पुष्पा के अरमानों पर कोच फातिमा ने फेरा पानी

मध्य प्रदेश की बेटी लगा रही न्याय की गुहार

खेलपथ प्रतिनिधि

भोपाल। मध्य प्रदेश की खेल एकेडमियों में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा। इन एकेडमियों के प्रशिक्षक खेल एवं युवा कल्याण विभाग के आला अधिकारियों को खुश रखने के लिए किस हद तक गड़बड़ी करते हैं इसका जीवंत उदाहरण है पहलवान पुष्पा विश्वकर्मा। होनहार पुष्पा इन दिनों दो-दो जन्मतिथियों का दंश लिए हर किसी से न्याय की गुहार लगा रही हैं। बकौल पुष्पा यदि उसकी कोच फातिमा बानो और उसके पति शाकिर नूर ने उसकी उम्र के साथ फरेब नहीं किया होता तो वह सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में न केवल शिरकत करती बल्कि मध्य प्रदेश को स्वर्णिम सौगात भी देती।

कहने को मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग का संचालक प्रदेश का आला पुलिस अधिकारी होता है लेकिन उसके होते हुए भी खिलाड़ियों की जन्मतिथि से किस तरह खिलवाड़ किया जाता है, यह सोचनीय विषय है। पुष्पा विश्वकर्मा मध्यप्रदेश की कुश्ती खिलाड़ी है, उसके पिता कारपेंटर हैं। उन्होंने बड़ी उम्मीद से अपनी बेटी का दाखिला मध्य प्रदेश कुश्ती एकेडमी में कराया था। उन्हें क्या पता था कि उनकी बेटी पुष्पा कोच फातिमा बानो और शाकिर नूर की कारगुजारियों का शिकार हो जाएगी। पुष्पा ने 2012 में सिवनी से अपने खेल जीवन की शुरुआत की। आदिवासी क्षेत्र की इस बेटी में न केवल प्रतिभा है बल्कि जीत की भूख भी है लेकिन वह आज हताश-निराश न्याय की गुहार लगा रही है। पुष्पा अकेली ऐसी खिलाड़ी नहीं है, एकेडमियों में प्रशिक्षण हासिल कर रहे कई और खिलाड़ी भी उम्र फरेब का शिकार हो रहे हैं। पुष्पा की हिम्मत को सलाम करना चाहिए कि उसने आपबीती को जगजाहिर करने का साहस दिखाया है।

पुष्पा को दिया था नौकरी का लालच

पुष्पा की वास्तविक जन्मतिथि 22 अगस्त, 1991 है जो कक्षा एक से ग्रेजुएशन तक है लेकिन फातिमा बानो और शाकिर नूर ने उसकी जन्मतिथि बदल कर उसे 2013 और 2014 में जूनियर स्टेट और जूनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में उतारा था। तब पुष्पा ने स्टेट में स्वर्ण तथा नेशनल में रजत पदक जीता था। बकौल पुष्पा तब भी मैंने कोच फातिमा से कहा था कि ये सर्टिफिकेट और मेडल मेरे किसी काम नहीं आएंगे क्योंकि मेरी पढ़ाई 1991 की जन्मतिथि से चल रही है लेकिन उन्होंने कहा कि तुम चुप रहो हम सब सम्हाल लेंगे हमारी पहुंच ऊपर तक है और तुम्हारी नौकरी भी लगवा देंगे। दरअसल तब फातिमा और उसके पति ने लाख पुष्पा की नौकरी लगवाने की बात की हो हकीकत यह थी कि वे उस वक्त अपनी नौकरी बचा रहे थे। एकेडमी के खिलाड़ी जब भी मेडल जीतने हैं प्रशिक्षकों की भी बलैयां ली जाती हैं। झूठी शोहरत के इस नंगनाच में अकेले फातिमा ही नहीं अन्य प्रशिक्षकों के भी शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता। फातिमा बानो अब एकेडमी में नहीं है लेकिन वह जिन बेटियों का बुरा कर गई है, वे आज खून के आंसू रो रही हैं।  

फातिमा पुष्पा से अपने घर का कामकाज भी कराती थी तथा नेशनल गेम्स में जीती दो लाख 40 हजार की ईनामी राशि को खुर्द-बुर्द करवाने के बाद उसे घर से निकाल दिया। वहां से निकलने के बाद पुष्पा ने स्कूल में नौकरी कर तथा दंगलों में जीती राशि से अपने परिवार का भरण-पोषण करती रही। पुष्पा को फातिमा से हमेशा ताने मिलते थे कि तुम जिन्दगी में कुछ नहीं कर सकती तथा तुम बर्बाद हो जाओगी। सच पुष्पा के साथ जो हुआ उससे खेल विभाग बेशक आबाद हुआ हो वह जरूर बर्बाद हो गई। अब झूठ की बुनियाद पर टिके खिलाड़ियों के भविष्य पर हम लाख अफसोस जताएं या आलाधिकारियों को कोसें पर सिस्टम नहीं सुधरने वाला।

अब भारतीय कुश्ती महासंघ से ही उम्मीद

पहलवान पुष्पा की मदद अब सिर्फ भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ही कर सकते हैं। दो-दो जन्मतिथि के फेर में फंसी पुष्पा जिस कूटरचित साजिश का शिकार हुई है वह आंखें खोल देने वाली बात है। अब भारतीय कुश्ती महासंघ ही चाहेगा तभी पुष्पा को न्याय मिलेगा। मध्य प्रदेश में कब तक बिना खिले ही पुष्पा जैसे पुष्प मुरझाते रहेंगे।  

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