खिलाड़ियों का प्रोत्साहन ही मेरा एकमात्र मकसदः सुशील कुमार

खेलों का स्याह सच उजागर करेगी बदनाम खिलाड़ी मूवी

खेलपथ प्रतिनिधि

ग्वालियर। खिलाड़ी का मर्म सिर्फ एक खिलाड़ी ही समझ सकता है। मैंने खेलों में देखा कि किस तरह खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने की बजाय उसे हतोत्साहित किया जाता है। हमारे देश में खेल संस्थाओं के पदाधिकारी भी खिलाड़ियों को तरह-तरह से परेशान करते हैं। खिलाड़ी की राह में रोड़ा अटकाने का काम जिलास्तर से ही शुरू हो जाता है। खिलाड़ी की सफलता उसकी मेहनत पर निर्भर करती है। मेरा भी सपना था कि देश का प्रतिनिधित्व करूं और किया भी लेकिन बहुत आगे नहीं बढ़ सका। खेलों में मैंने जिन परेशानियों का सामना किया उसी को मद्देनजर रखते हुए यह तय किया कि अब किसी और खिलाड़ी को परेशानी का सामना न करना पड़े। यह कहना है भारतीय खेल पुरस्कार चयन समिति के निदेशक सुशील कुमार का।

सुशील कुमार की उम्र बेशक अभी कम है लेकिन खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को लेकर इस युवा का संकल्प बहुत बड़ा है। बिहार प्रांत के दरभंगा जिले के छोटे से गांव बहेड़ी में एक गरीब परिवार में जन्में सुशील कुमार को बचपन से ही खेलों के प्रति लगाव था। इन्होंने कराटे खेल को न केवल आत्मसात किया बल्कि राज्यस्तर पर 34 स्वर्ण, 46 रजत तथा 12 कांस्य पदक जीते। इस युवा ने राष्ट्रीय स्तर पर 58 स्वर्ण, 39 रजत तथा नौ कांस्य पदक जीतने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को चार स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक दिलाए। इस शानदार सफलता के बावजूद सुशील कुमार को अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। चुनौतियों से आजिज सुशील ने कराटे तो छोड़ दी लेकिन खिलाड़ियों के प्रोत्साहन को अपना एकमात्र मकसद बना लिया।

भारतीय खेल पुरस्कार चयन समिति के निदेशक सुशील कुमार अब न केवल खिलाड़ियों का हर तरह से प्रोत्साहन करते हैं बल्कि बड़े मंचों पर उन्हें सम्मानित करने का दुरूह कार्य भी लगातार कर रहे हैं। खेलों के स्याह सच से खेलप्रेमियों को रूबरू कराने के लिए यह युवा बदनाम खिलाड़ी जैसी मूवी पर भी काम कर रहा है। यह मूवी अगले साल के अंत तक रिलीज होने की सम्भावना है। बदनाम खिलाड़ी में सुशील कुमार प्रमुख भूमिका में हैं। इस मूवी में जैकी श्राप, आदित्य पंचोली, आदित्य सिंह, अली खान तथा रजा मुराद भी काम कर रहे हैं। अब तक दर्जनों अवार्ड हासिल कर चुके सुशील कहते हैं कि इस मूवी के माध्यम से मैं अपने देश में खेल-क्रांति लाने की कोशिश करूंगा। इस मूवी से लोग जानेंगे कि आखिर खिलाड़ियों को अपने खेल जीवन में किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सुशील कहते हैं कि मेरे सामने खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में बहुत सारी अड़चनें आती हैं लेकिन खिलाड़ी हित के लिए मुझे किसी काम को करने में कभी झिझक नहीं हुई। मुझे पता है कि बिना पैसे के कोई काम नहीं हो सकता लिहाजा मैं खिलाड़ियों के लिए कुछ भी कर लेता हूं। सच कहूं तो मैं हर खिलाड़ी के चेहरे पर सफलता की मुस्कान देखना चाहता हूं। सुशील की कोशिश और संघर्ष जारी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि एक न एक दिन इस युवा के कार्यों को लोग नजीर मानेंगे और ताली पीटेंगे।       

 

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