाव के पीछे सामाजिक चेतना के साथ-साथ खेल प्रशिक्षकों और शारीरिक शिक्षकों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। खेलों के समुन्नत विकास में कानपुर की खेल गुरु मनीषा शुक्ला जिस लगन और मेहनत से छात्र-छात्राओं की प्रतिभा को निखार रही हैं, वह काबिलेतारीफ है। मनीषा शुक्ला खेलों के उत्थान को न केवल पूरी तरह से समर्पित हैं बल्कि इनका यही समर्पण नारी शक्ति को भी नई दिशा दिखा रहा है।

खेलकूद है स्वास्थ्य का मूल, इससे बनाओ जीवन अनुकूल। बचपन से इसी मूलमंत्र को आत्मसात करने वाली कानपुर के प्रख्यात शिक्षण संस्थान डा. वीरेन्द्र स्वरूप पब्लिक स्कूल की स्पोर्ट्स टीचर और कुशल खेल उद्घोषक मनीषा शुक्ला खेलों को ही अपना जीवन मानती हैं। वह बिना लागलपेट बताती हैं कि मैंने खेलों का प्रथम अध्याय के.के. गर्ल्स इंटर कालेज किदवई नगर कानपुर में सीखा है। मेरी प्रथम खेल गुरु इंदू मृणाल मैडम हैं, सच कहें तो उन्हीं की बदौलत आज मैं खेल के क्षेत्र में हूं। मनीषा अपने कालेज जीवन में बेहतरीन एथलीट रही हैं। एथलेटिक्स में इनकी प्रतिभा को नया आयाम प्रशिक्षक दिनेश सिंह भदौरिया ने दिया है। मनीषा श्री भदौरिया को देश ही नहीं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक मानती हैं।

मनीषा कहती हैं कि भदौरिया सर के प्रशिक्षण से ही वह कालेज स्तर पर 400 मीटर दौड़ की चैम्पियन तो 800 मीटर दौड़ में रनर-अप रहने का गौरव हासिल कर सकी। मनीषा एक अच्छी लांगजम्पर होने के साथ ही खो-खो और हाकी की भी बेहतरीन खिलाड़ी रही हैं। मनीषा शुक्ला स्कूल और कालेज के अपने अध्ययनकाल में एथलेटिक्स में राज्य और नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं।  मनीषा को मार्शल आर्ट खेलों में कराटे से न केवल लगाव रहा बल्कि वह 1987 में जिलास्तर पर उपविजेता भी रह चुकी हैं। खेलों के साथ मनीषा एन.सी.सी. एयरविंग की कैडेट भी रही हैं तथा एन.सी.सी. में सी सर्टीफिकेट परीक्षा पास करने के साथ वह एयरविंग के सबसे बड़े कैम्प में भी सहभागिता करने का गौरव हासिल कर चुकी हैं।

स्कूल-कालेज स्तर पर खेलों में अपनी प्रतिभा का शानदार आगाज करने के बाद मनीषा शुक्ला ने खेलों में ही अपना करियर संवारने का मन बनाया। नोएडा के विश्व भारती पब्लिक स्कूल से स्पोर्ट्स टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली इस खेल शख्सियत ने कानपुर के आई.टी. मैदान पर इस स्कूल को एथलेटिक्स में ओवर आल चैम्पियनशिप भी दिलाई। मनीषा से प्रशिक्षण हासिल करने वाले इस स्कूल के छात्र राज्य ही नहीं नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल रहे। मनीषा सेंट लारेंस स्कूल के छात्र-छात्राओं को भी प्रशिक्षण दे चुकी हैं। इस स्कूल के बच्चे भी नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा की हनक दिखा चुके हैं। खेलों को पूरी तरह से समर्पित मनीषा शुक्ला स्कूल स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउण्डेशन की डिस्ट्रिक कार्डिनेटर के दायित्व का भी सफलतापूर्वक निर्वहन कर चुकी हैं। मनीषा शुक्ला खेल उद्घोषक होने के साथ ही एथलेटिक्स और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर निर्णायक की भूमिका का भी निर्वहन करती रहती हैं।         

मनीषा फिलवक्त डा. वीरेन्द्र स्वरूप पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं की खेल प्रतिभा निखारने का काम कर रही हैं। यहां के छात्र-छात्राएं लगातार खो-खो, बास्केटबाल तथा फुटबाल में राज्य व नेशनल स्तर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने स्कूल ही नहीं समूचे कानपुर का गौरव बढ़ा रहे हैं। मनीषा कहती हैं खेल एक व्यायाम है जिससे छात्र-छात्राओं के दिमागी स्तर का विकास होता है तथा ध्यान केन्द्रित करने की शक्ति बढ़ती है। हम यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में खेल अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं। खेलों से आत्मनिर्भरता की सीख मिलती है तथा मनुष्य आत्मविश्वासी एवं प्रगतिशील बनता है। मनीषा कहती हैं कि मेरा लक्ष्य बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारना है। मेरा सदैव प्रयास रहता है कि छात्र-छात्राएं किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेलों में भी रुचि लें ताकि उनका सम्पूर्ण विकास हो और वे राष्ट्र के कर्णधार बनकर समाज को नई दिशा दें।

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