मां के जेवर गिरवी रख देश का मान बढ़ाने थाईलैंड जाएगी शबाना

रामनगर की अंतरराष्ट्रीय सिटिंग वॉलीबाल खिलाड़ी शबाना ने भले ही अपनी प्रतिभा से देश और दुनिया में उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। राज्य सरकार और खेल एसोसिएशन ने इस होनदार दिव्यांग खिलाड़ी की मदद से हाथ खड़े कर दिए हैं।  27 अक्तूबर से थाईलैंड में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल होने का खर्च उठाने के लिए मजबूरन शबाना मां के जेवर गिरवी रखने जा रही है। रामनगर के मोहल्ला ऊंटपड़ाव खताड़ी निवासी शबाना बाएं पैर से दिव्यांग है। मगर प्रतिभा के बूते वह विदेश तक उत्तराखंड का सीना चौड़ा कर चुकी है।

इंडियन पैरा वॉलीबाल एकेडमी से खेलने वाली शबाना ने 2016 में सिटिंग वॉलीबाल से खेल करियर शुरू किया। 2017, 2018 में उसने चेन्नई में उत्तराखंड की ओर से नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। बेहतर प्रदर्शन पर उसे 2019 में मलेशिया में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुना गया। शबाना उत्तराखंड की एकमात्र खिलाड़ी है, जिसका चयन थाईलैंड के लिये हुआ। 

* 2016 में सिटिंग वॉलीबाल से खेल करियर शुरू किया।
2017, 018 में उसने नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।
2019 में मलेशिया में होने वाली प्रतियोगिता के लिए चयनित।

19 साल पहले हादसे में हुई दिव्यांग
रामनगर। अंतरराष्ट्रीय सिटिंग वॉलीबाल खिलाड़ी शबाना को 19 साल पहले पैर खोना पड़ा। बताती हैं कि जब वह चार साल की थी, तो एक डंपर ने उसकी दोस्त इंदु को कुचल दिया। उसे बचाने की कोशिश में उसका बांया पैर घुटने से कट गया।

खेल के लिए पहले पढ़ाई अब नौकरी छोड़ी
पीएनजी पीजी कॉलेज से बीए पास शबाना ने बताया कि साल 2016 में उसने खेल के लिए पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद रुद्रपुर की एक कंपनी में काम करने के दौरान मलेशिया प्रतियोगिता में जाने के चलते उसे नौकरी छोड़नी पड़ी।

मलेशिया में मेरा बेहतर प्रदर्शन रहा। इस पर चयनकर्ताओं ने मुझे थाईलैंड के लिए चुना है। रुपये की कमी से परेशान हूं, इसलिए मां के जेवर गिरवी रखने का फैसला लिया है। (शबाना, अंतरराष्ट्रीय सिटिंग वॉलीबाल खिलाड़ी)

हां, रामनगर की शबाना एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं। थाईलैंड जाने के लिए सरकार ने आश्वासन दिया है। खेल विभाग की  ओर से शबाना को हरसंभव मदद दी जाएगी। (अख्तर अली, जिला क्रीड़ा अधिकारी)

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